Wednesday, January 27, 2016

Fattiness (मोटापा) बीमारी का घर


हमारे देश में ज्यादातर लोग इस बात को स्वीकार नही करते कि उनकी तोंद बढ़ रही है। शायद वे इस बात से भी अनजान है कि कमर का बढ़ता आकार उनके health के लिए काफी हानिकारक है। देश और दुनिया के स्तर पर हुए कई research साफ तौर पर यह कहते है कि पेट के उभार का सीधा सम्बन्ध उच्च रक्तचाप, heart सम्बन्धी और मधुमेह से है।

दुनिया भर में हुए research में यह सामने आया कि पुरुषो में तोंद ज्यादा होती है। वही महिलाओ में कुल्हे के आसपास अधिक मांस होता है। india में यह आंकड़ा कुछ उल्टा है।  यहाँ छ राज्यों( rural व् urban राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र और कर्नाटक) में 7000 लोगो पर किये गये research से सामने आया है कि india में पुरुषो की तुलना महिलाओ की तोंद अधिक है। पेट पर उभरा यह मांस 50 वर्ष की आयु के बाद हर चार में से एक माहिला के health के लिए खतरा बन रहा है। online journal BMJ open में एक महीने पहले इस study की report छापी गई है। इसके अनुसार study में शामिल लोगो में से 14% ओवरवेट यानि तय सीमा से अधिक वजन वाले लोग थे। इनमे हर तीन में से एक की तोंद (35.4 इंच से अधिक कमर पुरुषो में, 31.4 इंच से अधिक कमर महिलाओ में) थी। लगभग दो तिहाई(69%) तोंद वाली महिलाये अमीर family की थी, जबकि करीबन आधी यानि 46% महिलाए माध्यमवर्गीय व् निम्न मध्यमवर्गीय family से थी।

बीमारियों से सम्बन्ध

ज्यादा परेशान करने वाले तथ्य उस study से पता चलते है, जो अब तक प्रकाशित नही हुआ है। यह study all india institute of medical science यानि AIIMS दिल्ली ने किया है। यह 20 से 60 साल के आयु वर्ग के 500 से अधिक लोगो पर किया गया। इस study में सामने आया कि पेट पर बढ़ता मांस महिलाओ के लिए कई बीमारियाँ की जद में आने का खतरा बन सकता है। इस study में शामिल रहे AIIMS में अतिरिक्त professor doctor नवल विक्रम कहते है,’ हमने इस study में पाया कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और heart सम्बन्धी बीमारियाँ होने का खतरा बढ़ी तोंद वाले पुरुषो में 12 गुना व् महिलाओ में 20  गुना अधिक हो जाता है।

पेट पर जो मांस जमा है, उसके स्वरूप से भी बीमारियों के खतरे से आगाह किया जा सकता है। गुडगाँव के मेदांता hospital में clinical एवं priventive cardilogy के अध्यक्ष doctor आर आर कासलीवाल कहते है,’ आंत्र से निकलता fat, खून में fatty acids release करता है। यह blood glucose और रक्तचाप को बढ़ाते है, बल्कि कुछ estrojan sensitive cancer जैसे रजोनिवृति के बाद breast और गर्भाशय के cancer के खतरे को बढ़ा देते है।‘

कैसे बढ़ी problem

फोर्टिस सी-डॉक के अध्यक्ष doctor अनूप मिश्रा (जिन्होंने AIIMS में अपने कार्यकाल के दौरान अध्ययन करने वाले दल की अध्यक्षता की थी) के अनुसार,’ india में हमने जो अध्ययन किया, उसमे पुरुषो के कमर का size 78cm निर्धारित किया था और महिलाओ के लिए 72cm. जो भी इससे कम इससे अधिक कमर वाले पाए गये, वे अच्छा वजन होने के बावजूद भी कम से कम एक metabolism बीमारी की जद में आने के खतरे में थे।‘

कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय study भी बढती कमर और heart सम्बन्धी बीमारियों व् मधुमेह के सम्बन्ध को स्वीकार करते है। अमेरिका में हुए एक study में 45,000 महिलाओ का 16 साल के लिए study किया गया। इसमें पाया गया कि बढ़ी कमर वाली महिलाये(35 इंच या इससे अधिक कमर) heart attack से मरने के दोगने खतरे में थी, अपेक्षा उन महिलाओ से, जिनकी कमर 28 इंच से कम थी। यह research नर्सेज health study में छपा था। doctor विक्रम कहते है,’ जब हमारा body fat collect करता है तो उसके कई कारण हो सकते है। यह आनुवंशिक हो सकता है या फिर हार्मोन्स के कारण भी। हालाकि सबसे प्रमुख कारण खान-पान पर नियंत्रण है। अच्छे वजन वाले fit लोगो की भी तोंद हो सकती है, इसलिए packet वाले भोजन से बचना चाहिए और शारीरिक तौर पर अधिक परिश्रमी होना चाहिए, ताकि body शेप में रहे।‘ tension पर control और पूरी नीद भी इसमे अहम रोल अदा करती है। doctor कासलीवाल कहते है,’ कुल मिलाकर सब कुछ healthy lifestyle पर निर्भर करता है। जिस तरह से आप  जीते है,’ वह आपके स्वास्थ्य पर भी झलकता है। इसलिए जितना जल्दी आप tension free life जीना आरम्भ करेगे, उतनी जल्दी आपका body सही आकार में आ जायेगा।‘

Fat होने की वजह

1-  अगर आप प्रतिदिन 6 से 7 घंटे की नीद नही ले रहे है।
2-  trans fat वाला food, packet वाला खाना, प्रिजरवेटिव वाला food अधिक मात्रा में कर रहे है।
3-  fruits और vegetable का पर्याप्त मात्रा में सेवन नही कर रहे।
4-  दिन में दो गिलास से ज्यादा शराब पी रहे है।
5-  अत्यधिक tension में है और शारीरिक श्रम नही कर रहे है।
बढ़ता खतरा

आंत्र द्वारा निकला fat body के भीतर ही जमा होता जाता है। पेट के भीतर यह liver, kidni और आंत के आसपास जमा हो जाता है। इसके कारण metabolic बदलाव होते है, जो टोटल colestral बढ़ता है और HDL यानि अच्छा colestral कम हो जाता है। इससे रक्तचाप बढ़ता है और body की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

पांच तरीके Flat पेट के लिए

personal trainer शालिनी भार्गव कहती है कि पेट को flat करने में समय लगता है। इसके लिए आपको वचनबद्ध एकाग्र और धैर्यवान बनना होगा। इसके लिए ये उपाय अपनाये-
1-  पेट की fat कम करने में सबसे कारगर है एरोबिक व्यायाम। पेट के व्यायाम करे।
2-  स्टेबिलिटी ball और doubles की मदद से catch करे।
3-  पेट का मध्य भाग पेट की bones से बना होता है। यह bones आपकी कमर और उसके निचले भाग की bones को मिलाकर करीब 15 bones से मिली होती है, इसलिए प्लेक्स करे।
4-  जब भी चले या बैठे तो सीधे बैठे। जब भी चले या व्यायाम करे तो पेट को अंदर की ओर सिकोड़े।
5-  अधिक से अधिक fiber खाए। प्रतिदिन 10 ग्राम fiber लेने से पेट में 4% कम fat जमा होगी। दो सेब या दो cup ब्रोकली आपको 10 ग्राम fiber दे सकते है। 





Friday, January 22, 2016

Professional हो आपका नजरिया


Entrance exam और interview में success होकर आपने मनपसन्द job हासिल कर ली। अब अपने हुनर और कौशल को प्रदर्शित करने की बारी है। दरअसल पहली job एक ऐसा आधार है, जो carrier की नीव रखती है। साथ ही यह जीवन का एक नया फेज है, जिसमे आप student life से निकलकर profession दुनिया में कदम रखते है। इस बदलाव के समय में जरूरी है कि आप सजग, सहज और सबल रहे। आईये जानते है job मिल जाने के बाद office में किन बातो का ख्याल रखना चाहिए।

पहला impression हो अच्छा

‘first impression is a last impression’ ये कहावत तो आपने सुनी होगी। यह बात तो सौ फीसदी सच है। job के शुरूआती दिनों में आपकी जैसी छवि बनती है, उसी के आधार पर लोग आपके काम का आकलन करते है। हालाकि अपनी छवि को बदला भी जा सकता है, लेकिन तब इसके लिए काफी मेहनत करनी पडती है। इसलिए आप हर तरह से  अच्छे और मेहनती होने का परिचय दे। आपके हाव-भाव और पहनावे से एक पेशेवर की झलक आनी चाहिए।

समय के हो पाबंद

सबसे अहम है समय की पाबंदी। इस बात का खास ध्यान रखे कि आप office कभी देर से न पहुंचे। job join करने के बाद नये कर्मचारियों पर HR और boss की विशेष नजर रहती है, इसलिए इस बात का ध्यान रहे कि office पहुंचने में देर न हो। भले ही तय समय से कुछ पहले office पहुंच जाए। college में पहला period निकल जाने के बाद पहुंचना चल जाता था, लेकिन office में यह रवैया नही चल सकता।

