Saturday, October 31, 2015

Self-Confidence of Speak to Stair of Success बोलने का आत्मविश्वास सफलता की सीढ़ी




अगर किसी को अचानक एक बड़े जनसमूह के सामने कुछ बोलने के लिए कह दिया जाये तो अधिकतर लोग बुरी तरह घबरा जाते है। हालाकि इस बात का आपकी योग्यता से कोई लेना-देना नही होता, फिर भी यह बात आपकी छवि को negative रूप से प्रभावित करती है। ऐसा पढाई के दिनों में, job के लिए दिए जाने वाले interview के समय, job के दौरान या कभी भी हो सकता है। इससे लोग आपका सही मूल्याकन नही कर पाते और आप कई अवसरों से चूक जाते है। इस हिचक को तोडना बहुत मुश्किल भी नही और हिचक तोडकर आप success के कुछ और करीब हो जायेगे। बस आपको अपने डर पर काबू पाना होगा। इसकी शुरुआत आप यूं कर सकते है-

Friends से करे शुरुआत

अगर आपको किसी के सामने बोलने में हिचक होती है और अपनी बात आप ठीक से नही रख पाते तो पहले छोटे-छोटे समूह से शुरुआत करे। पहले friends के बीच इसे आजमाए। इसे भी एक-दो लोगो से ही शुरू करे। अगर आप शुरू में ही सीधे बड़े समूह में बात रखने की कोशिश करेगे तो बहुत अधिक दवाब होने के कारण संभवत कठिनाई भी ज्यादा हो। ऐसे में आपकी हिचक नही टूटेगी, बल्कि और अधिक गहरी हो जाएगी, क्योकि कुछ अच्छा सुनने की अपेक्षा ओर लगातार देखती कई जोड़ी आँखे आपको परेशान कर सकती है। इसलिए दो से शुरू करे। दो आपके लिए जादुई नंबर साबित हो सकता है। आप पायेगे कि दो person के सामने बोलने में आपको कही ज्यादा आसानी हुई और यह भी जल्द ही आपकी हिचक टूट गई है और अब विशाल जनसमूह में भी अपनी बात रखने में कोई परेशानी नही हो रही है।

छोटे-छोटे लक्ष्य तय करे

यदि आप ज्यादा ही अंतमुर्खी है तो अपने लिए लक्ष्य तय करे। पहले एक person के सामने अपनी बात रखने का प्रयास और exercise करे। इसकी अवधि भी कम रखे। जैसे-जैसे कम लोगो के बीच हिचक खुलती जाए, इस तरह यदि आप लगातार करते रहे तो एक दिन पायेगे कि विशाल जनसमूह के बीच भी आपको अपनी बात रखने में कोई परेशानी नही हो रही है। बस आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि अपना यह प्रयास आपको छोड़ना नही है। अपने डर पर आपको विजय पानी होगी। उसे खुद पर हावी न होने दे। शुरू-शुरू में ऐसा करने में आप खुद को असहज महसूस करेगे, लेकिन लगातार प्रयास करते रहे। धीरे-धीरे आप महसूस करेगे कि आपको अब अपनी बात रखने के लिए प्रयास नही करना पड़ रहा है आप बड़ी सहजता से अपनी बात रख पा रहे है। जल्द ही एक समय ऐसा आएगा कि आपकी झिझक पूरी तरह खत्म हो चुकी होगी और विशाल से विशाल जनसमूह में आप अपनी बात आसानी से रखने में खुद को सक्षम पायेगे।

बेवजह के परिचय से बचे

लोगो से मिलते जुलते रहना हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा से जुड़ा होता है। बड़ा सामाजिक दायरा होने का अर्थ है कि आपको लोगो का सामना करने में हिचक नही होती। यह आपके self-confidence का का प्रतीक बन जाता है। जब तक आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा ऐसी नही बनती, तब तक आप खुद अपने क्षेत्र से जुड़े programme पर नजर रखे। कई बार ऐसा भी होता है कि कोई programme आपके city में या आपके आसपास हो रहा है, इसकी जानकारी नही हो पाती। ऐसे में आप अपने परिचितों से यह कह सकते है कि वे ऐसे programme की जानकारी आपको दे दिया करे। एक समय के बाद आप अपनी मर्जी से भी आयोजनों को चुने कि कहां जाना है या नही जाना है। इसका एक कारण यह भी है कि अंतमुर्खी ना होने का मतलब यह नही कि हर जगह या समूह में आपकी उपस्थिति जरूरी है। बेमतलब किसी event या समूह में न जाए। event या समूह में जाने से पहले उसका मकसद जरुर पूछे। example के लिए यदि किसी programme में आपको बुलाया जाता है या समूह में कोई आपका परिचय किसी से करवाना चाहता है तो आप ऐसा करने का उद्देश्य जरुर पूछे और यह भी कहे कि जब तक दो लोगो से मिलने या किसी event में जाने से कोई फायदा नही होता, मै इससे बचने का प्रयास करता हूँ, क्योकि समय अमूल्य है और फालतू में मै उसे जाया नही करना चाहता।

