Sunday, June 28, 2015

Resume में न करे ये भूल






job हासिल करने की पूरी प्रकिया में resume एक ऐसा हिस्सा है, जिससे आपके पूरे personality, कौशल, अनुभव और लक्ष्य के बारे में स्पष्ट हो जाता है। एक अच्छी और ज्यादा वेतन देने वाली job पाने के लिए resume का प्रभावशाली होना जरूरी है। इसमे आई गडबड़िया आपको प्रतियोगिता से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। इसलिए इसे बनाते वक्त खास सावधानी बरते।

Company का रखे ध्यान

Resume company की जरुरतो और लक्ष्यों के हिसाब से ही बनना चाहिए। कुछ candidate एक ही resume और cover letter हर employer के पास भेज देते है। यही वजह है कि 70 फीसदी resume को शुरूआती दौर में ही छांट में ही दिया जाता है। इसलिए resume डालने से पहले जानिए कि किस पद की vacancy है, उसके लिए कैसा experience चाहिए और उसके हिसाब से ही resume में बदलाव कीजिये।

Resume में दिखे आपकी छाप

resume बनाने के लिए किसी templet या format अपनाने की जरूरत नही है। बस कुछ जरूरी information important है। मसलन, आपका नाम, नंबर, address, आपका हुनर यानी professional skill, experience, hobby आदि। नियोक्ता के लिए फैसला करना तब और आसान हो जायेगा, यदि आप अपने experience, skill और academic उपलब्धियों जैसी important information सबसे उपरी हिस्से में दे देगे। दो page से ज्यादा का CV न बनाये और funny से दिखने वाले font का इस्तेमाल न करे।

सफाई का रखे ध्यान

ज्यादा designer resume बनाने की फिराक में कई बार resume ख़राब बन जाता है, जिसे समझने में परेशानी होती है। resume बिलकुल साफ-सुथरा और आसान होना चाहिए, जिसे देखते ही यह पता लग जाए कि प्रतिभागी ने किस पद के लिए आवेदन भेजा है और उस पद के लिए उसके पास जरूरी अनुभव व् योग्यताये है या नही। resume में white space का ख्याल रखे।

Cover Letter जरुर दे 
     
एक job के सैकड़ो दावेदार होते है। फिर company आपको job क्यों दे। Cover Letter इसी का जवाब है। resume के साथ एक छोटा सा नोट दे कि आप उस पद के लिए क्यों और कैसे योग्य है। लेकिन cover letter में resume में दी गई जानकारी का दोहराव न हो।

अन्य Important बाते

1-      resume के उपर resume आदि लिखने कि जरूरत नही है

2-      objective summary आदि न दे।

3-      hobby और रुचियों के बारे में बताते हुए ऐसी चीजो को न लिखे, जिन्हें पैसिव माना जाता है। मसलन TV देखना, video game खेलना आदि।

4-      salary जो मिल रही है या जो आपको चाहिए, कभी न लिखे।

5-      modeling और acting के क्षेत्र में apply कर रहे है तो फोटो लगाए, नही तो फोटो लगाने की कोई जरूरत नही है।

Thursday, June 25, 2015

Quotes Of Yoga




1 -      योग खुद की, खुद के अन्दर झाकने और खुद को पहचानने की अदभूत यात्रा है

                                    भगवद गीता

2-  योग और अध्यात्म सदबुद्दि दिलाते है। इनकी कमी से अज्ञानता बढती है। उन चीजो को पहचाने, जो आपको आगे ले जाती है और जो पीछे की ओर धकेलती है।

                                  गौतम बुद्द

3-  योग से हम तीन खूबियां विकसित कर सकते है। पहले किसी भी काम को सर्वक्षेष्ठ ढंग से करने की क्षमता। दूसरी, विन्रमता और तीसरी सहनशीलता

                                 पेमा चोडन, बौद्द अध्यात्म गुरु

4-  योग- अध्यात्म में उन नकारात्मक विचारों को नष्ट करने की अदभूत क्षमता होती है, जो तनाव और बेचैनी का कारण बनते है।

                                 बाक्सटर बेल, योग प्रशिक्षक

5-  योग एक मार्शल आर्ट है, जिसमे इन्सान की आत्मा के सामने उसका सबसे मजबूत प्रतिद्द्न्दी खड़ा होता है और वह है उसका अंहकार।