माहौल के हिसाब से चले

हर office का अपना अलग अंदाज और माहौल होता है, अलग संस्कृति होती है। job मिलने के बाद सबसे पहले आप अपने office के तौर- तरीके सीखे। वहां के माहौल का अध्ययन करे और उसके अनुसार ही अपना व्यवहार रखे। दूसरो के काम में ताक-झांक न करे और अपने काम से मतलब रखे।

Professional हो नजरिया

आपको इस बात का अंदाजा होगा कि carrier में सफलता के लिए professional नजरिया रखना कितना जरूरी है। लेकिन professionalism का मतलब होता क्या है? शायद ही कोई शिक्षण संस्थान professionalism सीखाता है। यह आपको खुद सीखना होगा। दूसरो को देखकर, उनके संपर्क में आकर। professional नजरिया रखने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप अपनी संस्था के सांस्कृतिक मानदंडो को समझे और उनका अनुसरण करे। अपने सहकर्मियों के साथ विनम्रता के साथ पेश आये। जिन्हें नही पसंद करते, उनके साथ भी विनम्र रहे। आपके साथ अच्छा व्यवहार न करने वाले लोगो के साथ भी विनम्रता से ही पेश आये। इसमे आप कही ज्यादा पेशेवर दिखेगे।
professional नजरिया रखने के लिए यह भी जरूरी है कि आप काम को गम्भीरता से ले। यदि कोई गलती हो जाती है तो उसकी जिम्मेदारी ले। समय पर काम पूरा करके देने की कोशिश करे, लेकिन यदि पूरा न कर पाए तो उसकी जानकारी समय रहते जरुर दे।

काम समझे

आप अपना काम जिम्मेदारी के साथ और professionally करे, इसके लिए जरूरी है कि आपको अपने काम की समझ हो। कई बार उत्साह में freshers कुछ का कुछ कर बैठते है, इसलिए पहले अपने boss के साथ बैठकर अपना काम अच्छी तरह समझ ले। कही शंका हो तो उसे भी दूर करे। यदि कुछ नया करना चाहते है तो अपने ideas boss के साथ share करे। कही ऐसा न हो कि उत्साह में आकर आप दूसरो के काम भी अपने हाथ में ले ले और team का माहौल ख़राब हो जाए। नई job में इसकी सम्भावना ज्यादा रहती है, इसलिए उनसे जाने कि आपकी जिम्मेदारियां क्या है।

रहे HR के संपर्क में

job join करने के एक महीने बाद तक कुछ कागजी प्रकियाए और फॉर्म भरने का काम चलता रहता है। इसके लिए सजग रहे और अपने सभी जरूरी दस्तावेजो की copy अपने पास रखे। इस बात का भी ध्यान रखे कि आपकी उपस्थिति लग रही है या नही। यदि आपके लिए अब तक उपस्थिति लगाने की प्रकिया पूरी नही हो पाई है तो HR से इस बारे में बात कर ले, ताकि वेतन में कटौती न हो।

कम ले छुट्टिया

college में आपने खूब क्लास बंक की होगी, पर अब आपको अपनी यह आदत बदलनी होगी। boss और HR ऐसे कर्मियों को बिलकुल पसंद नही करते, जो बार-बार छुट्टिया लेते है। इस तरह आप उनकी गुड-बुक में भी शामिल नही हो पायेगे। इसलिए जब तक जरूरी न हो, अतिरिक्त छुट्टिया न ले।

Gossip का हिस्सा न बने

job मिलने के बाद office में आपके नये दोस्त भी बनेगे। नये दोस्त आपको अपने साथ gossip का हिस्सा भी बनाने का कोशिश करेगे। ऐसे में बेहतर यह होगा कि आप एक professional डेकोरेम का पालन करे। उनकी बाते सिर्फ सुने, कोई प्रतिक्रिया न दे। सहज रहे और कहे कि आपको इस बारे में कोई जानकारी नही।

यदि आपको लगता है कि इसके बारे में manager को बताना चाहिए तो जरुर बताये, लेकिन उस person का नाम न बताये। साथ ही office के friends के बीच कभी personal बाते न करे।

Feedback ले

feedback लेना आपके काम का ही हिस्सा है। आज के समय में तो यह HR system का हिस्सा बन चुका है। आपके काम का आकलन कर आपका reporting manager अच्छी बातो के साथ negative comment भी करता है। negative feedback आपके अनदेखे अंधेरे पक्षों को उजागर करता है। यदि संभव हो तो आगे बढकर अपने senior officer से कुछ खास point को स्पष्ट करने के लिए कहे, ताकि वे आपसे क्या चाहते है, इसे आप स्पष्ट तरीके से समझ सके। इससे आपको उस मोर्चे पर सुधार करने में मदद मिलेगी।

