Tuesday, November 29, 2016

जगाएं समृद्धि की चेतना

jagaen samrddhi kee chetana

Wake prosperity consciousness


ये तो आप मानते ही होगें कि पैसा समृद्धि का एक प्रमुख अंग हैं। पैसा हम सब कमाना चाहते हैं, पर कोई खुलकर बोल नही पाता। कुछ भी बोलने से पहले दिमाग में सवालों की बौछार हो जाती है-लोग क्या कहेंगे? हाय! किसी ने हमें लालची समझ लिया तो? अपनी इसी गलत सोच से निकलना और अपनी बेहतरी के प्रयास करना ही इस लेख का purpose है। मेरा यह मानना है कि success प्राप्ति के लिए सही समझ, सही कदम और समृद्धि के बीच तालमेल होना बेहद जरूरी है।

अपने seminar में कभी-कभी मैं 100 dollar का नोट लेकर खड़ा हो जाता हूँ और बोलता हूँ कि यह नोट मुझे किसी को देना है, क्या किसी को चाहिए? बहुत लोग हाथ उठाते है, पर करते कुछ नही है। मैं नोट को हवा में तब तक हिलाता रहता हूँ, जब तक कोई भागकर स्टेज तक नही आ जाता।

अब यहां दो सीख मिलती है। पहली, पैसा उसी को मिलता है, जो मौके पर कदम उठाता या फैसला लेता है। दूसरी, हमारी अपनी चेतना का एक level होता है, जो हमें काम करने के लिए सही फैसला लेने या उसे टालने के लिए प्रेरित करता है।

जब मैं लोगो से पूछता हूँ कि वो उपर क्यों नही आये तो हमेशा एक ही जवाब मिलता है- हमें शर्म आ रही थी। उन्हें लगा कि लोग क्या कहेंगे। उन्होंने सोचा, ये कोई चाल है। ये सभी जवाब उनके डर, न्यूनता और निराशावाद से प्रभावित समझ की देन होते हैं।

ये सभी power हमारी रोजमर्रा की जिन्दगी को हर स्तर पर प्रभावित कर सकती हैं। हर क्षण या तो हम अपने उपर पड़ने वाले दबावों को पोषित करते रहते है या फिर उन्हें किसी बेहतर विचार से बदल देते है। नीचे दिए गये उपायों से आप अपनी समृद्धि की समझ को बढ़ा सकते हैं। अपने हिस्से की समृद्धि को बुलावा दे सकतें है।

बातचीत पर ध्यान दें

अब बातों के समन्दर में तैरते है। कोई भी समय हो, चाहे आप meetings में हो, कोई phone कर रहे हो, कोई email भेज रहे हो, किसी से बात कर रहे हों, गाने सुन रहे हों या कोई book ही क्यों न पढ़ रहे हों, आप किसी न किसी से संवाद ही कर रहे होते हैं। और तो और जब आप कुछ लिखने बैठें या कुछ समय के लिए कुछ सोचने ही क्यों न लगें, तब भी आप अपने आप से संवाद कर रहे होते है। इन सभी संवादों के मिले-जुले असर पर विचार करें। मेरे friend ‘जिम रॉन तो कहते है कि जिन पांच लोगों के साथ हम सबसे अधिक समय गुजारते है, हम उन्हीं का मिला-जुला रूप होते है। हमारी बातचीत का स्तर ही हमारे life का स्तर बनाता है।

सोचें कि आपके life में वो पांच लोग कौन है, जिनसे आप सबसे अधिक बात करते हैं? इन सबसे हुई आखिरी बातचीत किस विषय पर हुई थी? और क्या उस बातचीत ने आपकी समृद्धि की समझ में इजाफा किया या उसे खत्म कर दिया?

समृद्धि की ओर ले जाने वाली बातें करें

ऐसे लोगों से दूर रहने का निश्चय करें, जो हर समय ‌द्धेश के शिकार होते है। केवल शिकायतें करते रहते है। बातचीत के लिए ऐसे लोगों का साथ चुनें, जो आपको समृद्धि के पथ पर आगे ले जाएँ। उन लोगों के साथ समय बिताएं, जो वह काम कर रहे है, जो आप भी करना चाहते है। उनसे पूछें कि वो इस इस क्षेत्र में कैसे आये और किस तरह उन्होंने success प्राप्त की।

इसके साथ-साथ हफ्ते में कम से कम एक book जरुर पढ़ें। सफल लोगों की प्रेरक story और life के बारे में पढ़ें। खूब पढ़ें और अपने पैसे के सही उपयोग, बच्चों के पालन-पोषण, स्नेहपूर्ण रिश्तों के निर्माण और स्वस्थ रहने के तरीके सीखें।