                                 बेथ ईटन, योग प्रशिक्षक

6-  योग मस्तिष्क को शांत करने की कला है। सभी चिताओं से मुक्त मस्तिष्क ही योग है।

                                 महर्षि पंतजलि, योग गुरु 
      
7-  हम विश्व की शांति की कामना करते है। लेकिन विश्व में शांति तब तक मुमकिन नही है, जब तक हम मन की शांति नही हासिल कर लेते।

                                गेशे केलसांग ग्यात्सो, बौद्द योग गुरु

8-  सूर्य नमस्कार ठंड के बेहद सर्द और आलस भरे दिनों में भी गर्माहट का अहसास कराकर तन-मन में नई उर्जा भर सकता है।
                              कैरल कुसाफ, योग प्रशिक्षक

9-  जब टाक थेरेपी और डिप्रेशन रोधी दवाये बेअसर साबित होने लगे तो योग का दामन थामना फायदेमंद हो सकता है।
                             एमी बेनटान, योग प्रशिक्षक

10- पूजा- अर्चना के वक्त आप ईश्वर से अपने मन की बात कहते है और योग- अध्यात्म करते करते हुए आप ईश्वर के मन की बात सुनते है।

                                           डायना रौबिसन, योग प्रशिक्षक

11- योग हमे उन चीजो का उपचार सिखाता है, जिन्हें सहना जरूरी नही है और उन चीजो को सहना सिखाता है, जिनका उपचार मुमकिन नही है।

                                        बीकेएस अयंगर, भारतीय योग प्रशिक्षक

12- योग स्थिरता में जीवंता है, रोजमर्रा की व्यस्त जिन्दगी में आजादी की अनुभूति है, सयम रखते हुए अपने अन्दर नई ऊर्जा जगाने की कला है।

                                       यम्बर डेलेकटो, योग प्रशिक्षक 

13- योग की ख़ूबसूरती यही है कि लोग फिटनेस हासिल करने की इसकी शरण में आते है और साथ में संयम, सुकून व् सादगी समेत कई खुबिया ले जाते है।

                                     लीजा सियानो, योग प्रशिक्षक

14- योग की शुरुआत उस व्यक्ति ने की होगी, जो ताउम्र स्वस्थ और खुशहाल रहने की ख्वाहिश रखता था।
         
                           श्री स्वामी सच्चिदानंद योग गुरु 

15- अध्यात्म के जरिये एक समय में एक ही चीज पर पूरा ध्यान लगाकर हम मनचाही चीज में मन लगाने की कला सीख सकते है।

                                  एकनाथ ईश्वरन, योग गुरु

Sunday, June 21, 2015

विश्व योग दिवस World Yoga Day




विश्व योग दिवस

आज 21 June विश्व योग दिवस है, इसके लिए भारत में जब नरेंद्र मोदी ने prime minister  पद संभाला तो उन्होंने पूरे world से आग्रह किया कि वे स्वस्थ्य रहने के लिये yoga को अपनायें। पिछले साल संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में घोषित किया। सच पूछिए तो भारत के लिये यह गर्व की बात है, क्योंकि योग की जननी भारत ही हैं। चलो आज हम yoga divas को गौरव के साथ मनाते है, और पुरे world में इसे एक सम्मानित पर्व का रूप दे। 

Yoga की परिभाषा

इंसान के body, behavior, मन और emotional को control करने वाली एक प्रक्रिया है। यह heart, brain और body के बाकी अंगों को control करने वाला विज्ञान है, जो इंसान की जीवनशैली में बदलाव लाता है।
yoga का नाम सुनते ही लोगों को व्यायाम याद आ जाता है। उन्हें लगता है कि yoga महज एकव्यायाम है जो सुबह उठकर करना चाहिये। कई लोग लोग किसी पहाड़ की गुफा में बैठे किसी साधु के बारे में सोचते हैं। कई लोगों के जहन में योग aerobics आता है। उन्हें लगता है कि yoga शारीरिक व्यायाम होता है और इसे करने से इंसान फिट रहा है। जबकि सच पूछिए तो yoga  इससे कहीं आगे है। प्राचीन काल में देश में तमाम योगी अनेक प्रकार के animals को देख आसन, मुद्राएं सीखने के प्रयास करते थे। ऐसा करने से उनकी आयु में वृद्धि हुई। प्राचीन काल में yoga के माध्यम से रोग दूर करने का काम किया जाता था।

