Saturday, July 30, 2016

अनिश्चितता (Uncertainty) में Life को जीने का सलीका

Life in uncertainty

सुरक्षित दायरे से बाहर निकलना मुश्किल होता है। पर निश्चित को छोड़ने या छूट जाने का अर्थ यह नही कि हम अनिश्चितता की ओर जा रहे है। यह असीम ज्ञान और संभावनाओ की राह भी है, जिसे accept करना life जीने का सही सलीका है।

अपने medical career की शुरुआत में, मैं स्पष्ट रूप से यह जानता था कि क्या कर रहा हूँ। किस दिशा में आगे बढ़ रहा हूँ। मुझे medicine से प्यार था। मेरा future संभावनाओ से भरा हुआ हुआ था। मुझे पता था कि जिस महिला से मैं प्यार करता हूँ, उससे शादी करके america चला जाऊंगा। तब तक यह सोचा ही नही था कि life की अनिश्चितता क्या होती है और किस तरह यह एक व्यक्ति के life पर असर डाल सकती है।

विशेष तौर पर मैं यह सोचता था कि सुरक्षा मेरी मित्र है और अनिश्चितता दुश्मन। काश, आज की तरह उस समय भी मैं यह जानता कि अनिश्चितता में ज्ञान होता है, जो अदृष्ट दरवाजों को खोलता है और यही अज्ञात तत्व life को निरंतर नयापन दे सकता है। अधिकतर सभी की तरह मैं भी अप्रत्याशित घटनाओं और बदलाओं से बेचैन हो जाता था। मैं इस बात के लिए कतई तैयार नही था कि मेरी fellowship रोक दी जाएगी। या मेरी इच्छित medical विशेषज्ञता को अस्वीकार कर दिया जायेगा। या फिर मुझे मेरे life के संबल पत्नी और बच्चे से अलग होना पड़ेगा। या मुझे एक भारतीय होने के कारण अलग नजर से देखा जायेगा। बहुत वर्षो के बाद जब तन और मन के सम्बन्ध को समझा, तब जाना कि मैं खुद को उन मूर्खतापूर्ण और तीखे हमलों से कैसे बचा सकता था।

यह समझा जा सकता है कि मैं उन बुरी स्थितियों से निकलना चाहता था और मैंने स्थिरता को चुना। हालाँकि आज समझ सकता हूँ कि यह कितना घातक हो सकता था। अनिश्चितता के ज्ञान का पहला principle है कि हर चीज व् घटना के पीछे एक मकसद होता है। हालाँकि अब यह एक मुहावरा सा बन गया है, पर भारतीय वैदिक परम्परा में इसका गहराई से analysis किया गया है।
imagine करे कि आपके हाथ में एक अदृश्य धागा है, जिसे आपको आजीवन पकड़े रखना है। यह धागा आपकी life line है, जो आपको वहा ले जायेगा, जहां आपको सम्पूर्ण संतुष्टि हासिल करने के लिए जाने की जरूरत है। वहां नही, जहां आपको मन, आपके डर, आपकी अपेक्षाएं और आपकी असुरक्षा लेना जाना चाहते है। भारत में इस धागे को धर्म कहते है, जिसका अर्थ है, धारण करना। दुसरे शब्दों में, यह अदृश्य धागा भले ही नाजुक प्रतीत हो, यह आपको सर्वश्रेष्ठ दिशा की ओर ले जाने में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा। अदृश्य होने के कारण इसके रास्ते पर अप्रत्याशित व् आशातीत प्रतीत होते है, लेकिन जहां अनिश्चितता है, वहां ज्ञान भी छिपा होता है।

life जीने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है कि अनिश्चितताओं में छिपे ज्ञान को गले लगायें। पर यह बात तब नही पता थी जब मै 22 वर्ष का था। प्रश्न होगा कि यह कैसे किया जा सकता है? इसके लिए आप खुद को इन बातों से जोड़ें...

अपने दिल के जज्बात, life का सर्वोच्च purpose, व्यापक दृष्टिकोण की समझ, दूसरो के साथ समानुभूति, सेवा कार्यो की इच्छा, खुद को universal में अद्दितीय देख पाने की समझ, स्वयं को खुशहाल और संतुष्टि हासिल करने का अधिकारी मानना।

इन बातों से खुद को जोड़ना शुरू करें। ये गुण प्रत्येक में हैं। इन्हे अपनाकर आप अपने उन tension, दबाव, असुरक्षा और संदेहों से मुक्त हो सकते है, जो आपकों बढ़ने नही देते। यह उलझाव कितने ही तरीकों से हो सकता है। कभी-कभी यह जानते हुए भी कि कोई चीज आपके लिए ideal नही है या फिर आप क्या चाहते है, आप कम से समझौता करते है। उदासीन स्वीकृति देते है या उन राय व् मूल्यों को अपनाते है, जो आपके नही, दूसरो के बनाये हुए है। और कई बार यह बात बड़ी देर से समझ आती है कि हम पीड़ित है और स्थितियों की कठपुतली बनकर रह गये है।

