Friday, March 31, 2017

Job से सम्बंधित कुछ बातें

customer service

Customer Service में काम आती हैं ये खूबियां

अगर आप customer service के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे है तो आपको अपने व्यक्तित्व की इन खूबियों को तराशना होगा।

संजीदगी से सुने Problem

उपभोक्ता की problem सही तरीके से सुनने और संभावित सवालों के बारे में विचार करने से ही उसके साथ प्रभावशाली संवाद बनाया जा सकता है।

सकारात्मक भाषा का इस्तेमाल

problem के समाधान में सकारात्मक भाषा का इस्तेमाल customer के मन में company की बेहतर छवि बनाता है।

धैर्य और आत्म नियन्त्रण

अपनी बात उपभोक्ता तक सुगमता से पहुँचाने के लिए customer service दे रहे व्यक्ति का धैर्यवान होना बेहद जरूरी है।

Time Management

उपभोक्ता की problem को तय समय-सीमा में सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए।

और अन्य बातें

1-  24% उपभोक्ता अच्छे experience के बाद 2 या ज्यादा सालों तक एक ही विक्रेता की सेवाएँ लेते है।

2-  39% उपभोक्ता ख़राब experience के बाद 2 या ज्यादा सालों तक विक्रेता की उपेक्षा करते है।

3-  70% customer phone के जरिये उपभोक्ता सेवाएँ लेना पसंद करते है।

4-  88% customer online review पढ़कर खरीदारी करने का decision करते है।

5-  अच्छी सेवाओं के बाद एक customer अपना experience 4 से 6 लोगों को बताता है।

Appraisal Meeting में न करें ये गलतियां


Employee की नजर में appraisal increment या promotion पाने का अवसर है, जबकि नियोक्ता
 की नजर में career में नई संभावनाओ तलाशने का अवसर।

इन दिनों आप appraisal में शामिल होने की तैयारी कर रहे होंगे। आपने साल भर अच्छा काम
 किया, लेकिन अब appraisal की तैयारी में कमी आपकी rating को प्रवाभित कर सकती है।

पहले समझे Appraisal

यह असल में company की अपनी और अपने employees की प्रगति को जांचने का एक पैमाना है।
 हर company में appraisal का अपना तरीका होता है। कुछ company साल में एक बार
 appraisal करती है, तो कुछ हर तीन माह या छह माह में अपनी कर्मचारियों के काम का मुल्यांकन
 करती है। कही-कही appraisal प्रक्रिया में कर्मचारी भी शामिल होते है। उनसे form भरवाए जाते है,
 तो छोटी firm में supervisor व् senior officer ही स्वयं फैसले ले लेते है। आपकी rating के साथ
 बजट को ध्यान में रखकर salary में increment किया जाता है।

Appraisal Meeting में क्या न करें

1-  कमियों को लेकर भावुक न बनें: problem के समाधान और संभावनाओं पर बात करें।

2-  बहस न करें- अपनी कमियों को लेकर complain करने से आपकी नकारात्मक छवि बनती है।

3-  सही वजह पर ध्यान दें- boss पर पक्षपात करने का आरोप न मढें। अपने कार्य पर ध्यान दें।

4-  दूसरों पर आरोप न मढें- गलती हुई है तो मानें। आरोप मढ़ने से सिर्फ कमियां दिखती है।

Appraisal को कैसे बनाएं बेहतर

1-  अपना महत्व समझाएं- appraisal form में कहानी न लिखें। अपने appraisal form पर अपने
 नये ideas के data point शामिल करें। आंकड़े और मेल से अपनी बात को पुष्ट करें।

2-  Boss से सलाह करें- अगर आप appraisal form के किसी सवाल को लेकर स्पष्ट नही है
तो boss से बात करें।