न दिखाए जल्दबाजी

हो सकता है कि आपके दफ्तर का समय 5 बजे खत्म हो जाता है, लेकिन यदि अतिरिक्त आधे घंटे रुकने से जरूरी अधुरा काम पूरा हो जाता है तो आप office time के बाद भी थोड़ी देर जरुर रुके। इसका मतलब यह नही है कि आप अपनी personal जिदगी के प्रति संवेदनशील न रहे, लेकिन office का काम सिर्फ इसलिए अधुरा न छोड़े, क्योंकि आपके घर जाने का समय हो गया है।

Positive हो Behaviour

व्यक्ति का आचार, विचार व् behaviour उसके personality को दर्शाता है। job में कदम रखने वाले freshers के लिए तो ये विशेष गुण खास मायने रखते है। दरअसल ये वह गुण है, जो उनके carrier की दिशा व् दशा तय करने में मददगार साबित होते है। आमतौर पर जब कोई युवा किसी company में पहली job या training के लिए जाता है तो workplace के माहौल से पूर्णतया अनभिज्ञ होता है। खुद को ऐसे माहौल में ढालना और अपने व्यवहार से seniors के दिलो तक पहुचने की खूबी ही उनकी राह आसान करती है। वैसे यह काम मुश्किल भी नही है। बस इसके लिए कुछ बाते ध्यान रखना जरूरी है। जैसे-

·         office में ऊँची आवाज में बात न करे।

·         अंहकार न पाले, इससे office का माहौल negative होता है।

·         office के समय में फोन पर कम से कम निजी बाते करे। फ़ोन की आवाज भी धीमी रखे। फोन साइलेंट मोड पर भी रख सकते है।

·         आपके behaviour में भी ऐसी खूबियां दिखनी चाहिए, जो company की growth में मददगार हो।

·         आपके हाव-भाव में यह दिखना चाहिए कि आप अच्छे श्रोता है।

·         boss की बाते सुनकर उनके विचारो को अमल में लाने की कोशिश करे।

·         company की बेहतरी के लिए कुछ योजनाये हो तो वे भी share करे।

·         office में काम करने वाले सभी कर्मियों का सम्मान करे, खासकर महिलाओ के साथ अपना आचरण मर्यादित रखे।

·         अपने पद की गरिमा बनाये रखे।                                                                                                                                                                                                                                

work Place में इन गलतियों से बचे





   
   












          

Monday, January 18, 2016

Problem: कितनी सच,कितनी झूठ


एक bus driver bus चला रहा था। लम्बा रूट था, bus सामान्य रूप से रास्ता तय कर रही थी। passenger चढ़ उतर उतर रहे थे। अगले स्टॉप पर एक हट्टा-कट्टा person bus में चढ़ा। देखने में वह पहलवान की तरह लग रहा था। जब उससे टिकट लेने के लिए कहा तो वह conductor की ओर देखकर बोला, ‘मै टिकट नही लेता!’ यह कहकर वह पीछे की सीट पर बैठ गया।

conductor ने कुछ नही कहा, पर वह दुखी हो गया। अगले दिन भी ऐसा ही हुआ। उसने टिकट लेने से मना कर दिया। लगातार ऐसा ही चलता रहा। conductor डर के कारण चुप रहता। driver को यह अच्छा नही लग रहा था कि एक गरीब conductor का इस तरह वह व्यक्ति फायदा उठा रहा है। अंत में जब उससे रहा नही गया तो उसने body building course में दाखिला ले लिया और वह जुडो- कराटे सीखने लगा। छ माह में वह मजबूत बन गया और अपने बारे में अच्छा महसूस करने लगा।

अगले दिन जब वह person दोबारा आया तो conductor ने टिकट के बारे में पूछा। व्यक्ति ने फिर वही जवाब दिया। driver bus रोककर खड़ा हो गया। वह व्यक्ति से बोला, तुम क्यों नही दोगे पैसे?
व्यक्ति ने हैरानी से driver की ओर देखा और कहा- ‘मेरे पास bus pass है।‘


हंसी आ रही है ना, पर हम भी ऐसा ही करते है। भूल जाते है कि problem का हल करने की दिशा में मेहनत, समय और संसाधन लगाने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना जरूरी होता है कि वास्तव में problem है भी या नही। बिना स्थिति को समझे कदम बढ़ाना कई बार अपने व् दूसरो के लिए problem बन जाता है। 