यदि मैं 22 का होता, इसका अर्थ यह नही है कि life में ये problem खत्म हो जाएगी। युवावस्था में स्वतंत्र होने की प्रबल इच्छा होती है। असंतुष्टि की भावना आदर्शवाद के ईधन से पोषित हो रही होती है। लेकिन यदि आप जागरूक रहते हुए खुद को अपने स्वभाव की सर्वश्रेष्ठता से जोडकर रखते है, तो उस अदृश्य धागे को मजबूती से पकड़े रहते है। दुनियाभर की ज्ञान परम्पराओं ने यह माना है कि धर्म वास्तविक है और इस पर विश्वास किया जा सकता है। अनिश्चितताओं से भयभीत होने की जरूरत नही। यह एक मुकम्मल अनिवार्यता है, यदि आप सदियों से चली आ रही प्रक्रिया को जानना समझना चाहते है, जिसे हम ज्ञान की शरुआत कहते है।



# इस article के writer ‘दीपक चोपड़ा’ international famous भारतीय मूल के अमेरिकी writer, modern motivational गुरु व् फिजीशियन। इनकी 75 से अधिक books प्रकाशित हो चुकी है।


                                  www.deepakchopra.com






Wednesday, July 27, 2016

Blog पर Post करने के 12 बातें


1-  Post के मुख्य बिंदु

post में देखें कि इसमे वे जरूरी keywords शामिल है, जिन्हें टाइप करते ही वे search की पकड़ में आ जाएँ। इसके अलावा google adwords की मुफ्त प्रमुख चयन प्रणाली सेवा का लाभ ले। post के शीर्षक को आकर्षक भी बनाएं।

2-  Social Media

अपने blog को RSS feed से लैस करें। इससे blog खूब-ब-खुद पनपने लगेगा। इसमे अनेक social media sites शामिल होती है।

3-  Post का URL

post का url जितना छोटा होगा, इसे अन्य जगहों तक पहुंचाना और पढना दोनों आसान होगे। ऐसी sites की कमी नही, जो url को छोटा कर देती है।

4-  States के अनुकूल

कई बार blog में आप अपना states ऐसा रखते है, जिसे पढकर कुछ समझना मुश्किल होता है। इससे आपकी post में visitor कम आते है, इसलिए समय-समय पर blog update करते रहे।

5-  Forum से जुड़े

कोई भी online forum आपके लेख को तभी प्रचारित करती है, जब वह उपयुक्त हो। इसलिए दुसरे किसी forum में post साझा करते समय ध्यान रखे कि post उस forum से सम्बंधित है या नही।

6-  Bookmark बनाएं

bookmark sites में post करने से blog की ओर traffic में इजाफा होता है। कुछ bookmark sites है- BibSonomy, Blinklist, BlogBookMark, Diigo,Digg

7-  अन्य Blog पर Comment

दूसरो के blog पर important, सहयोगात्मक comment करना traffic बढ़ाने, सम्बन्ध विकसित करने का बेहतर तरीका हो सकता है, इससे सहयोग और सम्बन्ध बढ़ते है।

8-  Twitter को न भूले

twitter पर सहायता पाने और और सहायता करने की भूमिका में रहे। ईमानदारी से मदद व् अच्छे twit से group को विकसित किया जा सकता है। अपने blog के शीर्षक को बनाएं और अपने post उन लोगो के साथ साझा करे, जो सहयोग मांग रहे है।

9-  Email से जुड़ें

अपने हर email की नीचे thanks and regards के बाद अपने नाम यानी signature के बाद अपने blog का link जरुर डाले।

10- Target Readers का ध्यान

आपको पता होना चाहिए कि web पर आपके blog के पाठक कौन है और कहां है। उन तक अपनी post पहुँचाने का हर संभव प्रयास करें।

11- E-Newsletter

अगर आपके पास e-newsletter जैसी कोई सेवा है तो उसमे भी अपने blog को प्रचारित करने में कोई कसर न छोड़े। इससे आपके blog का दायरा बढ़ेगा।

12- दूसरे Bloggers

अपने प्रभावी क्षेत्र में दूसरे blogs के साथ सम्बन्ध विकसित करे, ताकि वे भी समय-समय पर आपके post को बढ़ावा दें।





  