अपनी तैयारी पूरी रखे

अगर आप सच में लोगो का ध्यान अपनी ओर attract करना चाहते है तो इस नुस्खे को आजमाए। अगर आप किसी सामूहिक आयोजन में जा रहे है तो उस programme की पूरी रूप-रेखा और वहां आने वाले guest के बारे में मुकम्मल जानकारी रखे। वहां आने वाले आंगुतको की मदद करे, उन्हें programme और guest के बारे में अपनी तरफ से पहल कर बताये। इस तरह से आप वहां आने वाले दुसरे लोगो की मदद कर अपनी छवि बेहतर बना सकते है और लोग आप पर ध्यान देगे।





 






Wednesday, October 28, 2015

Swelling (सूजन) संकेतो को समझे



  
चेहरे या body के किसी हिस्से में लम्बे समय से बनी हुई swelling को देखकर भी अनदेखा करना समझदारी नही है। यदि body में बार-बार पानी collect हो रहा है तो यह ह्रदय, liver या kidni की किसी problem का संकेत हो सकता है। 

B.L. Kapoor hospital के Dr. Amit Agrawal कहते है, जब body में अतिरिक्त flued यानि पानी collect हो जाता है तो body में swelling आने लगती है, जिसे ऐडिमा कहा जाता है। जब यह swelling टखनो, पैरो और टांगो में आती है तो उसे peripheral edema कहते है। फेफड़ो की swelling पलमोनरी एडमी और आँखों के पास आने वाली swelling पेरिओर्बितल ऐडिमा कहलाती है। body के ज्यादातर भागो में दिखायी पड़ने वाली swelling को मैसिव ऐडिमा कहा जाता है। इस position में मसूडो, पेट,चेहरे,स्तन,लसिका ग्रंथि व् जोड़ो आदि सभी भागो पर swelling आ जाती है। ज्यादा देर तक खड़े रहने या बैठने की वजह से होने वाली swelling को orthostatic edema कहा जाता है। हल्की swelling ज्यादातर कोई बड़ी problem नही होती,लेकिन अधिक समय तक रहने वाली ज्यादा swelling गंभीर बीमारी का संकेत हो सकती है। पेट या body के किसी भी अंग में एक सप्ताह से ज्यादा swelling रहने पर doctor से संपर्क करना जरूरी हो जाता है। पुरुषो की तुलना में महिलाओ में ऐसे मामले ज्यादा देखने को मिलते है। ऐसा इसलिए भी कि पुरुषो के मुकाबले महिलाओ में बसा का अनुपात ज्यादा होता है और बसा कोशिकाए अतिरिक्त पानी collect कर लेती है। नियमित व्यायाम व् खान-पान में लापरवाही भी एडिमा की स्थिति को अधिक बढ़ा सकती है।

Swelling का कारण

shree balaji action medical institute में senior medicine consultant Dr.Raman Sharma के अनुसार, heart से जुडी बीमारिया, kidni की problem, असंतुलित हार्मोन्स और steroid medicine के सेवन की वजह से एडिमा की problem हो सकती है। दरअसल इन सभी स्थितियों में हमारी kidni sodium को collect कर लेती है। हालाकि कुछ महिलाओ को मासिक धर्म के एक सप्ताह पहले भी कुछ ऐसे ही लक्षण नजर आते है। इस दौरान estrogen harmons की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से kidni ज्यादा पानी रोकना शुरू कर देती है। हमारा अनियमित भोजन व् जीवनचर्या भी एडिमा की बड़ी वजह है।