Sunday, January 17, 2016

Change the Thought of Preconception(पूर्वाग्रह)


निजी और पेशेवर जिन्दगी में धारणाये काफी मायने रखती है। हमारी प्रवृति का अंश होने के कारण इनसे पूरी तरह बचा नही जा सकता, लेकिन इनके होने वाले प्रभाव को जरुर कम कर सकते है। लम्बे समय तक पूर्व बनी धारणाओं के साथ जीने का अर्थ है- पूर्वाग्रह का जन्म। पूर्वाग्रह हमे सहज होने से रोकते है, सामाजिकता का दायरा संकुचित करते है। नतीजा, हम जिन्दगी का एक अरसा फिजूल की दिमागी कसरत में गंवा बैठते है।

कैसे बनते है पूर्वाग्रह

हम जब भी किसी person से मिलते है, तो जाने-अनजाने उसके हाव-भाव और आचार-विचार पर गौर करते है। इसके हमारे भीतर उस person के प्रति एक धारणा बनती है। यह positive या negative रूप में हमारे मन के किसी कोने में बैठ जाती है। फिर जब भी हम किसी नये person से मिलते है, कोई धारणा बनाते है, तो पुरानी धारणाये पुष्ट होती है, तो हम उसका आधार बनने वाली बातो को ‘मापदंड’ मान लेते है। फिर उस ‘मापदंड’ के दायरे में आते ही अनजान-से-अनजान person के बारे में भी राय कायम कर लेते है। अपने ‘मापदंडो’ के प्रति यह विश्वास ही पूर्वाग्रह है।

पूर्वाग्रह को पीछे छोड़े

·         हमारे पूर्वाग्रह कई बार सटीक साबित होते है। लेकिन इस बात को हमे किसी सार्वभोमिक सत्य की तरह नही अपनाना चाहिए। जीवन में एक-सी नजर आने वाली बातो का निष्कर्ष हमेशा 2+2 के परिणाम जैसा हो, यह जरूरी नही है। यही वजह है कि  एक पल में एक person काफी लोगो के लिए अच्छा भी होता है और बुरा भी।

·         विवेक और चिंतन प्रक्रिया को क्रियाशील रखकर पूर्वाग्रह से मुक्ति संभव है। इनकी क्रियाशीलता हमे वर्तमान में ही सोचने-समझने को प्रेरित करती है। हर नई स्थिति को नये तरीके से देखने के लिए प्रेरित करती है।

·         आध्यात्मिक गुरु श्री चिन्मय खुश रहने के लिए आकलन से बचने पर जोर देते है। वह कहते है कि जब आप हर person या चीज का अपनी दृष्टि से आकलन करने लगते है, तब आप खुशियों से दूर होने लगते है। इसलिए कभी किसी से मिले, तो उसे समझने से ज्यादा जानने का प्रयास करे। analysis तभी कारगर होता है, जब वह पर्याप्त जानकारियों पर आधारित हो। इसलिए निरपेक्ष भाव से पहले ज्यादा जानने का प्रयास करे।

भ्रम का भंवर है पूर्वाग्रह

·         पूर्वाग्रह काफी हद तक अंधविश्वास जैसे होते है, क्योकि इनके पीछे कोई वैज्ञानिक आधार नही होता। इस वजह से कई बार हम अच्छे लोगो को भी नाकाबिल या ख़राब मान बैठते है। आइन्स्टाइन की एक मशहूर उक्ति है, हर person प्रतिभावान है। लेकिन जब आप किसी मछली की काबिलियत पेड़ पर चढने की उसकी क्षमता से आंकते है, तो जीवन इसी भ्रम में बीतता है कि वह नाकाबिल है।

·         पूर्वाग्रह की बुनियाद में संदेह की प्रचुरता होती है, जिसके कारण निजी और पेशेवर जिन्दगी शंकाओ भंवर में उलझने लगती है।


·         कभी-कभी अलग-अलग वर्ग, क्षेत्र या भाषा विशेष के लोगो के बीच tension की बाते सुनने को मिलती है। इनकी बुनियाद में आमतौर पर पूर्वाग्रह ही होते है, जो एक-दुसरे से जुड़ने से रोकते है।






Tuesday, January 12, 2016

Swami Vivekananda स्वामी विवेकानंद




स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 (विद्वानों के अनुसार मकर संक्रान्तिसंवत् १९२०)[6] को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अँग्रेजीपढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढर्रे पर चलाना चाहते थे। परन्तु उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से ही बड़ी तीव्र थी