Tuesday, March 28, 2017

Job के साथ Income के Five Sources

part time job


अगर आप office के कामकाज के साथ तालमेल बैठाकर कुछ समय part-time job के लिए निकाल सकें तो अपनी आय में काफी बढ़ोत्तरी कर सकते है।

job के बाद बचे हुए समय में आप महज कुछ घंटे काम करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते है। बस, इसके लिए part-time job के best option और उनसे जुड़ी skills की जानकारी होनी चाहिए। आज हम part-time jobs के उन पांच option के बारे में बता रहे है, जिनकी मदद से आमदनी को बेहतर बनाया जा सकता है।

1-  Affiliate Marketing

Affiliate Marketing के लिए आपके पास अपनी blog, website या फिर किसी website में आपकी हिस्सेदारी होना जरुरी है। हमारे देश में भी अब online shopping का कारोबार फल-फूल रहा है। आमतौर पर सभी shopping sites का अपना affiliates marketing program होता है। आप अपने blog या website के जरिये इन shopping websites के जरिये इन shopping websites के products को promote करते है, तब इससे भी आमदनी हो सकती है। जब भी आप किसी affiliates marketing program से जुड़ते है, तब आपको एक referral link दिया जाता है। इस link के जरिये जब आप product खरीदते है, तब आपको commission मिलता है।

जरूरी Skills: affiliates marketing के लिए आपको blog या website संचालन के ज्ञान से नया content उपलब्ध कराते रहना जरूरी है, ताकि users को traffic आपकी site पर बना रहे।

कमाई: इसके जरिये होने वाली कमाई product की कीमत के अनुसार निर्धारित commission के मुताबिक अलग-अलग हो सकती है।

2-  Web Designing

आज लगभग हर क्षेत्र में website एक अनिवार्य जरूरत बन गई है। किसी संस्था या व्यावसायिक संगठन के अलावा कई मशहूर हस्तियाँ भी अपनी व्यक्तिगत websites बनवाती है। एक web designer के तौर पर भी आप घर बैठे कमाई कर सकते है। website से जुड़े हर पहुलओं का ध्यान रखना web designer की profile में आता है। website का design यानी webpage का layout, structure और architecture तैयार करना web designer का काम होता है।

जरूरी Skills: web designer को template designing, 3D व् 2D animation, portfolio designing, flash, banner designing, ग्राफिक designing, website मेंटेनेंस, movie making, adobe Photoshop, adobe इलेस्ट्रेटर, coral-draw, HTML, java script, basic art एवं print design आदि का ज्ञान जरूरी है।

Income: एक website बनाकर दस से बीस हजार रूपये आराम से कमाए जा सकते है।

3-  Translation

आज कई ऐसी company है, जो online translation का काम देती है। कुछ company घंटे के हिसाब से भुगतान करती है, जबकि कुछ शब्दों के हिसाब से भुगतान करती है। अगर आपकी english के साथ किसी दूसरी भाषा पर पकड़ है तो आप अच्छी कमाई कर सकते है। translation का काम पाने के लिए आप किसी translation website पर अपने आप को registered करवा सकते है।

जरूरी Skills: english के अलावा किसी अन्य भाषा पर अधिकार translation के लिए आवश्यक है। 

Income: इसमें एक रूपये प्रति word से लेकर दस रूपये प्रति word के हिसाब से भुगतान किया जाता है।

4-  Online Researcher:

इस job में आपको सम्बंधित business का general knowledge, research skill और quality content तैयार करना आना चाहिए।

जरूरी Skills: इसमें online researcher का सम्बंधित business से जुड़े सवालों के शानदार जवाब और उनकी व्याख्या करना आना चाहिए।

Income: इस part-time job में आप हर घंटे के हिसाब से अच्छा कमा सकते है। इस job में project के आधार पर पैसा मिलता है।

Online Community Management

image-building और किसी खास वर्ग के लोगों के बीच अपनी brands की स्वीकार्यता कायम करने के लिए company अब online community management का उपयोग करती है। web content update करने से लेकर social media manage करने तक का काम इसमें शामिल है। अगर content जुटाने और report तैयार करने में माहिर है तो यह field आपके लिए है।