अपने सपनों को कभी न छोड़े

क्या कभी आप ऐसे व्यक्ति से मिले हैं, जिसने आपकी क्षमताओं पर शक किया हो? ‘chicken soup for the soul’ के प्रकाशक के साथ बातचीत के दौरान ऐसा अनुभव मेरे और मार्क विक्टर हैनसन के साथ हो चुका है। हमने उनसे पूछा कि अंदाजन कितनी books बिक जाएँगी? जवाब मिला अगर 20,000 कॉपियाँ बिक गई तो आप बहुत भाग्यशाली होंगे।

यकीन मानिये, ये हमारा सपना नही था। हमारा लक्ष्य तो इससे काफी उपर था- 6 माह में 1,50,000 कॉपियाँ और 18 माह में 15 लाख प्रतियाँ। प्रकाशक जोर से हंसा और बोला- ये तो असंभव है।

पर मैं आपको बताउं 1,35,000 प्रतियाँ 6 महीनों में और 13 लाख कापियां 18 महीनों में बिकीं। हमने न केवल अपने लक्ष्य के आसपास बिक्री की, बल्कि अपने प्रकाशक के अनुमान से कई गुना ज्यादा की बिक्री की। हमारी उस पहली books की कापियां पूरे world में 1 करोड़ और अमेरिका में 80 लाख से अधिक बिकीं।

जब भी आप किसी ऐसे संवाद में होते है, जिससे आपके सपने पर बुरा असर पड़ता है तो आपके पास दो रास्ते होते है- या तो अपने सपने को वहीं मार दो या और अधिक जोश और दृढ़ विश्वास के साथ उसे पूरा करने में लग जाओ। अपने वास्तविक लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते ही दिमाग ढंग से काम करने लगता है। उसे सूचना मिल जाती है, ‘मैं तब तक हार नही मानूंगा, जब तक मेरा सपना न पूरा हो जाए। मैं फिर से परिश्रम करने के लिए तैयार हूँ।

लक्ष्य के इस गहन स्तर को दृढ बनाये रखें, बार-बार दोहरायें...

1-  मैं हमेशा उन लोगो को attract करता हूँ, जिनकी मैं मदद कर सकता हूँ और जो मेरी मदद कर सकते हैं।

2-  मैं हमेशा अपने साथ बेहतरीन लोगों को काम करने के लिए आकर्षित करता हूँ।

3-  हमारे उपभोक्ता का वर्ग बढ़ रहा है।

4-  मैं लक्ष्य की ओर ले जाने वाले अवसरों का स्वागत करता हूँ।

अब कुछ और imagine करें। जो बातें ख़ुशी दे सकती है, जो success का एहसास कराती है, खुद को उन्हें जीते हुए देखें।

दान करें

उपर दिए गये इन सपनों के साथ ये भी जरुर देखें कि अपनी समृद्धि को दूसरों के साथ भी बांट रहे है। world के अधिकतर अमीर अपनी कमाई का 10% दान में दे देते है। आप अपने को उसी स्थान पर वही काम करते हुए महसूस करें। जो दान करते है, वो पाते भी है और पुण्य का फल हमेशा बढ़कर ही मिलता है।



# इस article के writer ‘जैक कैनफील्डअमेरिका के famous writer और motivational speaker है। bestseller book ‘chicken soup for soul’ श्रृंखला के सह-लेखक है।












Saturday, November 26, 2016

Meetings के नायाब तरीके

meetings

एक स्पष्ट रणनीति के तहत काम करने और भावी योजनायें तैयार करने के लिए office में meetings करना आवश्यक है। लेकिन अकसर देखने में आता है कि इसके लिए बेहतर planning नही होने की वजह से इस प्रक्रिया में भी काफी समय बर्बाद हो जाता है। तो क्यों न इस प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए कुछ प्रभावी को कारगर बनाने के लिए कुछ प्रभावी तरीकों पर विचार किया जाये। इस लिहाज से meeting से जुड़ी कुछ चीजों पर focus करना बेहद जरूरी है:

लगायें Timer

meeting के दौरान बिना वक्त की परवाह किये बोलते जाना या विषय से भटक जाना आम बात है। meetings में समय बर्बाद न हो, इसके लिए smartphone में timer लगाये जा सकते है। इससे meetings तय समय में पूरी होगी और विषय से भटकाव की गुंजाइश भी कम रहेगी। google की physical clock इन दिनों काफी चर्चित है। इसे तैयार करने वाले जैक नैप का मानना है कि अन्य timer apps की तुलना में यह कही ज्यादा प्रभावी है।

प्रभावशाली एजेंडा बनाएं

कामयाब उधमी मानते है कि प्रभावी meetings प्रभावी एजेंडे के साथ शुरू होती है। प्रभावशाली एजेंडा तय करने के सीक्रेट इन चीजों में छिपे है-