चेहरे पर Swelling

इसके कई कारण हो सकते है, मसलन fluid का collect होना, चोट लगना, संक्रमण या फिर canser.यह swelling गाल, आँख व् होठो के पास भी होती है। इस तरह की swelling को medical science में facial edima कहते है। यदि चेहरे की swelling थोड़े समय के लिए होती है तो ऐसा संक्रमण के कारण हो सकता है, पर बार-बार ऐसा होने के साथ-साथ चेहरा लाल, बुखार या साँस लेने में परेशानी होती है तो यह गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत doctor की सलाह लेकर पूरा उपचार करवाए।

पैरो में Swelling

पैरो में swelling के भी कई कारण हो सकते है, जैसे मोच, लंबी दूरी तक सैर करना, ज्यादा देर तक खड़े रहना, व्यायाम या फिर खेल-कूद आदि। लेकिन अचानक एक या दोनों पैर में भारी swelling, लाली और गर्माहट तथा चलने-फिरने पर पैर में खिचाव जैसे लक्षण डीप वेन थ्रोम्बोसिस(DVT) की परेशानी हो सकती है। इसमे टांगो की नसों में खून के कतरों का जमाव होता है। अक्सर लोग अज्ञानता के कारण इसे नस में खिंचाव,चोट, थकान, सामान्य संक्रमण या फाईलेरिया मान कर इलाज कराने लगते है। सामान्य doctor भी इसे फाईलेरिया सियाटिका अथवा नस चढ़ना मान बैठते है। फाईलेरिया के इलाज के नाम पर कई सप्ताह तक मरीज को medicine दी जाती है या फिर सही रोग पकड़ में न आने पर रोगी के पैर पर वजन लटकाने की सलाह दी जाती है, जिससे problem और और अधिक गंभीर हो जाती है। पुरुषो की तुलना में महिलाए DVT की शिकार अधिक होती है। नियमित व्यायाम न करना, गर्भ निरोधक medicine का अधिक इस्तेमाल और harmons असंतुलन के कारण के कारण भी ऐसा होता है। लम्बे समय तक ऊँची एड़ी वाले footwear पहनने से भी यह आंशका बढ़ जाती है। पैरो में लम्बे समय तक रहने वाली swelling ह्रदय रोगों की आंशका को भी दर्शाती है।

पैरो की swelling को कम करने के लिए गर्म पानी में नमक डालकर उसमे अपने पैरो को डुबोये। सोने से पहले पैरो की गर्म तेल से मालिश करे। इससे swelling व् pain में कमी आएगी। प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करने से भी रक्त संचार नियमित होता है, जो swelling व् pain में राहत देता है।

हाथो में Swelling 

हाथो व् उंगलियों में swelling एक आम परेशानी है, खासकर बढती आयु में जब body का metabolism घटने लगता है। तो यह problem आमतौर पर देखी जाती है। ऐसा एडियोपैथिक एडिमा के कारण होता है। ऐसे में हाथो के कुछ सरल व्यायाम और stretching सहायक हो सकते है। हालाकि कुछ स्थितियों में यह swelling liver व् kidni रोग का संकेत भी होती है। इसके अतिरिक्त ह्रदय रोग, गठिया, रक्त विकार, hypothyroid, रुमेटाइड अर्थराइटिस में यह एक important संकेत है। इस स्थिति में body के विभिन्न जोड़ो में swelling आ जाती है। skin infection के कारण भी ऐसा होता है। सामान्य व्यायाम व् मसाज से आराम न मिलने पर doctor से अवश्य परामर्श करे।

जीभ में swelling 

जीभ में कई कारणों से swelling आ सकती है, जैसे medicine का side effect, allergy, harmons therapy. इसे एजियोडीमा कहते है। इस स्थिति में infection skin के भीतर गहराई में पहुच जाता है। हमारी जीभ एपिथेलियम नाम की कोशिकाओ से बनी होती है। इसकी सतह पर बने टेस्ट बड्स से ही हमे खट्टे, मीठे या कड़वेपन का अहसास होता है। जब जीभ पर swelling आ जाती है तो टेस्ट बड्स भी सूज जाते है, जिसकी वजह से साँस लेने में भी परेशानी होती है। इस swelling की अनदेखी न करते हुए तुरंत doctor से contact करना चाहिए।