जरूरी Skills: social media platform की जानकारी और brand promotion के लिए लगन।

Income: इस field में आप एक घंटे में 500-1000 रूपये तक कमा सकते है।















Friday, March 24, 2017

Health Professional को इलाज की जरूरत

vitamin-d

अतिव्यस्तता व् घंटो चारदिवारी के भीतर रहना health professionals को बीमार कर रहा है। एक study के आनुसार करीब 80% में vitamin-d की कमी है।

Body को बेहतर तरीके से चलाने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है vitamin-d, इसकी कमी bones की सेहत को प्रभावित करती है। जब हम धूप में जाते है तो हमारा body vitamin-d अपने आप बना लेता है। इतना ही नही vitamin-d bones के साथ मांशपेशियों, दिमाग, फेफड़ो की कार्यप्रणाली को भी ठीक करता है। Research के अनुसार 69% भारतीयों में vitamin-d की कमी है।

health professional में vitamin-d का study किया गया, जिसमें 18 शहरों के 2119 medical और पैरा-मेडिकल पेशेवरों को शामिल किया गया था। इनमें ऐंडोक्राइनोलॉजी के education program में भाग ले रहे चिकित्सक व् health professional शामिल थे। December 2010 से मार्च 2011 के बीच रक्त के नमूने लिए गये। इस जाँच में पाया गया कि 79% vitamin-d की कमी है, 15% में यह border line पर है। केवल 6% में ही उचित मात्रा देखने को मिली। इन नतीजों से साफ़ है कि इस देश में health दिखने वाले मध्य उम्र के health care professionals hospital की चारदीवारी के अंदर ही काम करते है, जहां ना के बराबर धूप आती है। ऐसे में नियमित जांच जरूरी है।

भारतीय उपमहाद्वीप में पूरे साल धूप रहती है, इसके बावजूद बड़े स्तर पर लोग vitamin-d की कमी से जूझ रहे है। स्किन पिग्मेंटेशन, पारम्परिक कपड़े पहनना, vitamin-d का फोर्टीफिकेशन ना होना और वायु प्रदुषण इसके प्रमुख कारण हो सकते है। vitamin-d की कमी blood की जांच से पता लगाई जा सकती है। बुरा कोलेस्ट्राल कम करने और अच्छा कोलेस्ट्राल बढ़ाने में भी इससे मदद मिलती है।

दूर करें Vitamin-D की कमी

1-  सुबह आधा घंटा sunscreen के धूप में बिताएं।

2-  हर रोज सूर्य नमस्कार करें।

3-  सामन, बांगरा, हिलसा और टूना आदि मोटी मछलियाँ vitamin-d का अच्छा स्रोत है। इसके अलावा मछली का तेल, अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड अनाज को diet में शामिल करें।

4-  कमी अधिक होने पर medicine भी ली जा सकती हैं।





     

   



Wednesday, March 22, 2017

Dyslexia के लक्षण

Dyslexia





बच्चा अन्य बच्चों की तरह, पढ़ व् समझ नही पाता। यह एक disorder हो सकता है, जिसे शिक्षित माता-पिता भी आसानी से accept नही कर पाते। आंकड़ों की माने तो हर बारह में से एक बच्चे में dyslexia के लक्षण देखने को मिलते है।

शरारती आँखे, प्यारी मुस्कराहट और चंचल स्वभाव वाला अमित दूसरे बच्चों की तरह ही सामान्य दिखता था। बुद्धिमान भी था, पर पता नही क्यों... एक दिन school teacher ने माता-पिता को उसे बाल रोग विशेषज्ञ से जांच कराने की सलाह दी। उसे school का homework करने में दिक्कतें आ रही थी शायद इसलिए। वह जब विशेषज्ञ के पास गया तो उसे कई तरह के क्षमता परीक्षणों से गुजरना पड़ा। 