Monday, July 25, 2016

Office में Professional हो आपकी Image

professional image

किसी भी व्यक्ति की promotion में उसकी पेशेवर छवि बहुत मायने रखती है। इसलिए समय रहते अपनी पेशेवर छवि पर ध्यान देना बेहद जरुर होता है। ऑफिस में कैसे निखारे अपनी छवि, आये जानते है।

एक बड़ी corporate company में काम करने वाले अमित ने job के पहले दिन से ही सिर्फ काम पर ध्यान दिया। वह समय से office पहुंचता, अपने हिस्से का काम पूरी ईमानदारी से करता और शाम को घर वापस चला जाता। न किसी के साथ चाय पीता और न ही किसी चर्चा में हिस्सा लेता। कुछ दिनों तक company में उसे कोई problem नही थी। हर कोई उसके शांत स्वभाव और मेहनतकश रवैये की कद्र करता। कभी कोई उससे help मांगता, थोड़ा सा अतिरिक्त काम करने को कहता तो वह मना नही करता। उसका यह रवैया सबको बड़ा अच्छा लगता। लेकिन धीरे-धीरे उससे मदद मागने वालों की संख्या बढने लगी। इससे उसका अपना काम प्रभावित होने लगा। लिहाजा अमित ने खुद को थोड़ा बदलने की ठानी। अब वह दूसरों का काम तभी करता, जब उसका अपना काम निबट जाता। कोई बहुत दबाव बनाता तो अपने manager को काम लेट होने की वजह बता देता। एक-दो बार तो उसने काफी तल्ख अंदाज में मदद करने से मना कर दिया। अमित का यह बदला हुआ रूप उससे अक्सर अपना काम कराने वालों को पसंद नही आया। उन लोगो ने अमित के बारे में अनाप-शनाप प्रचार करना शुरू कर दिया। manager से उसकी complain करने लगे। अमित काम में धीमा और सुस्त है, उसका व्यवहार ख़राब है। वह काम तो कर लेता है, लेकिन अपनी ही तरह से चलता है आदि। ये लोग manager ही नही, company के अन्य senior officer के सामने भी उसकी image बिगाड़ने में पीछे नही रहते।

वही दूसरी ओर आकाश का काम में हाथ थोड़ा तंग था। जब देखो किसी न किसी के साथ चाय की दुकान पर दिखता। इसकी बुराई उससे और उसकी बुराई किसी और से करने में उसे बहुत मजा आता। काम आया नही कि किसी दुसरे की ओर ठेल दिया और जब काम गिनाने की बारी आये तो सबसे आगे। जो लोग काम नही करें वो उसके निशाने पर। कुछ समय तक वह मन की करता रहा, लेकिन जल्द ही उसकी भी image का बट्टा बैठ गया। दरअसल नये लोग आने के साथ ही आकाश का management flop होने लगा।

अमित और आकाश जैसे बहुत से लोग हमारे इर्द-गिर्द होते है। इस तरह के लोगो की तरक्की में बड़ी बाधा बनती है ख़राब छवि। विशेषज्ञ कहते है कि office में अमित जैसे लोगों को लगता है कि वे बेहतर काम जानते है इसलिए उन्हें किसी से बात करने की क्या जरूरत। उन्हें तो किसी से बात करने की क्या जरूरत। उन्हें तो किसी की मदद की जरूरत पड़ती नही तो क्यों किसी के साथ तालमेल बैठाया जाएँ। ऐसे लोग अपने कार्यस्थल में साथियों के साथ घुलने-मिलने से बचते है। उन्हें कोई चर्चा में शामिल करने की कोशिश भी करे तो पलट कर तल्ख जवाब देते है। ऐसे में लोग उनसे बातचीत में पहल करने में डरते है। किसी मुद्दे पर उनका समर्थन नही करते। उनकी छवि गैरमिलनसार कर्मचारी की बनने लगती है। वही आकाश जैसे कर्मचारी काम पर ध्यान देने के बजाय चीजें manage करने में ही लगे रहते है। इससे धीरे-धीरे वे काम में पिछड़ते जाते है। हालाकिं office में उनकी लोकप्रियता का graph काफी उपर होता है, लेकिन perfection के साथ काम न कर पाने, हमेशा किसी की मदद मांगने और चुनौती न लेने की वजह से वे पिछड़ते जाते है।