आँखों में Swelling

आँखों की swelling ज्यादातर infection, allergy,corneal ulcer, कन्जक्तिवाइटिस, स्टाई, टुयुमर बनने या वायरल infection के कारण होती है। आँखे body का सबसे जरूरी व् नाजुक अंग होती है। उनके उपचार में कोई जोखिम न ले। doctor की सलाह से steroid या antibiotic eye drops की मदद से आँखों की swelling को ठीक किया जा सकता है।

पेट में Swelling

पेट में swelling कब्ज, gas,carbonated drinks और food allergy के कारण हो सकती है। अधिक fast व् junk food के सेवन से भी ऐसा होता है। high processed food में sodium की मात्रा अधिक और fiber कम होता है, जो पेट में भारीपन और swelling का कारण बन जाता है। इसके अलावा blood pressure, diabetes की medicine व् hormonal therapy की वजह से भी swelling देखने को मिलती है। पेट की swelling को दूर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। खाने के बाद अजवायन में काला नमक मिलाकर खाने से पाचन एकदम दुरुस्त हो जाता है और swelling भी नही होती। अधिक शराब पीने वालो का liver सिकुड़ने की वजह से भी पेट पर swelling आ जाती है। पेशाब पीला आने लगता है। ऐसे में तुरंत doctor की सलाह ले।

Swelling को कम करने के उपाय

1-  green vegetable व् fruits के सेवन से vitamin B1 की कमी पूरी होती है। protein के लिए milk,soyabean व् दाल का सेवन लाभकारी होता है। इनके सेवन से body की प्रतिरोधक क्षमता बढती है। खून की कमी पूरी होती है, जो swelling का एक मुख्य कारण है।

2-  एडिमा की स्थिति में शराब और कैफीनयुक्त चीजो का अधिक सेवन नही करना चाहिए। इससे body में पानी की कमी हो जाती है और पानी के अवशोषण की problem बढ़ जाती है। herbal tea पीये। खासतौर पर अजवायन की चाय सबसे अच्छी मानी जाती है।

3-  body की जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन भी पानी के अवशोषण की problem को बढ़ा सकता है। अधिक नमकयुक्त चीजो के सेवन से बचे।

4-  मोटापा होने पर सबसे पहले थोड़ा वजन घटाए। एक calorie chart बनाये और उसके आधार पर खान-पान की सूची तैयार करे।

5-  रोजाना exercise करने की habit डाले। इससे पसीने के रूप में body का अतिरिक्त पानी निकल जाता है। skin भी अच्छी रहती है। घूमना-टहलना,तैराकी या नृत्य अपनी सुविधानुसार आप किसी भी exercise का चुनाव कर सकते है।

6-  body की नसों, तंत्रिकाओ और मांसपेशियों के कामकाज को control करने से sodium के साथ potassium का भी योगदान होता है। potassium के लिए रोजाना कम से कम पांच fruits और vegetable का सेवन जरुर करे। अखरोट, बादाम,मूंगफली आदि भी potassium के अच्छे स्रोत है।

7-  body में पानी के संतुलन को बनाये रखने में vitamin B6 मददगार है। brown rice व् red meat vitamin B6 के अच्छे स्रोत है।

8-  vitamin B5, calcium और vitamin D swelling को कम करने में असरकारी है। नियमित रूप से कुछ देर धूप का सेवन करे।

9-  खाने में calcium के स्तर की जाँच करे। रोजाना टोंड milk पिए। दही,मछली, हरी पतेदार vegetable और अंजीर खाए। 







Wednesday, October 21, 2015

Degree के अलावा कुछ और भी




college के दिनों में fresher होना जितना सुकून देता है, job की तलाश में उतनी ही तकलीफ देता है। government job की बात छोड़ दे तो ज्यादातर private job में freshers के लिए न के बराबर मौके होते है। यहाँ हम उन युवाओ की बात कर रहे है, जो course खत्म होने के बाद campus placement में job हासिल नही कर पाते। इनमे भी उन युवाओ की तादाद ज्यादा होती है, जिनके पास कोई professional degree नही होती। अगर आप भी fresher होने की वजह से job पाने में नाकाम हो रहे है तो कुछ बातो पर गौर करके अपनी मुश्किल दूर कर सकते है-