बचपन से ही नरेन्द्र अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि के तो थे ही नटखट भी थे। अपने साथी बच्चों के साथ वे खूब शरारत करते और मौका मिलने पर अपने अध्यापकों के साथ भी शरारत करने से नहीं चूकते थे। उनके घर में नियमपूर्वक रोज पूजा-पाठ होता था धार्मिक प्रवृत्ति की होने के कारण माता भुवनेश्वरी देवी कोपुराण,रामायण, महाभारत आदि की कथा सुनने का बहुत शौक था। कथावाचक बराबर इनके घर आते रहते थे। नियमित रूप से भजन-कीर्तन भी होता रहता था। परिवार के धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के प्रभाव से बालक नरेन्द्र के मन में बचपन से ही धर्म एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे होते गये। माता-पिता के संस्कारों और धार्मिक वातावरण के कारण बालक के मन में बचपन से ही ईश्वर को जानने और उसे प्राप्त करने की लालसा दिखायी देने लगी थी। ईश्वर के बारे में जानने की उत्सुकता में कभी-कभी वे ऐसे प्रश्न पूछ बैठते थे कि इनके माता-पिता और कथावाचक पण्डितजी तक चक्कर में पड़ जाते थे।

1881 में नरेंद्र पहली बार रामकृष्ण से मिले, जिन्होंने नरेंद्र के पिता की मृत्यु पश्च्यात मुख्य रूप से नरेंद्र पर आध्यात्मिक प्रकाश डाला। 

जब William Hastie जनरल असेंबली संस्था में William Wordsworth की कविता पर्यटनपर भाषण दे रहे थे, तब नरेंद्र ने अपने आप को रामकृष्ण से परिचित करवाया था
जब वे कविता के एक शब्द “Trance” का मतलब समझा रहे थे, तब उन्होंने अपने विद्यार्थियों से कहा की वे इसका मतलब जानने के लिए दक्षिणेश्वर में स्थित रामकृष्ण से मिले उनकी इस बात ने कई विद्यार्थियों को रामकृष्ण से मिलने प्रेरित किया, जिसमे नरेंद्र भी शामिल थे

स्वामी विवेकानन्द अपना जीवन अपने गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे। उनके गुरुदेव का शरीर अत्यन्त रुग्ण हो गया था। गुरुदेव के शरीर-त्याग के दिनों में अपने घर और कुटुम्ब की नाजुक हालत व स्वयं के भोजन की चिन्ता किये बिना वे गुरु की सेवा में सतत संलग्न रहे।

वे व्यक्तिगत रूप से नवम्बर 1881 में मिले, लेकिन नरेंद्र उसे अपनी रामकृष्ण के साथ पहली मुलाकात नहीं मानते, और ना ही कभी किसी ने उस मुलाकात को नरेंद्र और रामकृष्ण की पहली मुलाकात के रूप में देखा. उस समय नरेंद्र अपनी आने वाली F.A.(ललित कला) परीक्षा की तयारी कर रहे थे जब रामकृष्ण को सुरेन्द्र नाथ मित्र के घर अपना भाषण देने जाना था, तब उन्होंने नरेंद्र को अपने साथ ही रखा परांजपे के अनुसार, ”उस मुलाकात में रामकृष्ण ने युवा नरेंद्र को कुछ गाने के लिए कहा था और उनके गाने की कला से मोहित होकर उन्होंने नरेंद्र को अपने साथ दक्षिणेश्वर चलने कहा
31 मई, 1883 को वह अमेरिका गए 11 सितंबर, 1883 में शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में उपस्थित होकर अपने संबोधन में सबको भाइयों और बहनों कह कर संबोधित किया इस आत्मीय संबोधन पर मुग्ध होकर सब बड़ी देर तक तालियां बजाते रहेवहीं उन्होंने शून्य को ब्रह्म सिद्ध किया और भारतीय धर्म दर्शन अद्वैत वेदांत की श्रेष्ठता का डंका बजाया उनका कहना था कि आत्मा से पृथक करके जब हम किसी व्यक्ति या वस्तु से प्रेम करते हैं, तो उसका फल शोक या दुख होता है. अत: हमें सभी वस्तुओं का उपयोग उन्हें आत्मा के अंतर्गत मान कर करना चाहिए या आत्म-स्वरूप मान कर करना चाहिए ताकि हमें कष्ट या दुख न हो