1-  एजेंडे का input meeting से पहले ही प्रतिभागियों से मांग लीजिये, ताकि नये विषय पर चर्चा की जा सके

2-  meeting का purpose स्पष्ट रखें।

3-  पहले से ही साफ कर लें कि समन्वयक कौन है।

4-  meeting में मौजूद सभी प्रतिभागियों से पहचान होनी चाहिए, न होने की स्थिति में परिचय कराया जाना चाहिए। हो सकें तो meeting में चुनिंदा लोग ही रखें। स्टीव जॉब्स खासतौर से इस चीज के लिए जाने जाते थे कि अगर कोई शख्स एक वाजिब कारण और बेहतर idea के साथ वहां नही है तो उसे meeting से बाहर भेज देते थे।

5-  विषय से जुड़ी decision making पर अधिक focus करें।

6-  हर एजेंडे का एक समय तय करें, ताकि प्रतिभागी focus कर सकें।

Stand-up Meetings ज्यादा बेहतर

साल 1999 में मनोवैज्ञानिकों की एक team ने खड़े होकर और बैठकर, दोनों तरह से होने वाली meetings पर research किया था। 56 अलग-अलग समूहों पर हुई इस research में यह बात निकलकर आई कि खड़े होकर चलने वाली meetings के मुकाबले बैठकर की जाने वाली meetings 34% ज्यादा लम्बी खिंचती है। उनके नतीजे standing meetings के मुकाबले अच्छे फैसले लिए जाते है। वाशिंगटन university के एक अन्य study में भी standing meetings को बेहतर बताया गया।









Friday, November 25, 2016

अपने Decision पर अडिग रहें, उनकी Responsibility लें



देश के field marshal रहे ‘सैम मानेकाशॉ ने defense services college, वेलिंगटन, New Zealand में 1998 में leadership and discipline विषय पर lecture दिया। मानकशॉ के इस ओजपूर्ण भाषण के कुछ प्रेरक हिस्से उन्हीं के शब्दों में- ‘leadership के सबसे important गुण हैं professional knowledge और कार्यकुशलता। चाहे आप prime minister की संतान हों या किसी उधोगपति के बेटे हो, कार्य-कुशलता हासिल करने के लिए आपको निरंतर अध्ययन व् कड़ी मशक्कत करने की जरूरत होगी। चूँकि हम technical विकास के युग में हैं, इसलिए हमें लगातार प्रयास करने की जरूरत होगी।

अपने पेशे का जानकर और कार्यकुशल होना leader के लिए अनिवार्य है। जब तक आपको अपने पेशे की समझ न हो, आप leader नही बन सकते।

leadership की एक और खासियत है, decision के लिए खुद को तैयार कर लेना और उसकी जिम्मेदारी लेना। क्या आपने सोचा है कि लोग फैसले क्यों नही ले पाते? ऐसा इसलिए, क्योंकि वे अपने काम को ठीक तरह से नही समझते या फिर वे अपने decision को लेकर दुविधा में रहते है। औसत के नियम के अनुसार आपके दस फैसलों में से पांच सही होने चाहिए। अगर आपको पेशे की अच्छी जानकारी है और आप कार्यकुशल है तो आप नौ फैसले सही लेगे। अगर एक फैसला आपने गलत भी लिया तो आपके मातहत काम करने वाले उसे ठीक कर देंगे। लेकिन अगर आपने फैसला नही लिया है तो आप सबसे ज्यादा गलत कर रहे है। जब मैं सेना प्रमुख था, तब मैं अफसरों से अकसर उनके future से जुड़े सवाल पूछता था। ज्यादातर जवाब देते थे-‘मैंने अब तक सोचा नही है।‘ इससे ज्यादा मूर्खतापूर्ण कुछ नही हो सकता। मुझे माफ़ करें, लेकिन ये फैसला जल्द से जल्द लिया जाना चाहिए। आप future में senior officer बनेगे। इसलिए सोच-समझकर फैसलें ले और उनकी जिम्मेदारी लेना सीखें। अपने फैसले को किसी साथी या मातहत पर डालकर उससे पल्ला न झाड़े। ईमानदारी और न्यायशीलता भी important है। कोई नही चाहता कि उसे सजा मिले, लेकिन वह फिर भी बिना कुछ कहे सजा काट लेगा, अगर वही सजा गलती करने वाले हर कर्मचारी के लिए तय हो। कोई नही चाहता कि उसके उपर किसी और को बिठाया जाए, लेकिन अगर नियमों के मुताबिक किसी काबिल व्यक्ति को उच्च पद पर बिठाया जा रहा है तो उसे भी लोग accept कर लेते हैं।