मुल्यांकन के बाद अमित का IQ level 126 आया, जो सामान्य (90-110) से काफी अधिक था। school में उसके ख़राब प्रदर्शन को देखकर यह कहा नही जा सकता था कि अमित का IQ level इतना हो सकता है। वह मौखिक रूप से हर सवाल का जवाब देता था, पर लिखने-पढ़ने की बात आती तो उसे दिक्कत होती थी। 10 साल की उम्र में भी वह अक्षरों को उल्टा-पुल्टा लिख रहा था। दायें को बाएं और बाएं को दायें बताता था। doctor ने अपनी जाँच में पाया कि उसे एक तरह की सीखने की problem है, जिसे dyslexia कहतें है। 

Dyslexia association of india के एक अनुमान के मुताबिक इस समय देश में 15 से 20% बच्चे इस problem से पीड़ित हो सकते है। वही अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि 1000 बच्चों के school में 150-200 बच्चे इस problem से पीड़ित मिल जायेंगे।

क्या है Dyslexia

dyslexia वह स्थिति है, जिसमें दिमाग की बोलने-लिखने की क्षमता प्रभावित होती है। विशेषज्ञों ने इसे reading disorder का नाम दिया है। बच्चें जहां 6-7 साल की उम्र तक अक्षरों को पहचानने लगते है, वही इस problem से पीड़ित बच्चें अक्षरों के बीच ही उलझे रह जाते है। वह बी और डी, 13 और 31 6 और 9 जैसे एक से दिखने वाले या सुनाई देने वाले अक्षरों या संख्याओं में अंतर कर पाने में अक्षम होते है। वे पाठ को बहुत देर से समझते है और पढ़ा है वह याद नही रख पाते। बहुत सारे study इस ओर इशारा करते है कि यह आनुवांशिक हो सकता है। 

आप कैसे पहचानेगे

इस problem से परेशान बच्चों में निम्न लक्षण देखने को मिल सकते है...

वर्तनी में गड़बड़ करना, लम्बे वाक्यों को न समझ पाना, मेथ्स में कमजोर होना, ब्लैकबोर्ड से copy न कर पाना, सही उच्चारण न कर पाना, देर से बोलना व् शब्दों में तुक न बैठ पाना, रंग, अक्षर और संख्या जैसी मूल चीजें न समझ पाना,  ख़राब हैण्डराइटिंग, शब्दों में अक्षरों का क्रम सही न लगा पाना, विभिन्न अक्षरों और उनकी ध्वनि में अंतर न कर पाना, विदेशी भाषाओँ को सीखने में दिक्कत आना, संख्या- किसी व्यक्ति या चीज का नाम या mobile number याद न रख पाना, दिशाओं को लेकर भ्रम करना, दायें को बाएं समझना और बाएं को दायें समझना, उपर और नीचे में अंतर न कर पाना, तालमेल वाले काम न कर पाना, जैसे जूते के फीते या शर्ट का बटन न लगा पाना। 

Problem के accept करें

मां-बाप का बच्चे की इस problem को accept न करना उपचार में देरी का सबसे बड़ा कारण है। लक्षण दिखाई देने पर विशेषज्ञ से सलाह लें। कई बच्चे सिर्फ स्पेशल education से ही पूरी तरह ठीक हो जाते है। 

इनसे लें मदद

किसी पंजीकृत चिकित्सक, थेरेपिस्ट जैसे clinical या रिहैबिलिटेशन साइकोलॉजिस्ट, आक्युपेशनल थेरेपिस्ट, स्पीच और language therapist, special educator की मदद ले सकते है। ये विशेषज्ञ रिहैबिलिटेशन कौंसिल ऑफ़ इंडिया द्वारा पंजीकृत होने चाहिए। इससे पीड़ित अन्य बच्चों के अभिभावकों के contact में रहें। 

शिक्षकों से मिलें

स्पेशल एजुकेटर्स अलग-अलग तरीकों से पढना- लिखना, हैण्डराइटिंग और पढाई से जुड़े दूसरे skills सिखाते है। ऐसे बच्चों को audio book से समझाना बेहतर होता है।