विशेषज्ञों की मुताबिक office में ज्यादातर लोग technical रूप से दक्ष, सामाजिक सरोकारों से जुड़े, मेहनती, अपने काम, अपनी team और company के प्रति समर्पित, अच्छे आचरणवाले और ईमानदार व्यक्ति की छवि चाहते है। इस छवि की इच्छा रखने वालों की यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि office में बेहतर छवि सिर्फ काम से ही बनती है। अगर आप काम नही जानते होगे तो कितनी चीजें manage करे, एक न एक दिन आपकी असलियत सामने आ ही जाएगी। हां, अगर आप काम के साथ कुछ बातें manage करना भी जानते है तो आपकी राह आसान हो सकती है। इसलिए office में पहली प्राथमिकता काम है। खूब काम करे और साथ ही time निकाल कर सहकर्मियों से मेल-जोल भी बढायें। कभी कोई रुचिकर किस्सा सुनाकर, कभी किसी celebration के बहाने तो कभी कभी किसी जरुरतमन्द की मदद कर आप लोगो के करीब आ सकते है। इससे आपकी सकारात्मक छवि बनेगी। इसके अलावा भी कई अन्य बातें है, जो छवि निखारने में important भूमिका निभाती है-

जो कहें वो करे, जो कर सकें वही कहें

office में आप क्या और कितना काम करते है, लोगो की नजरें हमेशा इस पर बनी रहती है। आपसे काम में कोई कमी छूटी नही या किसी काम के लिए आपके मुहं से ना निकली नही कि लोग बतंगड़ बनाये बिना नही रहेगे। इसलिए office में हमेशा अपने काम पर focus रहें। जिस भी assignment को हाथ में ले उसे पूरी शिद्दत के साथ समय से पूरा करें। जो काम आपकी सीमाओं में न हो उसके बारे में अपने senior से स्पष्ट कहें। अगर किसी काम में किसी साथी कर्मचारी या senior की मदद ले रहे है तो उसका विनम्रता से आभार व्यक्त करें। उसके काम का उसे पूरा श्रेय दें।

मददगार बनें

एक research के मुताबिक office में सबसे ज्यादा उन्हीं लोगो को पसंद किया जाता है, जो साथियों की मदद करने में सबसे आगे रहते है। मदद कई तरह की हो सकती है। जैसे अगर कोई साथी कर्मचारी किसी दिन आधा घंटा पहले जाना चाहता है तो खुद से पहल कर उस दिन उसके हिस्से का काम करके आप उसकी मदद कर सकते है। अगर आपके पास कार है तो अपने घर के पास ही रहने वाले कलीग को जरूरत पड़ने पर उसके घर तक छोड़ सकते है, किसी कलीग को आर्थिक मदद चाहिए, तो वह भी दे सकते है। इससे office में आपकी स्वीकार्यता बढ़ेगी। लेकिन मदद करते समय ढिंढोरा न पीटें यानी आपने किसी की मदद की है यह office में किसी को पता नही चलना चाहिए। यही नही, office में जो व्यक्ति आपसे जितनी मदद के अपेक्षा करे, जैसे office में किसी ने आपसे एक contact number मांगा तो आप उसे एक ही नही, ज्यादा contact देने की कोशिश करें। अगर कोई आप से 24 घंटे के भीतर कोई जानकारी मुहैया करवाने की उम्मीद कर रहा है तो आप 12 घंटे में ही जानकारी जुटा कर दे सकते है। ये छोटे-छोटे तरीके आपकी छवि निखारने में important योगदान दे सकते हैं।

निरंतरता है बेहद जरूरी

कुछ लोग कभी- कभी ही व्यवहार से लेकर काम करने में काफी activity दिखते है, इसका छवि पर बेहद negative effect पड़ता है। ऐसे लोग अक्सर अप्रेजल होते ही काम से जी चुराने लगते है। इनकी छुट्टियों की list हमेशा तैयार रहती है। office में भी इनका जितना ध्यान अपने काम पर होता है, उससे ज्यादा ध्यान manager के cabin पर। manager office से निकले नही कि bag उठाकर वे भी भाग निकलते है।

यह प्रवृति न सिर्फ सहकर्मियों की निगाह में, बल्कि manager की निगाह में आपकी छवि ख़राब करती है। इसी को ध्यान में रखकर निरंतरता बनाये रखें।

Important बातें

1-  विश्वनीयता, जिम्मेदारीपूर्ण व्यवहार, विनम्र स्वभाव और काबिलियत जैसे गुण छवि बनाने important भूमिका निभाते है। इसलिए office में अपने बातचीत के अंदाज और व्यवहार के लेकर सजग रहे।

2-  अपने मूड को अपने काम पर कभी हावी न होने दे। आप चाहे बेहद खुश हो या tension में हो, हमेशा संतुलित व्यवहार करें।

3-  किसी भी विषय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से पहले अच्छी तरह सोचें। साथी कर्मचारियों के बारे में न तो कोई negative comment करें और न ही निजी comment.