अमेरिका में चार वर्ष रहकर वह धर्म-प्रचार करते रहे तथा 1887 में भारत लौट आएभारतीय धर्म-दर्शन का वास्तविक स्वरूप और किसी भी देश की अस्थिमज्जा माने जाने वाले युवकों के कर्तव्यों का रेखांकन कर स्वामी विवेकानंद सम्पूर्ण विश्व के जननायक बन गए

वे केवल सन्त ही नहीं, एक महान देशभक्त, वक्ता, विचारक, लेखक और मानव-प्रेमी भी थे। अमेरिका से लौटकर उन्होंने देशवासियों का आह्वान करते हुए कहा था-"नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से, भड़भूँजे के भाड़ से, कारखाने से, हाट से, बाजार से; निकल पडे झाड़ियों, जंगलों, पहाड़ों, पर्वतों से।" और जनता ने स्वामीजी की पुकार का उत्तर दिया। वह गर्व के साथ निकल पड़ी। गान्धीजी को आजादी की लड़ाई में जो जन-समर्थन मिला, वह विवेकानन्द के आह्वान का ही फल था। इस प्रकार वे भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के भी एक प्रमुख प्रेरणा-स्रोत बने। उनका विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहीं बड़े-बड़े महात्माओं व ऋषियों का जन्म हुआ, यही संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं-केवल यहीं-आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिये जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है। उनके कथन-"उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये।"

विवेकानंद ओजस्वी और सारगर्भित व्याख्यानों की प्रसिद्धि विश्व भर में है। जीवन के अन्तिम दिन उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की व्याख्या की और कहा-"एक और विवेकानन्द चाहिये, यह समझने के लिये कि इस विवेकानन्द ने अब तक क्या किया है।" उनके शिष्यों के अनुसार जीवन के अन्तिम दिन 4 जुलाई 1902 को भी उन्होंने अपनी ध्यान करने की दिनचर्या को नहीं बदला और प्रात: दो तीन घण्टे ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली। बेलूर में गंगा तट पर चन्दन की चिता पर उनकी अंत्येष्टि की गयी। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का सोलह वर्ष पूर्व अन्तिम संस्कार हुआ था।

उनके शिष्यों और अनुयायियों ने उनकी स्मृति में वहाँ एक मन्दिर बनवाया और समूचे विश्व में विवेकानन्द तथा उनके गुरु रामकृष्ण के सन्देशों के प्रचार के लिये 130 से अधिक केन्द्रों की स्थापना की।






Sunday, January 10, 2016

Fear के आगे Happy



विक्टर फ्रेंकल ने एक कॉन्संटेशन कैप में 3 साल बिताये। उन्होंने 39 books लिखी है, जिनमे ‘mens search for ultimate meaning’ भी है, जो अमेरिका की सबसे प्रभावशाली एक करोड़ books में शुमार है।

पॉल एलन के साथ बिल गेट्स ने पहली company ट्राफ़-ओ-डाटा शुरू की थी, जो विफल रही। उन्होंने दोबारा कोशिश की और microsoft की उत्पत्ति हुई।

स्टीवन स्पीलबर्ग, यूनिवर्सिटी ऑफ़ सदर्न कैलीफोर्निया स्कूल of थिएटर, फिल्म और टेलीवीजन में दाखिला पाने में  तीन बार विफल रहे थे। एक अन्य स्कूल में दाखिला मिलने के बाद उन्होंने निर्देशन सीखने के लिए बीच में ही पढाई छोड़ दी।

मशहूर लेखिका जे.के.रोलिंग एक तलाकशुदा सिंगल मदर थी और school में पढ़ाने के दौरान ही उन्होंने ‘हैरी पॉटर’ नामक novel लिखना शुरू किया था। इस novel की success ने उन्हें अरबपति बना दिया।

success person विपरीत परिस्थितियों में तरक्की करने के कारण ही सफल हुए है। दृढ़ निश्चय और जूनून की बदौलत वे बड़ी से बड़ी बाधाये पार करने के लिए हर जरुरी कोशिश करते है। वे कठिन वक्त का सामना करना चाहते है, अपनी सीमाओं से उपर उठते है और रास्ते में आयी चुनौतियों का सामना करने से अधिक सशक्त बुद्दिमान होते जाते है। सबसे important है कि वे खुद पर भरोसा करते है। success person भय के साथ अपना नाता नये  सिरे से जोड़ते है। आप भी ऐसा कर सकते है।