History of Yoga

वैसे तो yoga का अलग से history बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन इसे हमेशा से ध्यान से जोड़कर देखा जाता रहा है। इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन काल में गुफाओं के अंदर तमाम लोग ध्यान करते थे। इसके प्रमाण मुंबई की एलीफैंटा cave से लेकर अफगानिस्तान या जम्मू-कश्मीर में हिमालय पर्वत की गुफाओं में आज भी मिलते हैं। तमिलनाडु से लेकर असम तक और बर्मा से लेकर तिब्बत तक के जंगलों की कंदराओं में आज भी वो गुफाएं मौजूद हैं, जहां पर yoga व ध्यान किया जाता था। जिस तरह भगवान राम के निशान इस भारतीय उपमहाद्वीप में जगह जगह बिखरे पड़े है उसी तरह योगियों और तपस्वियों के निशान जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं में आज भी देखे जा सकते हैं।

Yoga की उत्पत्त‍ि

yoga संस्कृत धातु 'युज' से उत्‍पन्न हुआ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन। योग 5000 वर्ष प्राचीन भारतीय ज्ञान का समुदाय है। यद्यपि कई लोग yoga को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं जहाँ लोग शरीर को तोड़ते-मरोड़ते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं। वास्तव में देखा जाए तो ये क्रियाएँ मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमताओं की तमाम परतों को खोलने वाले ग़ूढ विज्ञान के बहुत ही सतही पहलू से संबंधित हैं। yoga science में जीवन शैली का पूर्ण सार आत्मसात किया गया है , जिसमें ज्ञान योग या तत्व ज्ञान,भक्ति योग या परमानन्द भक्ति मार्ग,कर्म योग या आनंदित कार्य मार्ग और राज योग या मानसिक नियंत्रण मार्ग समाहित हैं । राजयोग आगे और 8 भागों में विभाजित है। राजयोग प्रणाली के मुख्य केंद्र में उक्त विभिन्न पद्धतियों को संतुलित करना एवं उन्हे समीकृत करना ही योग के आसनों का अभ्यास है।

वर्तमान युग

Present Time में yoga का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और body अत्यधिक tension, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है।

आधुनिक व्यथित चित्त या मन अपने केंद्र से भटक गया है। उसके अंतर्मुखी और बहिर्मुखी होने में संतुलन नहीं रहा। अधिकतर अति-बहिर्मुख जीवन जीने में ही आनंद लेते हैं जिसका परिणाम relation में tension और अव्यवस्थित जीवनचर्या के रूप में सामने आया है।

भविष्य का धर्म
दरअसल yoga future का religion और science है। future में yoga का महत्व बढ़ेगा। यौगिक क्रियाओं से वह सब कुछ बदला जा सकता है जो हमें nature ने दिया है और वह सब कुछ पाया जा सकता है जो हमें nature ने नहीं दिया है।

Yoga आसनों के प्रकार

yoga के आसनों को हम मुख्‍यत: छह भागों में बाँट सकते हैं:-

(A).पशुवत आसन

 पहले प्रकार के वे आसन जो पशु-पक्षियों के उठने-बैठने और चलने-फिरने के ढंग के आधार पर बनाए गए हैं जैसे-
1.वृश्चिक आसन
, 2.भुजंगासन, 3. मयूरासन, 4. सिंहासन, 5. शलभासन, 6. मत्स्यासन 7.बकासन 8.कुक्कुटास, 9.मकरासन, 10. हंसासन, 11.काकआसन 12. उष्ट्रासन 13.कुर्मासन 14. कपोत्तासन, 15. मार्जरासन 16.क्रोंचासन 17.शशांकासन 18.तितली आसन 19.गौमुखासन 20. गरुड़ासन 21. खग आसन 22.चातक आसन, 23.उल्लुक आसन, 24.श्वानासन, 25. अधोमुख श्वानासन, 26.पार्श्व बकासन, 27.भद्रासन या गोरक्षासन, 28. कगासन, 29. व्याघ्रासन, 30. एकपाद राजकपोतासन आदि।

