Sunday, May 29, 2016

First Job की ये 8 बातें

First Job

पहली job मिलने पर जोश और उत्साह होना लाजमी है। आपने कड़ी competition से आगे निकलकर यह job पाई है, लेकिन अक्सर आप नई job की योजना पर काम नही कर पाते। पहली job से आप professional life की ओर बढ़ेंगे। आपको कुछ जरूरी बातें जरुर पता होनी चाहिए, जिससे आप career की ठोस शुरुआत कर सकें।

college की पढ़ाई व् कार्यस्थल दोनों के बीच काफी अंतर होता है। यह अंतर अलग-अलग स्तरों में होता है। अब जबकि आपके हाथ में appointment letter आ चूका है तो joining से पहले कुछ जरूरी बातों को भी समझना जरूरी है। इससे आप अपनी degree का कार्यस्थल पर भरपूर उपयोग कर सकेंगे। कार्यस्थल के शिष्टाचार निस्संदेह सबसे पहले स्थान पर आते है। आप काम कैसा कर रहे है यह तो कुछ दिन बाद पता चलता है, मगर office के साथियों से किया गया behavior आपकी छवि बनाएगा। आइये जानते है उन 8 tips को, जो आपको पहली job से success के रास्ते पर चलना सिखा देगे-

1-  साथियों को पहचानें

office canteen में या फिर relax time में आप कुछ हंसी-ठहाका भी लगा सकते है, लेकिन ध्यान रहे कि आप ऐसे friends के सामने सम्भलकर मुंह खोले, जो कुछ तुनकमिजाज हों। उनका नही पता होता कि कब वे हँसते-हँसते आप पर भड़क उठे। ऐसी स्थिति से आसपास के माहौल में भी एक tension आ जाता है। अगर कभी ऐसी स्थिति आ भी जाए तो अपना आपा न खोएं और जितना संभव हो सके, उनके behavior को नजरअंदाज कर दें। उनसे अलग में इस बारे में बात करे। अगर तब भी स्थिति में सुधार आता न दिखें तो अपने senior से जाकर seat बदलवाने के बारे में बात करें।

2-  चीजे देकर लेना भी सीखें

office में अक्सर लोगो को यह habit होती है कि किसी से भी pen-pencil मांग लेते है, लेकिन लौटाना भूल जाते है। अगर आप से कोई आपकी चीज मांग ले तो आपको वापस लेना भी याद रखना होगा। आपके office desk में आपके work को आसान बनाने के लिए बहुत से चीजें होती है। अगर दिया गया कोई सामान आपको वापस नही मिलता तो आपको ही कठिनाई होगी। दूसरों को इतनी ही छुट दें कि वे आपकी चीज आपसे मांग कर ही लें। अगर ऐसा नही होता तो अक्सर आपके desk से चीजें गायब मिलेगी। कोशिश करे कि काम खत्म होने के बाद आपका जरूरी सामान locker में बंद हों।

3-  कार्यस्थल की राजनीति से दूर रहे

हर कोई चाहता है कि office में उनका भी एक group हो, जिनके साथ वे कभी चाय की चुस्की तो कभी हल्की-हल्की गपशप कर सकें। ऐसे किसी भी group का हिस्सा बनने में जल्दबाजी न दिखाए। ऐसा भी हो सकता है कि office के कामकाज व् साथियों के बारे में gossiping होती हो। अपने अन्य साथियों की अनुपस्थिति में उनके बारे में कुछ भी कहना या सुनना उचित नही हैं। आप न चाहते हुए office में चल रही राजनीति का हिस्सा बन सकते है। ऐसा भी नही है कि आप किसी को सीधे मना कर दे, लेकिन सामान्य बातचीत और gossiping के फर्क को भी समझना होगा।

4-  अपने Boss के बारे में

boss के बारे में negative बातें करना कई कर्मचारियों को खूब रास आता है। उन्हें अपने boss की हर बात में बुराई निकालने की habit होती है। शुरूआती दौर में आप अपने boss को नही जानते-पहचानते। उनके साथ काम करने के तौर-तरीके को भी आप धीरे-धीरे समझेगे। ऐसे में दूसरो की बातें सुनकर उनके बारे में कोई negative राय बनना बिलकुल भी ठीक नही है। वे आपके boss है, तो जाहिर है आपसे experience में भी अधिक होगे। बजाय gossiping में शामिल होने के उनसे बहुत कुछ सीखने का मन बनाएं। काम का पेशेवर रवैया आपका boss ही आपको सिखा सकता है। अगर आपको कही boss की कोई बुरी भी लगती है तो उसके positive पक्ष को पहले देखने की कोशिश करे। फिर भी बात न बने तो office से बाहर किसी अच्छे friend को ही बात को बताएं।