माहौल तैयार करें

उनकी क्षमताओं के हिसाब से उनकी पढ़ने में मदद करें। शांत जगह में बच्चे को पढ़ाएं। उन्हें homework पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दें। घर का माहौल शांत बनाएं। उनकी रूचि वाले क्षेत्र में आगे बढने का मौका दें, जैसे थियेटर, संगीत व् कला।

हीन-भावना न बढ़ने पाए

हो सकता है कि जाने-अनजाने उन्हें यह अहसास कराया जाता हो कि वह दूसरे से अलग है। उन्हें समझाएं कि यह कोई problem नही है। उनकी तारीफ़ करें। 

Test करने का एक तरीका यह भी

आप चाहें तो नीचे गये link पर जाकर websites पर दिए गये सवालों के जवाब का option चुन कर dyslexia के लक्षण की पहचान कर सकते है- 


थेरेपिस्ट चुनने से पहले रखें ध्यान

थेरेपिस्ट की विशेषज्ञता, प्रसिद्धि और उसके द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानें। थेरेपी सेण्टर का नजदीक होना रहता है बेहतर। 

कब बढ़ जाती है दिक्कत

जिन बच्चों में dyslexia की पहचान नही हो पाती या problem को दूर करने के उपाय नही किये जाते, उनकी problem बढ़ती चली जाती है। बच्चें पढना-लिखना सीख नही पाते और हीन-भावना के शिकार हो जाते है। नतीजन वे school में fail होने लगते है और दूसरों बच्चों की अपेक्षा खुद को असमर्थ महसूस करते है और धीरे-धीरे tension के शिकार हो जाते है। अभिवावक उन्हें सजा देने लगते है। बच्चें के मन में यह बैठ जाता है कि वह बेवकूफ है या बुरा है। धीरे-धीरे उनका self-confidence घटने लगता है। dyslexia बच्चों में व्यवहारिक और भावनात्मक problem से ग्रस्त होने की आशंका काफी ज्यादा होती है।

अमेरिका स्थित द येल सेण्टर फॉर dyslexia and creativity के अनुसार-

1-  जरूरी नही कि जो बच्चे शब्दों या अक्षरों को उल्टा लिखते है, वे dyslexia से ग्रस्त हों। सामान्य बच्चें भी शुरुआत में ऐसा करते है। 

2-  ऐसे बच्चे या व्यस्क धीरे-धीरे पढना सीख जाते है। पर कई बार पढ़ने में काफी मशक्कत होती है।

3-  ऐसा केवल लड़को में नही होता। यह problem लड़का और लड़की दोनों में पाई जा सकती है। 

इन हस्तियों को भी था Dyslexia

ऐल्केजेंडर ग्राहम बेल, पेरी क्युरी, एल्बर्ट आइंस्टीन, अभिषेक बच्चन, थामस अल्वा एडिसन, लियोनार्डो डा विन्सी, पैब्लो पिकासो, मोहम्मद अली, स्टीवन स्पीलबर्ग, लुइस कैरल, टॉम क्रूज, स्टीव जॉब्स जैसे success नामों की लम्बी सूची है, जिन्होंने इस problem को अपनी सफलता में आड़े नही आने दिया 

होते है कई गुण भी

1-  पजल सुलझाने में अव्वल होते है 

2-  उनकी कल्पना शक्ति मजबूत होती है। 

3-  मौखिक test में करते है अच्छा प्रदर्शन। 

4-  कला से जुड़े क्षेत्र जैसे design, drama, संगीत में सफलता पाते है। 

5-  बातों का सार तुरंत समझ लेते है। 

6-  पढाई से जुड़े क्षेत्रो को छोड़कर अन्य क्षेत्रो में अच्छे होते है, जैसे कि computer, खेल-कूद, रचनात्मक आदि। 

7-  असाधारण रूप से दूसरों के लिए सहानभूति और प्रेम का परिचय देते है।