मैं यहाँ साहस की भी बात करना चाहूँगा, लेकिन मैं नैतिक साहस पर बल दूंगा। साहस यानी सही और गलत में फर्क करने की योग्यता, बिना इस बात से डरे कि आपके सहकर्मी या seniors इस बात पर क्या सोचेंगे। हां में हां मिलाने वाले खतरनाक होते है। ऐसे लोग बहुत आगे तक जा सकते है, किसी company के managing director बन सकते है, लेकिन ऐसे लोग कभी leader नही बन सकते, क्योंकि उनके senior उनका फायदा उठाएंगे, सहकर्मी उनसे नाखुश रहेंगे और मातहत काम करने वाले तो बिलकुल भी पसंद नही करेंगे। इसलिए निर्भीक होकर अपनी राय रखना बहुत जरूरी है।‘









Tuesday, November 22, 2016

नये बदलावों में छिपे हैं Promotion के अवसर

promotion

कार्यस्थल पर आने वाले बदलावों के बीच कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अगर इसके लिए आप अपनी ओर से अच्छी तैयारी रखें तो निश्चित रूप से इनमें निहित अवसरों का लाभ भी उठा सकते है।

Multitasking का जमाना है। जाहिर सी बात है company समय-समय पर employee के work-profile, समूह या स्थान को बदलेंगी ही। इस बदलाव से परेशानी तो होती है, लेकिन इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि कड़ी competition के इस दौर में success हासिल करने के लिए ऐसे बदलावों को accept करना चाहिए। linked-In के साल 2015 के एक survey में सामने आया था कि 45% लोग अच्छे अवसर नही मिलने की वजह से job छोड़ते है। अच्छी बात ये है कि job profile में बदलाव आपके लिए ऐसे अवसर पैदा कर सकते है। एमएफ रियान ने कहा है, ‘बदलाव लाने और आगे बढने के मौके हमें आखिरी सांस् तक मिलते है, इसलिए कुछ नया सृजित करिए और खुश रहिये।‘ बदलाव के साथ तालमेल बिठाने के लिए कुछ उपयोगी tips-

positivity रूख रखें

अक्सर देखने में आता है कि work profile या समूह बदलते ही ज्यादातर कर्मचारी असहज महसूस करने लगते है। लेकिन ऐसी स्थिति में आशावादी सोच के साथ नई जिम्मेदारी के लिए आगे बढ़ना चाहिए। मुमकिन है कि जो काम आपको बोझिल लग रहा हो, future में वही तरक्की की उचाईयों पर पहुंचा दे। media institute में काम करने वाले रोहित को जब desk work से हटाकर reporting में भेजा गया, तब उसे काफी घबराहट हो रही थी। लेकिन कुछ महीनों में ही उसने reporting की बारीकियां सीख ली और कुछ बेहतरीन reports के लिए उसे सराहना भी मिली। अपनी skills बढ़ाने और उन्हें निखारने के लिए हमेशा positive प्रयास करते रहें।
 
मुश्किलों का करें डटकर मुकाबला

office में समय-समय पर सामने आने वाली नई चुनौतियों को समझें और धैर्य के साथ उनका मुकाबला करें। अपने seniors को सलाह लें और उनके experience का लाभ उठायें। एक बड़ी company में marketing manager के पद पर काम कर रहे सुदेश मित्रा और राहुल त्रिपाठी का विभाग बदलकर उन्हें brand promotion में shift कर दिया गया। दोनों परेशान थे। सुदेश ने जहां एक महीने में ही job छोड़ दी, वही राहुल ने seniors की मदद से brand promotion की बारीकियां समझी और अपनी कड़ी मशक्कत से वह brand promotion में senior vice president बन गया, जबकि सुदेश marketing के उन्ही कामों में उलझा है, जहां वह पांच साल पहले था।

स्थिति को स्वीकारें

job के दौरान सभी कुछ आपके मुताबिक चले यह संभव नही है। ऐसे में नई जिम्मेदारियों को आप जितनी जल्दी accept करेगें, उतना ही बेहतर होगा। इसके लिए नये सिरे से मेहनत करें और  अपना सर्वश्रेष्ठ दें। management में bachelor करने के बाद सौम्या ने एक बड़ी company में बतौर receptionist काम शुरू हुआ। कुछ समय बाद उसे accounts में काम में लगाया गया और फिर बाद में HR विभाग में co-ordinance के काम में लगाया गया। लेकिन नई भूमिका में भी वह लगातार मेहनत करती रही और सात साल बाद वह HR manager के पद पर पहुंच गई।

मैं कर सकता हूँ

तात्कालिक problem से जूझते हुए आत्म-विश्वास में कमी न आने दे। अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखें। मौजूदा व्यवस्था में ही बेहतर करने की गुंजाइश तलाशें। इससे आप स्तरीय काम कर पाएंगे और चुनौतियों का भी डटकर सामना कर पाएंगे। विलियम फ्रेडरिक बुक ने कहा है, ‘नई स्थितियों के साथ सामंजस्य बिठाएं, लेकिन अपने अनुकूल बनाने के लिए उनमें बदलाव लाने का भी प्रयास करें।‘