विपरीत कार्य करे

वही करे, जिसे आप नही करना नही चाहते। जितनी जल्दी आप किसी कार्य में रूकावट महसूस करेगे, उतनी ही जल्दी आपको अपने भय पर बात करने या इससे निकलने की जरूरत महसूस होगी। जब आपका बिस्तर से बाहर निकलने का मन न करे तो जबरदस्ती बिस्तर से बाहर निकल जाए। जब किसी समारोह में जाने का मन न हो तो उसमे जरुर भाग ले। काम मन का नही तो पहले उसे ही करे। विपरीत काम करना turning point बन सकता है। इससे आपके लिए अगला कदम आसान हो जाता है।

समर्पण

problem पर छिद्रान्वेषण न करे। इनका सटीक समाधान तलाशे। इस भय को मिटा दे कि समाधान की दिशा गलत होगी। सपने कभी खुबसूरत लुभावने पैकेज में बंधकर नही आते। अवसर के द्वार तभी खुलते है, जब आप सर्वश्रेष्ठ प्रयास से काम को अंजाम देते है। सपने तभी साकार होते है, जब आप जोखिम उठाते है। जो चीजे आपको पीछे खीचती है, उन्हें सहजता से स्वीकार करे,उनके प्रति समर्पण करे और आगे बढ़ते रहे।

आधी-अधूरी जिन्दगी न जिए

अगला बड़ा खतरा मोल लेने से नही डरे, बल्कि खेदभरी जिन्दगी जीने से डरे। अपने तोहफे या प्रतिभा का इस्तेमाल नही होने से डरे न कि लज्जित होने या मुर्ख कहलाने से। सुकूनदायी दायरे में फंस जाने की स्थिति से डरे और अगली अच्छी पहल करने से न घबराए।

डर का सामना करे

भय को हावी न होने दे। खुद को चुनौती से निपटने के लिए तैयार रखे। मुश्किल लगने वाले कामो में सफलता हासिल करे। खुद को गलत साबित करे। खुद के ख़ारिज होने के भय से उबरे। विदेश दौरे पर जाए। language सीखे। जिस काम के बारे में आप पहले सोचते थे कि आपके लिए impossible है, उसे करते हुए अपने भय पर विजय पाए। जैसे ही आप भय पर हावी होने लगेगे, खुद में बदलाव महसूस करने लगेगे।

शुरुआत तो करे

एक ऐसी नई स्थिति बनाये, जिसमे आपको काम करने की असमर्थता महसूस हो। अपनी सीमाए निर्धारित करे। सम्मान पाने की चाहत रखे। क्रेडिट कार्ड का कर्ज चुकाए। नई जीवनशैली अपनाए। दूसरो पर निर्भर कम करे। इन सबकी आज से ही शुरुआत करे।

परिवेश ही सब कुछ होता है

अपने सभी नुकसानदेय रिश्तो से निजात पा ले। उनमे अपनी energy खपाना बंद कर दे। तय करे कि वे कौन-कौन पांच लोग है, जिन पर आपको सबसे ज्यादा समय बर्बाद करना पड़ता है? उधमी, लेखक और वक्ता जिम रोम बताते है, आप उन पांच लोगो का औसत है।

खुद को साहसी व्यक्तियों के बीच रखे। ऐसे लोगो के साथ वक्त बिताये, जिनमे हार का सामना करने का माद्दा है और जो कुछ अलग करना चाहते है। ऐसे लोगो की संगत करे, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए जीते है। दूसरो की मदद करते है।

अपनी शान बनाये रखे

बहाने न बनाये। समय बर्बाद करना छोड़े। आप कुशल है, उपयोगी है और सशक्त है। खुद की जिम्मेदारी ले। अतीत की success को याद करके उत्साह और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढे। खुद को आगे बढ़ाने की कोशिश करे। दूसरो को भी ऐसा करने में मदद करे।

अपने धन का सदुपयोग करे

फिजूलखर्ची पर लगाम दे। कर्ज से उबरे। प्रत्येक अनावश्यक खरीद के पीछे अपर्याप्त का भय जुड़ा रहता है। मै परिपूर्ण नही हूँ। मेरे पास पर्याप्त साधन नही है। जरूरी नही कि आपके पास हर नया गैजेट या जूता हो।

भय को भरोसे में बदले
डर की बजाय उन परिणामो पर फोकस करे, जिन्हें आप पाना चाहते है। बड़ी चुनौतियों ले। इस बात का भरोसा रखे कि आप बेहतर कर सकते है। आपके आज के चुनाव ही आपका भविष्य है। भय के साथ अपने रिश्ते को पुन: परिभाषित करे।


# इस article, टेस मार्शल की है, जो कि लेखिका, life coach व् blogger है। काउंसिलिंग साइकोलॉजी में एमए की पढाई। जोखिम लेने में यकीन रखती है।


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