(B). वस्तुवत आसन 

 दूसरी तरह के आसन जो विशेष वस्तुओं के अंतर्गत आते हैं जैसे-

1.हलासन
, 2.धनुरासन, 3.आकर्ण अर्ध धनुरासन, 4. आकर्ण धनुरासन, 5. चक्रासन या उर्ध्व धनुरासन, 6.वज्रासन, 7.सुप्त वज्रासन, 8.नौकासन, 9. विपरित नौकासन, 10.दंडासन, 11. तोलंगासन, 12. तोलासन, 13.शिलासन आदि।

(
C). प्रकृति आसन 

 तीसरी तरह के आसन वनस्पति, वृक्ष और प्रकृति के अन्य तत्वों पर आधारित हैं जैसे-

1.वृक्षासन
, 2.पद्मासन, 3.लतासन, 4.ताड़ासन 5.पद्म पर्वतासन 6.मंडूकासन, 7.पर्वतासन, 8.अधोमुख वृक्षासन 9. अनंतासन 10.चंद्रासन, 11.अर्ध चंद्रासन 13.तालाबासन आदि
 
(
D). अंग या अंग मुद्रावत आसन 

चौथी तरह के आसन विशेष अंगों को पुष्ट करने वाले माने जाते हैं जैसे-

1.शीर्षासन
, 2. सर्वांगासन, 3.पादहस्तासन या उत्तानासन, 4. अर्ध पादहस्तासन, 5.विपरीतकर्णी सर्वांगासन, 6.सलंब सर्वांगासन, 7. मेरुदंडासन, 8.एकपादग्रीवासन, 9.पाद अँगुष्ठासन, 10. उत्थिष्ठ हस्तपादांगुष्ठासन, 11.सुप्त पादअँगुष्‍ठासन, 12. कटिचक्रासन, 13. द्विपाद विपरितदंडासन, 14. जानुसिरासन, 15.जानुहस्तासन 16. परिवृत्त जानुसिरासन, 17.पार्श्वोत्तानासन, 18.कर्णपीड़ासन, 19. बालासन या गर्भासन, 20.आनंद बालासन, 21. मलासन, 22. प्राण मुक्तासन, 23.शवासन, 24. हस्तपादासन, 25. भुजपीड़ासन आदि।

(
E). योगीनाम आसन

 पाँचवीं तरह के वे आसन हैं जो किसी योगी या भगवान के नाम पर आधारित हैं जैसे-

1.महावीरासन
, 2.ध्रुवासन, 3. हनुमानासन, 4.मत्स्येंद्रासन, 5.अर्धमत्स्येंद्रासन, 6.भैरवासन, 7.गोरखासन, 8.ब्रह्ममुद्रा, 8.भारद्वाजासन, 10. सिद्धासन, 11.नटराजासन, 12. अंजनेयासन 13.अष्टवक्रासन, 14. मारिचियासन (मारिच आसन) 15.वीरासन 16. वीरभद्रासन 17. वशिष्ठासन आदि।

(
F). अन्य आसन

1. स्वस्तिकासन
, 2. पश्चिमोत्तनासन, 3.सुखासन, 4.योगमुद्रा, 5.वक्रासन, 6.वीरासन, 7.पवनमुक्तासन, 8.समकोणासन, 9.त्रिकोणासन, 10.वतायनासन, 11.बंध कोणासन, 12.कोणासन, 13.उपविष्ठ कोणासन, 14.चमत्कारासन, 15.उत्थिष्ठ पार्श्व कोणासन, 16.उत्थिष्ठ त्रिकोणासन, 17.सेतुबंध आसन, 18.सुप्त बंधकोणासन 19. पासासन आदि।