नये समूह के साथ सामंजस्य बनाएं

अगर नये समूह में शामिल हुए है तो नये members के साथ आपको नये सिरे से जुड़ने की जरूरत होगी, लेकिन थोड़ा सा अतिरिक्त समय देने पर आपकी राह काफी हद तक आसान हो जाएगी। हमेशा नये सहकर्मियों के contact में रहें, हर तरह के काम में उनका सहयोग करें। भावनात्मक रूप से जुड़ जाने पर वे भी किसी भी तरह की मुश्किल आने पर आपका मार्गदर्शन करेंगे।

नये Skills सीखें

नई जिम्मेदारी मिलने पर कई बार नई skills सीखने की भी जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में नई जिम्मेदारी से सम्बंधित skills की एक list तैयार करें और जल्द से जल्द इनमें खुद को बेहतर करने का प्रयास करें। इसके लिए आप वीकऑफ़ पर class ले सकते है। internet और you tube video से भी आपको बहुत सी उपयोगी सामग्री मिल जाएगी। इसके साथ-साथ industry से जुड़ी information हासिल करते रहे और खुद को हमेशा update रखें।

जुटाएं ज्यादा जानकारी

नई जिम्मेदारियों को अच्छी तरह से निभाने के लिए जितनी ज्यादा जानकारी जुटाएंगे, आपके लिए उतना बेहतर होगा। अपने नये समूह की पृष्ठभूमि, उसकी उपलब्धियों आदि के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी collect करें। इससे नये काम में आपका आत्मविश्वास बढ़ जायेगा।

Work Profile में बदलाव से फायदा

1-  स्तरीय काम के लिए प्रेरणा मिलती है और कार्यक्षमता भी बढ़ती है। काम में बदलाव से आप ज्यादा मेहनत के लिए तत्पर रहते है।

2-  काम में बदलाव से आप ज्यादा मेहनत के लिए तत्पर रहते है।

3-  कई तरह के काम करके आप अपनी क्षमताएं बेहतर तरीके से जान पाते है और company के साथ ज्यादा जुड़ाव महसूस करते है।

4-  बदलाव की प्रक्रिया से गुजरते हुए आपकी क्षमताओं का बेहतर उपयोग हो पाता है और आप अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर बढ़ते है।

5-  निरंतर बदलाव से नये वातावरण, नये लोगों और नई स्थितियों को लेकर आपका रुख लचीला बना रहता है।

डर के आगे जीत है

नई जिम्मेदारियों से डर लगना स्वाभाविक है। अक्सर जो हो चुका है, उससे भी और जो नही हुआ है उसे सोचकर भी हम डरते है। डर आत्मविश्वास को कमजोर करता है और life में कुछ भी नया करने से रोकता है। इसलिए सबसे पहले अपने मन से डर को निकालें।

आशावादी सोच रखें

company अगर आपको नई जिम्मेदारी दे रही है तो निश्चित रूप से उसे आपसे कुछ उम्मीदें होगी। अगर आप company की अपेक्षाओं पर खरे उतेरेगें तो promotion आपके कदम चूमेगी। ऐसे में सभी तरह की चिंता और तनाव भूल कर आशावादी सोच के साथ अपने काम में अपना 100% दें।








   

   

Sunday, November 20, 2016

बच्चों में बढ़ रहे हैं Cancer के मामले

childhood cancer


दुनियाभर में हर वर्ष दो लाख के करीब बच्चे cancer से ग्रस्त हो जाते है। अकेले भारत में ही यह संख्या 50 हजार से अधिक है। हालाँकि सही समय पर उपचार शुरू कर दिया जाये तो बच्चों के cancer का इलाज संभव है।

cancer के मामले पहले वयस्कों में ही सुनने को मिलते थे। लेकिन बड़ी संख्या में अब बच्चें भी इसकी चपेट में आ रहे है। cancer body के किसी भाग में सामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्दि के कारण होता है। सामान्य परिस्थितियों में body की कोशिकाओं का एक नियंत्रित तंत्र होता है। जब कभी इस तंत्र में गड़बड़ी आती है, तब कार्सिनोजल हमला करने लगते है।

कई तरह का होता है Childhood Cancer

ल्यूकेमिया: अस्थि मज्जा और blood को ल्यूकेमिया कहते है। बच्चों में पाए जाने वाले cancer में यह सबसे आम है। childhood cancer से पीड़ित बच्चों में 30% बच्चे ल्यूकेमिया से ग्रस्त होते है। bones के जोड़ो में pain, थकन, कमजोरी और skin का पीला पड़ जाना आदि इसके प्रमुख लक्षण है। कीमोथेरेपी इसका एकमात्र इलाज है।