समझे नियोक्ता की जरूरत

अगर आप किसी company में interview के लिए जा रहे है तो उस company के बारे में कुछ research जरुर करे। freshers को नियुक्त करने के लिए अधिकांश company किसी professional पैरामीटर को आधार नही बनाती। वह उम्मीदवार में aggression और reliability को परखती है। एक multinational company में HR process से जुडकर प्रभाकर ओझा बताते बताते है,’freshers के साथ इन दिनों एक trade तेजी से नजर आ रहा है। पहली company में काम शुरू करने के तीन से चार महीने में ही वह job छोड़ देते है, ताकि नई job में अधिक सेलेरी पा सके। इस वजह से पहली company का fresher के प्रशिक्षण पर किया गया खर्च बेकार चला जाता है। इसलिए interview के दौरान नियोक्ताओ का पूरा ध्यान fresher के attitude और ambition को परखने पर होता है। इसी से नियोक्ता किसी freshers के टिकाऊपन का अंदाजा लगाते है।‘
इन बातो में freshers के लिए गौर करने वाली तीन अहम बाते है। पहली interview में अपनी बातचीत से positive attitude प्रदर्शित करे। दूसरी, अपने aim को लेकर किसी तरह का उतालवापन जाहिर न होने दे। तीसरी बात, अपनी बातो और हावभाव से नियोक्ता को यह महसूस कराए कि आप उनकी company के लिए भरोसेमंद और उपयोगी साबित हो सकते है।

College Degree तक न रहे सीमित

रोजगार चाहने वालो की तुलना में अब भी रोजगार के अवसर काफी कम है। यह बात उन रोजगारो पर भी लागू होती है, जिनके लिए degree जरूरी है। रोजगार के इन सीमित अवसरों के बीच बीते दशको में काफी शिक्षण संस्थान खुले है। फलस्वरूप उनसे degree पाने वालो की तादाद भी बढ़ी है। ऐसे में company के लिए एक जैसी degree वालो के बीच से बेहतर का चयन मुश्किल हो गया है। लिहाजा company उन युवाओ को तरजीह दे रही है, जिनके पास college degree के अलावा कोई specialization certificate या diploma भी है।

motivational speaker और carrier adviser संदीप वढेरा कहते है,’ आज के वक्त में सिर्फ college degree के बूते job पाना आसान नही है। एक example के तौर पर अगर आप software company में recruitment की मौजूदा स्थिति पर गौर करे तो आप देखेगे कि हर post के लिए computer science के सैकड़ो b.tech holders की अर्जिया HR department में पड़ी हुई है। इस स्थिति में company उन्ही application को shortlist करती है, जिनमे उन्हें ‘core sharpness’ नजर आती है। जिस उम्मीदवार के पास अपनी core field की जानकारी ज्यादा होती है, उसके चुने जाने की सम्भावना अधिक होती है। इसलिए b.tech के बाद अपनी field से जुड़ा कोई specialized certificate course करना फायदेमंद रहता है। जैसे b.tech(computer science) degree holder के लिए java, ccna या php जैसे certified course मददगार हो सकते है।

Specialized Course चुने

specialized course का फायदा सिर्फ technical degree तक सीमित नही है। यह BA और B.com जैसी पारम्परिक degree के साथ भी समान रूप से फायदेमंद है। वढेरा बताते है,’आजकल graduate के लिए तमाम तरह के certificate और diploma course उपलब्ध है’। इनमे retail management, travel and tourism, sales and marketing, public relation और ticketing and reservation जैसे कई core field शामिल है। graduation के बाद इनमे 6 month से लेकर एक साल तक कोई course किया जा सकता है।

गंभीरता से ले college की activity 

college का मतलब सिर्फ उंचे दर्जे की पढाई नही है। इसका एक मतलब उस ठौर से है भी है, जहा student को एक छोटी अवधि के लिए अपने personality को नये आयाम देने का मौका मिलता है। इसलिए college time में इन अवसरों को गंभीरता से लेना जरूरी है। DU के Dr. BR ambedakar college में economics की associate professor Dr. hareesh के मुताबिक- जब student को college की cultural या दुसरे fest से जोड़ा जाता है तो एक मकसद student को management की बुनियादी समझ देना भी होता है। fest organization करने के लिए student एक team के रूप में काम करते हुए फण्ड जुटाते है। फिर fund को बेहतर तरीके से इस्तेमाल में लाने के लिए planing करते है। इस पूरी कवायद में वह management के साथ-साथ presentation, अपने काम की marketing और दुसरो को राजी करने का हुनर सीख पाते है। college life में मिले इस हुनर का पेशेवर दुनिया में काफी important होता है।