                                         निखरेगा Talent तो बढ़ेंगे आगे


  





   

Friday, July 22, 2016

वो मामूली लगने वाली Diseases


पेट में गड़बड़ होना, बहुत पसीना आना या फिर मुहँ से दुगंध आना, कुछ ऐसी बीमारियाँ है, जिनके लिए doctor के पास जाना अक्सर टाल दिया जाता है। ऐसे में उपचार में देरी करना problem को बढ़ा देता है, जिसके लिए बाद में दवा भी अधिक खानी पड़ती है और सही होने में समय भी ज्यादा लगता है। जानते है कुछ ऐसी ही problem...

बहुत पसीना होना

इसे हाइपरहाइड्रोसिस कहते है। बेंगलूर स्थित fortis hospital में internal medicine विभाग की consultant सुधा मेनन के अनुसार इस problem में हथेलियों व् पैरों के तलवों में पसीना अधिक आता है।

क्या करे: हालाकिं बहुत कुछ व्यक्ति के जींस और सक्रियता पर depend करता है, पर साफ- सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। doctor मेनन कहती है,’ पसीना प्रभावित हिस्से को साफ व् सूखा रखे। अस्थायी उपचार के तौर पर कांख में नमी व् पसीने को सोखने वाले एंटीपरस्पिरेंट्स भी इस्तेमाल कर सकते है। आराम न मिलने पर बोटोक्स के injection की सलाह भी दी जाती है। इससे कांख की सिंपेथैटिक नस को ब्लॉक कर दिया जाता है, जिससे पसीना आता है। पर इसे हर छह माह में दोहराना पड़ता है।

urine पर काबू न रहना

केवल बुजुर्गो को ही नही यह problem युवतियों में भी अधिक देखने को मिलती है। बेंगलूर में स्थित
 urologist वेंकटेश राव कहते है,’पुरुषों में प्रोस्टेट का बढ़ना इसका कारण हो सकता है। महिलाओं में
 बच्चों के जन्म के बाद भी ऐसा हो जाता है, जो मूत्राशय की मांशपेशियों के अनियंत्रित ढंग से
 सिकुड़ने व् फैलने के कारण होता है। मूत्र मार्ग में किसी संक्रमण से भी ऐसा होता है। मोटापे के
 कारण पेट के निचले भाग के उतकों पर दबाव पड़ना व् stroke, multiple sclerosis व् Parkinson
 जैसे रोगों के कारण भी ऐसा होता है। 
 
क्या करें: doctor राव पेडू के exercise करने की सलाह देते है। नियमित अभ्यास से इस पर control
 हो जाता है। धीरे-धीरे पेशाब जाने की जरूरत कम महसूस होती है। धीरे-धीरे सांस लेना व् छोड़ना भी
 मदद करता है। इन्हें एक साथ बहुत सारा पानी पीने की जगह दिन भर में धीरे-धीरे सांस लेना व् 
छोड़ना भी मदद करता है। इन्हें एक साथ बहुत सारा पानी पीने की जगह दिन भर पानी पीना चाहिए।
 खांसते व् छींकते समय पेडू की मांशपेशियों को कस ले, इससे पेशाब नही आएगा। 
 
मुंह से दुगंध आना

यह केवल शमिन्दगी का एहसास होने तक सीमित नही है। इसकी वजह मसूड़ों में swelling आने व्
 साइनस से जुड़ी हो सकती है। doctor मेनन के अनुसार प्लाक हटाने व् मसूड़ों की किसी भी तरह की
 परेशानी से दूर रहने के लिए नियमित दांतों की जाँच जरूरी होती है। जिन लोगो को पेट में acid
 बनता है, उनमें मुहं से भी दुगंध आती है। 
 
क्या करे: अगर आप इलायची,सुपारी,मिंट आदि mouth freshener खाते है, तो यह जानना भी जरूरी
 है कि यह केवल अस्थायी हल है। वजह acid reflux है। problem का हल करने के लिए lifestyle
 को बदलने पर ध्यान दें। body की activity बढ़ाएं। लहसून, पुदीना और प्याज ज्यादा मात्रा खाना
 acid बनाता है। अगर आपका weight अधिक है और पेट के मध्य में बसा अधिक एकत्र है तो acid
 बनने के कारण एक खास angle पर body का झुकाव होना है। पॉस्चर ठीक रखें। 

पेट में गड़बड़ी 

पेट में मरोड़ होना, रह-रहकर pain होना, डायरिया या कब्ज होना इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण है। इससे कमजोरी के अलावा बार-बार washroom जाने की जरूरत महसूस होती है। कही आने-जाने में डर लगने लगता है। इसके कई कारण हो सकते है, भोजन न पचना, दूषित भोजन करना, hormones में बदलाव, bacteria पनपना और lifestyle में बदलाव आना। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा tension के कारण भी होता है।