Brain and Central System Tumor: यह बच्चों में दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला cancer है। cancer से पीड़ित बच्चों में 26% इसी के मरीज होते है। brain tumor कई प्रकार के होते है। उन सभी के उपचार और स्वरूप अलग-अलग है। इसमे सिरदर्द, उलटी, धुंधला या एक ही चीज दो दिखाई देना, चक्कर आना, चलते समय सहारे की जरूरत पड़ना जैसे लक्षण देखने को मिलते है।

न्युरोब्लास्टोमा: cancer का यह प्रकार शिशुओं और छोटे बच्चों का होता है। यह 10 वर्ष से ज्यादा आयु के बच्चों में शायद ही देखने को मिलता है। पेट में swelling, bones में pain और बुखार इसके लक्षण है। 6% मामले इसी cancer के होते है।

विल्म्स टयूमर: विल्म्स टयूमर सामान्य तौर पर चार या पांच साल के बच्चों को होता है। पेट में गांठ पड़ना, भूख ना लगना, बुखार आदि इसके लक्षण है।

लिम्फोमाज: लिम्फोमा immune system cells में पैदा होता है, जिन्हें लिम्फोसाइटिस कहते है। ये सबसे अधिक लिम्फ नोड्स और टॉन्सिल या थाइमस जैसे दूसरे लिम्फ टिश्यु में शुरू होता है। ये cancer अस्थि मज्जा और body के दूसरे अंगो तक फैल सकता है। इसके लक्षण इस पर depend करते है कि cancer कहां हुआ है। इसके लक्षणों में weight घटना, बुखार, पसीना आना, थकान और गर्दन, कांख या ग्रोइन (पेट और जांघ के बीच का हिस्सा) की skin के नीचे गांठ आदि प्रमुख है। 8% मामले इसी के होते है।

रेटिनाब्लास्टोमा: यह आँखों का cancer होता है। आमतौर पर यह दो साल की उम्र के आसपास के बच्चों को होता है। छह वर्ष से ज्यादा की आयु के बच्चों में यह शायद ही देखने को मिले। इससे पीड़ित बच्चों की आँखों पर रोशनी की जाए तो पुतलियां लाल दिखती है। रेटिनाब्लास्टोमा से पीड़ित बच्चों की आँखों का पुतिलियाँ अक्सर सफेद या लाल दिखती है।

Bone Cancer : bone cancer हड्डियों का cancer होता है। यह body के किसी भी अंग से शुरू होकर हड्डियों में फैलता रहता है। यह हड्डियों में फैलता रहता है। यह हड्डियों में swelling और pain पैदा करता है। childhood cancer के 3% मरीज bone cancer से पीड़ित होते है।

उपचार

New Delhi के साकेत स्थित max super specialty hospital के consultant एवं cancer specialist doctor रमनदीप अरोड़ा बताते है कि हर साल 50 हजार बच्चें cancer से ग्रस्त हो जाते हो जाते है। medical science में हुई प्रगति के कारण cancer के मामलों में सफलता की दर काफी बढ़ गई है। यहाँ तक कि यूरोप और अमेरिका में cancer से पीड़ित 80% बच्चे ठीक हो जाते है। cancer के लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल इसलिए भी होता है, क्योंकि इसके लक्षण बेहद सामान्य होते है जैसे कमजोरी, थकान, bones में pain आदि। यही वजह है कि कई बार रोग की सही पहचान और उपचार में देरी हो जाती है। टयूमर और इसके पास के उतकों को हटाने के लिए सर्जरी, टयूमर और cancer की कोशिकाओं को सिकोड़ने या नष्ट करने के लिए radiation therapy और cancer कोशिकाओं की वृद्दि को धीमा करने या नष्ट करने के लिए कीमाथेरेपी cancer के आम उपचार है।






Thursday, November 17, 2016

Sugar की लत यूँ करे कम


1-  sugar की लत छोड़ना आसान नही होता। धीरे-धीरे कम करने के लिए सबसे पहले मिठाई, fruit का juice,मीठे पेय पदार्थ,पकवान और table sugar कम खाना शुरू करें। इसके प्रोसेस्ड फ़ूड जैसे डिब्बाबंद juice व् खाद्य पदार्थ, जैम, सॉस, ब्रेड,बन व् बिस्कुट जैसे बेकरी products लेना कम करें।

2-  sugar के विकल्प के तौर पर खजूर और अंजीर का इस्तेमाल करें।

3-  honey, body की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। green tea में honey मिलाकर पीना अधिक लाभ पहुंचाता है। वैसे honey के भी अधिक सेवन से बचना चाहिए।