Internship Training

work-experience के लिए कही internship तो कही apprentice का नाम दिया जाता है। इस training मकसद यही होता है कि आपने अभी तक अपने courses के दौरान जो पढ़ा है, उसे practically करके उसका experience लेना यानि यह देखना कि industry में काम कैसे किया जाता है। जो युवा इस तरह की training को संजीदगी से पूरा करते है, वे कभी-कभी उसी संस्थान में job का offer भी पा जाते है।

Skill से मिलेगी कामयाबी

company recruitment process के दौरान test और interview के जरिये मोटे तौर पर तीन ही चीजे परखती है-attitude, knowledge और skill. यहा attitude की परख का मतलब होता है उम्मीदवार में सही समय में सही निर्णय लेने की क्षमता को जांचना। interview में एक सवाल अक्सर पूछा जाता है-आपको क्यों चुना जाए? ऐसे मौके पर उम्मीदवार के पास workshop में मिले experience के आधार पर अपनी knowledge(industry संबंधी) को दर्शाने का मौका होता है। इसी तरह ईसीए से अर्जित किया हुआ experience company की ‘skill’ की मांग को पूरा करता है।

 Workshop का हिस्सा बने

आजकल college में workshop और project work पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा है। project work करने से student यह जान पाते है कि उन्होंने classroom में क्या और कितना सीखा है। class में सबके सामने project work present करने से confidence बढ़ता है और स्टेज फोबिया भी दूर होता है। इसी तरह workshop में शामिल होने से अपने subject की practical field को समझने और उसकी चुनौतियों को पहचानने का मौका मिलता है। समग्रता में इन दोनों कार्यो को देखे तो इनसे student को नये कौशल विकसित करने का अवसर मिलता है।



Tags:   Interview 






Sunday, October 18, 2015

लोग आपकी क्यों नही सुनते? Log Apki Kyon Nhi Sunte?