क्या करे: पुणे में Apollo hospital clinic में सर्जन व् ऐंडोस्कोपिस्ट doctor कुलकर्णी के अनुसार इससे बचने के लिए नियमित सुबह नाश्ता करें और तीन बार भोजन करने की जगह पांच से छह बार कम मात्रा में भोजन करें। संतरा,आम, ब्रोकली व् गाजर आदि सब्जियों में मौजूद घुलनशील fiber अधिक मात्रा में लें।



  
 
 


Wednesday, July 20, 2016

Asthma (दमा) की सही जाँच व् उपचार

asthma

दुनियाभर में हर 10 seconds में किसी एक व्यक्ति को दमा का attack पड़ता है। भारत में दमा पीड़ितों की संख्या 3 करोड़ से अधिक है। हालाकिं वास्तविक संख्या इससे कही अधिक है। मौजूदा विकल्पों की मदद से दमा पीड़ित सामान्य जीवन जी सकते है, पर कई भ्रांतियां अब भी पीछा कर रही है। दमा की क्या सही जाँच व् उपचार आये जानते है,

दमा के सम्बन्ध में खतरे की बात यह है कि India में ज्यादातर दमा रोगी या तो इलाज नही करवाते या फिर उनका दमा control में नही है। पिछले एक दशक में बच्चों व् गर्भवती महिलाओं में भी इसके मामले बढ़े है। अच्छा और किफायती इलाज होने के बाद भी जागरूकता की कमी व् उपचार में लापरवाही बरतने के कारण इसके रोगियों की स्थिति serious हो जाती है।

सामान्य शब्दों में दमा से आशय सांस लेनी की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होना है। allergy के कारण फेफड़ों तक हवा पहुँचाने वाली नली में सूजन आने से सांस नली तंग हो जाती है, जिससे सांस लेने में problem होने लगती है। दमा के कारण अभी पूरी तरह स्पष्ट नही है। आमतौर पर आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारण इसके जिम्मेदार होते है। फूलों और पेड़ों से निकलने वाला पराग,घास,शैवाल,कीट,जानवरों और परिंदों की रुसी,धुल,प्रदुषण,स्टोव और गैस हीटर से निकलने वाली gas, air blower आदि दमा allergy का कारण हो सकते है। aspirin और बीटा बलॉकर्स medicine, ठंडी हवा, अधिक tension, गुस्सा और डर आदि भी इस problem को बढ़ाते है। कई लोग इसके लक्षणों जैसे लगातार खांसी होना, सांस लेने के साथ सीटी की आवाज आना, सुबह-सुबह की खांसी, सांस उखड़ना और घरघराहट आदि को serious से नही लेते। वे खांसी की सामान्य medicine ही लेते रहते है, जिससे दमा अनियंत्रित हो जाता है।

Lifestyle को संभालना है जरूरी

दमा उभरने पर मरीज को तुरंत राहत देने के लिए ब्रॉनकोडायलेटर्स syrup/ inhaler की मदद ली जाती है। दमा के रोग में गोली लेने से बेहतर medicine को इनहेल करना होता है। इससे medicine सांस के जरिये सीधे फेफड़ो तक पहुंचती है। दूसरा, श्वास नली की सिकुड़न व् allergy को स्थायी रूप से कम करने में मदद मिलती है।

आर्युवेद में दमा cough सम्बन्धी रोग माना गया है, जिसमें सुधार के लिए सही दिनचर्या पर जोर दिया गया है। सोने व् जागने का सही समय रखना, संतुलित भोजन करना, पेट की सफाई, व्यायाम व् tension कम करना जरूरी उपाय है। आर्युवेद में दही, चावल,भिंडी, राजमा, केला और उड़द दाल को cough बढ़ाने वाला माना जाता है। दही, ice-cream आदि में परहेज के साथ तेज गंध, धूल,धुएं आदि से दूर रहना बेहतर होता है। salt therapy व् मर्म चिकित्सा भी फायदा पहुंचाती है। मर्म चिकित्सा में हाथ व् सीने के मर्म बिन्दुओ को दबाकर इलाज करते है।

दमा से जुड़े मिथक और तथ्य

मिथक: दमा के मरीजों को व्यायाम से दूर रहना चाहिए।

तथ्य: ऐसा नही है। दमा के मरीजों के लिए भी exercise जरूरी है। लेकिन exercise के दौरान श्वसन नली की चौड़ाई कम होने से उसमे रूखापन बढ़ सकता है। ऐसे में धीमा warm-up कर सकते है। दमा के मरीज walking, cycling, swimming badminton और tennis जैसे खेलों का हिस्सा बन सकते है।