4-  कैडी,च्यूंइगम व् sugar के बजाय रोजाना 20 gram शुद्द गुड़ का सेवन health के लिए फायदेमंद है। बगैर chemical के इस्तेमाल करके बनाये गये गुड़ में body के लिए जरूरी खनिज तत्वों की भरपूर मात्रा होती है।

5-  चीनी नुकसानदेह अम्लीय प्रभाव पैदा करती है तो गुड़ फायदेमंद क्षारीय। गुड़ की तुलना में चीनी को पचाने में पांच गुना अधिक energy खर्च होती है। चीनी की मात्रा कम करने के लिए एक अच्छा तरीका यह हो सकता है कि पहले मिश्री पर आयें और धीरे-धीरे इसके स्थान पर गुड़ का सेवन शुरू कर दें।

6-  ice-cream,ठंडे पेय,बिस्कुट,प्रोसेस्ड फ़ूड और भांति-भांति की मीठाइयों से बचें। sugar सबसे अधिक इन्ही के जरिये body में पहुंचती है।

7-  sugar के बजाय sugar के naturally स्रोतों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये।गाजर,किशमिश,सेब,संतरा,केला,अन्नास,शकरकंद जैसी चीजों का इस्तेमाल sugar खाने की इच्छा पर काफी हद तक रोक लगा सकता है।

8-  केक और कुकीज बाहर से लेने के बजाय घर पर ही बनाएं तो अच्छा है। इसमें sugar की मात्रा कम रखें और test बढ़ाने के लिए थोड़ी- सी दालचीनी जैसी चीजें मिलाएं।

9-  खाने के बाद मीठे का शौक शहद,गुड़,अंजीर,खजूर आदि खाकर पूरा करें तो बेहतर रहेगा।

10-sugar के लत से छुटकारा पाने के लिए स्टीविया जैसे पौधों से प्राप्त शून्य calorie वाली मिठास का भी उपयोग किया जा सकता है।

11-भरपूर पानी पीयें। weight अधिक नही है तो भी नियमित exercise व्यायाम करें।

12-जो भी मीठा खा रहे है, उसे कम मात्रा में खाएं। धीरे खाएं, अधिकतम स्वाद मिलेगा और बार-बार खाने की इच्छा भी नही होगी।





Tuesday, November 15, 2016

Sugar (चीनी) से अधिक खाने से होने वाले Problem

eat-less-sugar


हम जितना कम sugar खाने की सोचते है, उतना ही खुद को sugar से घिरा पाते है। Specialist कहते है कि खाने की चीजों में कुदरती मिठास होती है और उतना ही मीठा काफी भी होता है। कैसे करे sugar की लत को कम

sugar body के विकास के लिए जरूरी है, पर एक control मात्रा में। WHO का स्पष्ट निदेश है कि लोगो को अपने खाने में मीठे की मात्रा कुल calorie के 10% से अधिक नही रखनी चाहिए और future में इसे 5% तक कर देना चाहिए। वर्तमान में स्थिति यह है कि मिठास के तौर पर हम पहले की तुलना में कई गुना ज्यादा sugar खा रहे है। मीठे के नाम पर sugar health बिगाड़ती है, क्योकि यह naturally न होकर artificial होती है और उपर से मिलायी जाती है।

fruits, vegetables, beans, मेवे आदि में naturally रूप से मिठास मौजूद होती है। साबुत अनाजों में भी मौजूद sugar सेहत के लिए फायदेमंद होती है। इन पदार्थो में vitamin, mineral व् fiber आदि कई पोषक तत्व भी होते है। खाद्य पदार्थो में मौजूद fiber body में sugar की मात्रा को सीमित रखता है, जिससे blood sugar सही रहती है। असल problem उस sugar से है, जो factory में processing के बाद का product होती है या मीठे का test बढ़ाने के लिए अलग से मिलायी जाती है।

Health की दुश्मन

American journal of cardiology में कुछ समय पहले एक report प्रकाशित हुई है। report के अनुसार न्यूयार्क और कैन्सस में 8670 व्यस्क लोगो पर study के बाद यह निष्कर्ष निकला कि नमक से कही ज्यादा नुकसान ज्यादा मात्रा में sugar या सफेद शक्कर के सेवन से होता है। research के मुताबिक अधिक मात्रा में चीनी खाने से body में insulin सीमा से अधिक बढ़ने लगता है। नतीजतन, brain का हाइपोथैलेमस वाला हिस्सा जल्दी active हो जाता है और heart रोग का कारण बन जाती है।