जब किसी बच्चे की बात को seriously से सुना जाता है, तो अपनी नजरो में वह थोडा और उपर उठ जाता है। लेकिन इसके लिए उन्हें सुना जाना प्रमुख और important बात है। व्यस्को पर भी यह बात लागू होती है। अगर आप अपनी बात से किसी का ध्यान कुछ देर के लिए खुद पर रोक नही पाते, तो खुद को बिलकुल अच्छा नही लगता। दरअसल इसका एक मतलब यह भी होता है कि आगे चलकर लोग आप पर ही ध्यान देना बंद कर दे।
अगर आपको लगता है कि आपकी तो कोई सुनता ही नही, तो सोचिये कि इसका कारण क्या हो सकता है? इसका मतलब यह नही है कि इसका कारण हम दुसरो में खोजने लगे, ना ही इसका इसका एक मतलब यह है कि आप गलत है। problem है संवाद की और यह सब जानते है कि संवाद एक दोतरफा प्रकिया है। इसके ध्यान में रखते हुए घर हो या office मुझे ऐसे सात कारण समझ में आते है, जिनके कारण हो सकता है कि लोग आपकी बात पर ध्यान नही देते हो-
1-  अगली बार जब आप अपनी बात किसी किसी से कहना शुरू करे, तो एक बात पर गौर करे। कही आपकी शुरुआत उलझी हुई तो नही होती? इस कारण बात पहली बार में ही जमती नही। आप बात कुछ यूँ शुरू करते है उसमे निहित सन्देश लोगो को खोजे नही मिलता। कुछ ऐसे कि मानो माला पिरोते समय एक गांठ लगाना भूल गये और पूरी बात बिखरकर रह गई।
2-  हो सकता है कि उसी समय किसी और चीज ने उनका ध्यान अपनी ओर खीच लिया
3-  वे आपकी बात में रूचि नही रखते , लेकिन वे इसे आपसे कह नही पा रहे है। 
4-  वे दिनभर इतने लोगो को सुनते है कि ना चाहते हुए भी उनका ध्यान बंट जाता है।
5-  हो सकता है कि आप जो कह रहे है, उस person की उससे जुडी कुछ निजी धारणाये हो।
6-  आपने अपनी बात कहना उस समय शुरू किया, जब person सुनने के लिए पूरी तरह तैयार नही हो पाया था।
7-  आप दुसरे person पर कुछ ज्यादा ही जवाब डाल रहे हो, क्योकि tension के चलते लोग किसी बात पर ध्यान देना बंद कर देते है।
इन सारे कारणों का हल भी निकाला जा सकता है। इसके लिए अपनी बात कहते समय आप थोड़ी सतर्कता बरतने की आदत डाले, ताकि आपकी बात से ध्यान हटाने वाली हर बाधा को आप तुरंत रफा-दफा कर सके। अगर चाहते है कि लोग आपकी बात को एक समझदार person का नजरिया मानकर ध्यान से सुने, तो अपने में कुछ तरीके से  बदलाव जरुर कर सकते है-
1-  तर्कों में अति ना करे। इसे कम करके केवल एक बिंदु बनाये। यह जरूरी है कि आप भी इस एक बिंदु से सहमत हो। फिर यदि स्पष्टा है तो कहे। फिर यह समझने की कोशिश करे कि क्या आपकी यह बात सुनी गई? अगर आपको लगता है कि वे आपकी बात नही सुन रहे, तो एक बार मुद्दे पर उनकी राय भी पूछे। किसी भी कीमत पर एक साथ बहुत सारे पक्ष- विपक्ष के साथ बात न करे, वरना वे एक-दो वाक्यों के बाद ही ध्यान देना बंद कर देगे। 
2-  कहते है बात हमेशा मौका और दस्तूर देखकर की जाती है। आप अपनी बात तब कहे, जब सुनने वालो का ध्यान एक से अधिक चीजो पर ना हो। कई बार यह मुश्किल काम ही होता है। ऐसे में यह बिलकुल ना पूछे कि क्या आपके पास एक minute है? क्योकि अधिकतर लोग नम्रता में हाँ तो कह देगे,पर आपकी बात को seriously से सुने, मुश्किल ही है।
3-  बहुत सारे लोग ऐसे होते है, जो सुनने की acting में माहिर होते है। दरअसल हर आदमी उनसे 2 minute बतियाना चाहता है। ऐसे में वह यह आदत develop कर लेते है। ऐसे लोग भी आपकी बात में रूचि ले, ऐसा चाहते है, तो उनसे अपनी बात कहिये, जिनकी बात पर वे अति व्यस्त लोग भी ध्यान देते है।
4-  जो लोग आपकी बात में रूचि दिखाए, उन्हें ही अपनी बात सुनाये, वरना उत्साह कम ही होगा। उनकी अनिच्छा होते हुए भी उन्हें आपकी बात सुननी पड़ी, इस पर नाराजगी भी हो सकती है। इससे बेहतर है कि आप उनसे पूछ ले। अगर उन्होंने ना कहा भी, तो कम से कम आपके और उनके बीच इमानदारी का रिश्ता तो कायम हो ही जायेगा।
5-  अपनी बात से किसी की दुखती रग को छू देना बहुत अच्छी बात नही है। अगर ऐसा हो, तो क्षमा मागते हुए वहां से हट जाए। उसकी भरपाई करने वाले तर्क ना दे।
6-  अगर आप गलत वक्त पर अपनी बात शुरू कर बैठे है और अचानक यह बात आपको पता चलती है, तो अपनी बात वही रोक दे। अपनी बात पूरी करने के लिए अड़े रहना अच्छा सन्देश प्रेषित नही करेगा।
7-  अपनी बात कहने के लिए बहुत ज्यादा कोशिश ना करे। कई बार ज्यादा दबाव से और विरोध ही मिलता है। इसे भांपकर अपनी बात को आगे के लिए टाल दे। इसका मन्त्र यही है कि पहले एक जुडाव बनाया जाये। थोडा निजी और serious वातावरण बनने दे। जब कोई अपने बंधे हाथ आराम से खोलकर बात करने लगे, जब कोई आपकी आँखों में देखकर बात करने लगे या मुस्कराने लगे, तो इसका मतलब एक जुड़ाव बन चुका है। अब वह आपकी बात सुनेगा भी। आशा करता हूँ कि मेरे इन तरीको से आपकी खुद से यह complain खत्म होगी कि लोग आपकी सुनते नही। ख़ुशी की राह पर आगे बढ़ते रहे।


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