मिथक: दमा अपने आप ठीक हो जाता है।

तथ्य: इस बात से आधी सच्चाई है। 2 से 10 वर्ष की आयु के दमा पीड़ित बच्चों में आधे से अधिक में बढती उम्र के साथ इसके लक्षणों में कमी आती है। वहीं दूसरा पहलू भी है। 30 वर्ष का होने पर या धुम्रपान शुरू करने पर या अन्य कई कारणों से यह बीमारी लौट सकती है।

मिथक: दमा में सांस फूलती है।

तथ्य: हर सांस फूलने की बीमारी दमा नही होती और न ही दमा में सांस फूलना जरूरी होता है। सांस फूलना इस बीमारी का एक लक्षण है, एकमात्र लक्षण नही।

मिथक: x-ray से हो जाती है दमा की जाँच

तथ्य: दमा की जाँच के लिए x-ray का कोई खास लाभ नही होता। इसके लिए फेफड़ो की कार्यक्षमता का test किया जाता है। उसी आधार पर जाँच होती है।

मिथक: inhaler तभी ले, जब दमा बहुत बढ़ जाए।

तथ्य: ऐसा नही है। फ़िलहाल inhaler दवा लेने का सबसे secure तरीका है। inhaler बहुत कम body में भेजते है। यह सामान्य तरीके से 40 गुना तक कम दवा body में भेजते है।

मिथक: गर्भवती महिलाएं inhaler न लें।

तथ्य: ऐसा नही है। inhaler से बहुत कम मात्रा में दवा body में जाती है इसलिए इससे गर्भस्थ शिशु को कोई नुकसान नही होता। हां, अगर गर्भवती महिला को कहीं दमा का attack आ जाए तो इससे शिशु को काफी नुकसान पहुंच सकता है। गर्भावस्था की शुरुआत से ही doctor से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

मिथक: दमा रोगी सामान्य जीवन नही जी सकते।

तथ्य: ऐसा नही है। सौरभ गांगुली, इयान बॉथम जैसे cricketer हों या फिर अभिताभ बच्चन जैसे फ़िल्मी सितारे हों, ये सभी asthma से लड़ते हुए सामान्य लोगो से अधिक active life व्यतीत कर रहे है। ध्यान रखें दमा पूरी तरह ठीक नही होता, इसे control रखा जाता है।

मिथक: दमा संक्रामक या छूट की बीमारी है।

तथ्य: यह बीमारी न छूने से फैलती है न पीड़ित के contact में आने दे।

क्या करे, क्या नही

1-  दमा को accept करने में संकोच न करें

2-  inhaler हमेशा पास रखें। ध्यान दें कि सही ढंग से दवा इनहेल करते है या नही।

3-  आपातस्थिति में क्या करना चाहिए, ये जानकारी doctor से लें।

4-  family में किसी को दमा रहा है तो माता को गर्भस्थ शिशु को छह माह तक दुग्धपान जरुर कराना चाहिए। मां के दूध में दमा प्रतिरोधी सुरक्षात्मक तत्व होते है।

5-  धुम्रपान न करे। नियमित श्वास सम्बन्धी exercise करें।

6-  व्यस्ततम घंटो में यात्रा करने से बचें। driving के समय कार के शीशे बंद रखें।


7-  दमा को उभारने वाले allergy के कारणों से दूर रहें। 


                         कानों में Hearing Problem की वजह

  

Monday, July 18, 2016

निवेशको के लिए E-Insurance

e-insurance

बीमा नियामक इरडा ने एक खास राशि से अधिक की policy के मामले में उसे electronic रूप(e-insurance) में जारी करना अनिवार्य कर दिया है। इरडा का यह नियम इस साल 1 October से लागू हो जायेगा। life insurance policy के मामले में यदि सालाना बीमा premium न्यूनतम 10,000 रूपये या बीमित राशि(sum assured) एक लाख रूपये से है तो policy electronic रूप में ही मिलेगी। स्वास्थ्य और दुर्घटना बीमा सहित अन्य तरह की policy के लिए नियम जारी किये गये है। इसे दस्तावेज के मुकाबले संभालकर रखना ज्यादा आसान होगा।

Health Insurance में क्या है नियम

इरडा के नये नियम के मुताबिक health insurance policy के मामले में यदि सालाना premium न्यूनतम 10,000 रूपये या बीमित राशि न्यूनतम five lac रूपये होगी तो company e-insurance ही जारी करेगी। health insurance policy अब OPD खर्च और डे केयर सुविधा के साथ भी आने लगी है जिनका premium महंगा है। वही गंभीर बीमारियों को भी बीमा का दायरे में लाने पर premium महंगा हो जाता है। इसे देखते हुए बीमा नियामक इरडा की पहल से अधिक से अधिक policy इसके दायरे में आएँगी।