ज्यादा sugar दांतों को भी नुकसान पहुंचाती है। दैनिक calorie में sugar का हिस्सा 10% से ज्यादा रहने पर दांतों में सडन की problem बढ़ जाती है। न्यूकैसल विश्वविद्यालय में nutrition and oral health के professor पाउला मोनीहीन कहते है, ‘हम जितनी कम चीनी खाते है, दांतों में सड़न का खतरा उतना ही कम होता है।‘

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक report का निष्कर्ष है कि sugar का सेवन सीधे तौर पर मोटापे के लिए भले ही जिम्मेदार न हो, पर जो लोग इसका ज्यादा सेवन करते है, उनके मोटे होने की आशंका निश्चित रूप से ज्यादा  होती है। एम्सटर्डम में स्वास्थ्य सेवा के प्रमुख पॉल वैन ज्यादा मात्रा में sugar के सेवन को शराब और तम्बाकू की तरह का ही नशा करार देते है। research बताते है कि जिन्हें मधुमेह नही है, उनमे sugar के जरिये आया मोटापा body के कई तरह के मेटाबोलिक व् hormonal बदलाव का कारण बढ़ जाता है और पैन्क्रियाज की कोशिकाएं निष्क्रिय होने लगती है। जाहिर है, यह मधुमेह को दावत देने जैसा है।

जब हम sugar खाते है तो हमारा liver इसके fructose को fat में बदल देता है। कुछ fat तो बाहर निकल जाती है, पर कुछ हिस्सा liver में ही रह जाता है। समय के साथ यह fat ज्यादा बढ़ जाए तो नॉन अल्कोहोलिक लीवर सिरोसिस और liver cancer का कारण बन सकता है। research यह भी कहते है कि जो sugar अधिक खाते है, उनमें दूसरे प्रकार के cancer विकसित होने की आशंका भी अधिक होती है। sugar skin रोगों का कारण भी बन सकती है और memory पर भी असर डाल सकती है।

Problem मीठा नही, चीनी है

दिलचस्प है कि मुंह मीठा करने वाली चीजों में sugar जितनी नुकसानदेह है, उतनी कोई और चीज नही है। आखिर ऐसा क्यों है? असल में इसका रहस्य sugar बनाने के प्रक्रिया में छिपा है। गन्ने के रस को संरक्षित करने से लेकर उसे सफेद sugar तक ले आने की प्रक्रिया में जिन chemical का इस्तेमाल होता है, वे वास्तव में body के लिए नुकसानदेह है और इसमें मौजूद पोषक तत्वों को लगभग समाप्त कर देते है। इनसेक्टीसाइड के रूप में प्रयोग किया जाने वाला फार्मेल्डीहाईड उच्च रक्त चाप, धमनियों में सिकुड़न, skin रोगों व् cancer से लेकर अस्थमा तक की वजह बन सकता है। सल्फर डाई ऑक्साइड से allergy और skin रोग होते है। कास्टिक सोडा और फास्फोरिक एसिड जैसे chemical कोलाइटिस, गैस्ट्राइटिस और टांसिलाइटिस जैसे रोगों की सौगात दे सकते है। सफेद sugar या चीनी में महज कार्बोहाइड्रेट भर बचा रह जाता है। चीनी का fructose मुंह में पहुंचते ही calorie की मात्रा तो काफी दे देता है, लेकिन इसके संतुलन के लिए fiber और कई दूसरे जिन पोषक तत्वों की जरूरत होती है, वे body को बिलकुल नही मिल पाते। नतीया यह अतिरिक्त calorie heart पर भारी पड़ती है। एक चम्मच चीनी में लगभग 50 calorie होती है।

WHO के मानकों के हिसाब से इसका अर्थ हुआ कि यदि एक महिला को रोजाना औसतन 1800 calorie की जरूरत होती हो तो उसे sugar से मिलने वाली calorie 10% यानी 180 से अधिक नही होनी चाहिए। स्पष्ट है कि एक दिन में साढ़े तीन चम्मच से ज्यादा चीनी खाने की आदत रोगों को न्योता देने जैसा है। इसके विपरीत गन्ने के ताजे रस या इससे बने गुड़ में calcium, phosphorus, potassium, iron और विभिन्न तरह के दूसरे खनिज भरपूर मात्रा में होते है, जो body के लिए फायदेमंद है।

कितनी हो मात्रा

एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए अपने आहार में  चीनी की कितनी मात्रा रखे, इस पर researcher की अलग-अलग राय है। sugar की कुछ मात्रा fruits और डेयरी product के naturally स्रोतों से भी body को मिलती है। इन सबको ध्यान में रखते हुए american heart association का सुझाव है कि एक सामान्य पुरुष को रोजाना 36 gram और महिला को 25 gram से अधिक sugar नही लेनी चाहिए। एक साल से कम उम्र के बच्चों को, जब वे ठोस आहार ग्रहण करना शुरू कर दे तो ही देना शुरू करना चाहिए।



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