योगासनों के गुण और लाभ

योगासनों का सबसे बड़ा गुण यह हैं कि वे सहज साध्य और सर्वसुलभ हैं। योगासन ऐसी व्यायाम पद्धति है जिसमें न तो कुछ विशेष व्यय होता है और न इतनी साधन-सामग्री की आवश्यकता होती है। योगासन अमीर-गरीब, बूढ़े-जवान, सबल-निर्बल सभी स्त्री-पुरुष कर सकते हैं। आसनों में जहां मांसपेशियों को तानने, सिकोड़ने और ऐंठने वाली क्रियायें करनी पड़ती हैं, वहीं दूसरी ओर साथ-साथ तनाव-खिंचाव दूर करनेवाली क्रियायें भी होती रहती हैं, जिससे body की थकान मिट जाती है और आसनों से व्यय शक्ति वापिस मिल जाती है। body और मन को तरोताजा करने, उनकी खोई हुई शक्ति की पूर्ति कर देने और आध्यात्मिक लाभ की दृष्टि से भी योगासनों का अपना अलग महत्त्व है। आइये जानते हैं योगासन के गुण और लाभ के बारे में।

क्‍या हैं यागासन के लाभ-

(1) योगासनों से भीतरी ग्रंथियां अपना काम अच्छी तरह कर सकती हैं और युवावस्था बनाए रखने एवं वीर्य रक्षा में सहायक होती है।

(2) योगासनों द्वारा पेट की भली-भांति सुचारु रूप से सफाई होती है और पाचन अंग पुष्ट होते हैं। पाचन-संस्थान में गड़बड़ियां उत्पन्न नहीं होतीं।

(3) योगासन मेरुदण्ड-रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हैं और व्यय हुई नाड़ी शक्ति की पूर्ति करते हैं।

(4) योगासन पेशियों को शक्ति प्रदान करते हैं। इससे मोटापा घटता है और दुर्बल-पतला person तंदरुस्त होता है।

(5) योगासन स्त्रियों की शरीर रचना के लिए विशेष अनुकूल हैं। वे उनमें सुन्दरता, सम्यक-विकास, सुघड़ता और गति, सौन्दर्य आदि के गुण उत्पन्न करते हैं।

(6) योगासनों से बुद्धि की वृद्धि होती है और धारणा शक्ति को नई स्फूर्ति एवं ताजगी मिलती है। ऊपर उठने वाली प्रवृत्तियां जागृत होती हैं और आत्मा-सुधार के प्रयत्न बढ़ जाते हैं।

(7) योगासन स्त्रियों और पुरुषों को संयमी एवं आहार-विहार में मध्यम मार्ग का अनुकरण करने वाला बनाते हैं, अत: मन और शरीर को स्थाई तथा सम्पूर्ण स्वास्थ्य, मिलता है।

(8) योगासन श्वास- क्रिया का नियमन करते हैं, हृदय और फेफड़ों को बल देते हैं, रक्त को शुद्ध करते हैं और मन में स्थिरता पैदा कर संकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं।

(9) योगासन शारीरिक स्वास्थ्य के लिए वरदान स्वरूप हैं क्योंकि इनमें शरीर के समस्त भागों पर प्रभाव पड़ता है, और वह अपने कार्य सुचारु रूप से करते हैं।

(10) आसन रोग विकारों को नष्ट करते हैं, रोगों से रक्षा करते हैं, शरीर को निरोग, स्वस्थ एवं बलिष्ठ बनाए रखते हैं।

 (11) आसनों से नेत्रों की ज्योति बढ़ती है। आसनों का निरन्तर अभ्यास करने वाले को चश्में की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।

(12) योगासन से शरीर के प्रत्येक अंग का व्यायाम होता है, जिससे शरीर पुष्ट, स्वस्थ एवं सुदृढ़ बनता है। आसन शरीर के पांच मुख्यांगों, स्नायु तंत्र, रक्ताभिगमन तंत्र, श्वासोच्छवास तंत्र की क्रियाओं का व्यवस्थित रूप से संचालन करते हैं जिससे शरीर पूर्णत: स्वस्थ बना रहता है और कोई रोग नहीं होने पाता। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आत्मिक सभी क्षेत्रों के विकास में आसनों का अधिकार है। अन्य व्यायाम पद्धतियां केवल वाह्य शरीर को ही प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं, जब कि योगसन मानव का चहुँमुखी विकास करते हैं।

अंतत:

मानव अपने जीवन की श्रेष्ठता के चरम पर अब yoga के ही माध्यम से आगे बढ़ सकता है, इसलिए योग के महत्व को समझना होगा। yoga व्यायाम नहीं, yoga है विज्ञान का चौथा आयाम और उससे भी आगे।