Accidental Insurance में क्या होगा दायरा

policy का सालाना premium न्यूनतम पांच हजार रूपये या बीमित राशि न्यूनतम 10 लाख रूपये है तो बीमा company उसके लिए e-insurance ही जारी करेंगी। premium राशि पांच हजार होने से accidental insurance के तहत बड़ी संख्या में policy e-insurance के दायरे में आ जाएंगी। घरेलू यात्रा बीमा policy के मामले में भी यही नियम लागू होगा।

Motor Insurance में E-Insurance जरूरी

इरडा ने motor insurance के लिए किसी भी राशि की policy को e-insurance रूप में जारी करना अनिवार्य कर दिया है। विदेश यात्रा insurance policy के लिए यही नियम मान्य होगा। साथ ही आपदा से प्रभावित होने की सम्भावना वाले क्षेत्रो में सभी तरह की policy company के लिए e-insurance रूप में जारी करना अनिवार्य कर दिया गया है। वही life insurance के मामले में term policy है तो 10 लाख रूपये बीमित राशि होने पर उसका e-insurance ही जारी होगा।

कैसे मिलेगी Policy

insurance company policy को PDF रूप में बनाकर आपके e-mail पर भेज देंगी। यदि आपने पहले से बीमा खाता (शेयर की तरह डीमैट खाता) खुलवा रखा है तो digital signature के लिए उसका इस्तेमाल किया जायेगा आपके पास बीमा खाता नही है तो बीमा company e-insurance के साथ दस्तावेज के रूप में भी policy भेजेगी। लेकिन बीमा खाता होने पर policy e-insurance के रूप में ही मिलेगी।

क्या है बीमा खाता

कई insurance policy को एक खाते में संभालकर रखने की सुविधा बीमा खाता है। इसमे policy को share की तरह demat (electronic) रूप में संभालकर रखा जा सकता है। इससे policy के खो जाने या चोरी हो जाने या प्राकृतिक आपदा में ख़राब हो जाने का डर नही होता है। क्लेम के समय भी आसानी होगी। इरडा ने इसके लिए कुछ repository को मंजूरी दी है जो policy को demat के रूप में रखेंगी। आप सीधे repository से या अपनी बीमा company से बीमा खाता खोलने के लिए contact कर सकते है।

Online Policy खरीदना भी आसान

इरडा ने online बीमा policy खरीदने वाले उपभोक्ता की सुविधा को देखते हुए company को आदेश दिया है कि वह उनके लिए policy का proposal form भी online उपलब्ध कराएँ। बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ बड़ी राशि वाली policy अभी भी इस नियम के तहत जारी की रही है लेकिन वैसे मामले में भी बीमाधारक को signature दस्तावेज पर करना पड़ता है। इरडा ने इसे देखते हुए नियमो में कुछ बदलाव किया है जिसके तहत यदि बीमाधारक के पास पहले से बीमा खाता है तो उसे कागजी दस्तावेज पर signature करने की जरूरत नही होगी और उसका signature बीमा खाता से ले लिया जायेंगा। वही बीमा खाता नही होने पर उसे digital signature देना होगा और इसके लिए बीमा company को इसकी सत्यता की जाँच(verification) के लिए one time password (OTP) की सुविधा देनी होगी। साथ ही बीमा company को e-insurance number मुहैया कराना होगा जिससे उसे सम्बंधित repository के बीमा खाता में भेजा जा सके।

E-Commerce पर भी मिलेगा बीमा

इरडा ने e-commerce पर भी policy बेचने के लिए मसौदा जारी किया है। इसका मकसद अधिक अधिक से अधिक लोगो को बीमा कवर के दायरे में लाना और अन्य वित्तीय products की तरह बीमा को भी online लोकप्रिय बनाना है। कई study में यह पाया गया है कि online खरीददारी में सबसे अधिक हिस्सेदारी युवाओं की है। ऐसे में इरडा का इरादा युवाओं के बीच बीमा को सबसे पहले काम आने वाले वित्तीय products में है जिसे नजरअंदाज नही करना चाहिए।

बीमा पर Tax का भी लाभ

life और health insurance policy पर tax छूट फायदा भी मिलता है। आयकर नियमो के मुताबिक life insurance policy के premium भुगतान पर सालाना 1.5 lac रूपये तक की tax छूट हासिल कर सकते है। वही health insurance policy के मामले में tax छूट सीमा सामान्यत: 25,000 रूपये और senior नागरिकों के लिए 30,000 रूपये है।