5-  Social Media का इस्तेमाल

इन दिनों लोग WhatsApp पर ढेर सारे group से जुड़े रहते है, जहां जहां कही न कही update आते रहते है। इन groups को आप बाहर तो आसानी से manage कर लेते है, मगर office में रहते हुए आपका काम इससे बुरी तरह प्रभावित होता है। आप चाहें तो group के notification को mute मोड़ में डाल दे, जिससे बाद में आप सभी message को आसानी से check कर सकते है। अगर आपको हर मिनट में अपना facebook या WhatsApp आदि check करने की आदत है तो इसे तुरंत बदलने की कोशिश करें। अगर office के desktop म जरूरी हो तो ही facebook पर login करे और कोशिश करे कि काम खत्म होते ही उसे बंद कर दें।

6-  खुद के बारे में

कार्यस्थल पर दोस्ती करने में जल्दबाजी कभी न दिखाएँ। अपने desk के आसपास लोगो से घुले-मिलें, लेकिन उन्हें अपने दिल की हर बात बताने में कुछ इंतजार करें। कही ऐसा न हो कि आपकी यह जल्दबाजी आपको नुकसान पहुँचाने का हथियार बन जाएँ। ऐसा भी नही कि आपके office के साथी बिलकुल भी भरोसे लायक नही है, मगर दो सप्ताह की दोस्ती में सब कुछ उगल देना जल्दबाजी ही कही जायेगी। किसी भी relation में शामिल होने में भी जल्दबाजी न दिखाएँ। लोगो से अच्छे से बात करें, उन्हें जाने-पहचानें और फिर अच्छा दोस्त, best friend आदि की मुहर लगायें। किसी भी relation को वक्त देने से आप एक-दूसरे को अच्छे से समझ पाते है और किसी पछतावे से भी बच जाते हैं।

7-  Dress Code

यह आपकी पहली job है। आप college से निकलकर आये हैं। माना कि आप fashionable है, मगर मगर कई company का निश्चित dress code होता है। जैसे weekend यानी Saturday आदि में ही आप jeans-teeshirt पहन सकते है आदि। अगर आपकी company में कोई ऐसा dress code नही तो अच्छी बात है। अगर है तो उसे पहले दिन से पालन करे। इसकी चिंता बिलकुल भी न करे कि wardrobe में कपड़े कम है। हां, इसका जरुर ध्यान रखें कि वे साफ़-सुथरे हो, जिससे आपकी office में छवि अच्छी बनी रहे।

8-  संस्थान को अपना समझें

कहा जाता है कि आप किसी के बारे में कोई राय बना लें और उसके बारे में हर वक्त बुरा सोचते रहे तो ऐसे दिन की उम्मीद बिलकुल नही की जानी चाहिए, जब आपकी धारणा बदलेगी। आपकी यह पहली job है। हो सकता है कि life में आगे कई और बड़ी company में आप काम करे, लेकिन यह company हमेशा आपकी यादगार company रहेगी। आज आप जहां है, वह आपकी कड़ी मेहनत का नतीजा है। ऐसा न सोचे कि job तो मिलनी ही थी, यहाँ नही तो कही दूसरी जगह। यहाँ अपना पूरा सौ फीसदी देने का प्रयास करें। हरदम यहाँ से कुछ सीखने का प्रयास करे। आगे चलकर आपका संजीदगी से सीखा गया काम ही आपकी पहचान बनेगा।





                                    Job Promotion की बातें Office में









Thursday, May 26, 2016

कानों में Hearing Problem की वजह

Deafness

बहरापन अब बुढ़ापें की problem नही रहा है। चारो ओर शोर और headphone, cellphone व् blue tooth आदि से बढ़ती हमारी दोस्ती किशोरों व् युवाओं की सुनने की क्षमता को serious रूप से effect करने लगी है।

WHO की एक report के अनुसार पुरे world में लगभग 1.1 अरब किशोर और युवा earphone, smart phone आदि के असुरक्षित इस्तेमाल के कारण अपने सुनने की क्षमता खोने की कगार पर हैं। इसमे हमारी बाकी lifestyle भी इजाफा कर रही हैं। वातावरण में शोर के ऊँचे स्तर के कारण एक अवधि के बाद सुनने की क्षमता कम होने के मामले तेजी से बढ़ रहे है। तेज आवाज में गाने सुनना, TV देखना, blue tooth पर बात करना,horn और loudspeaker की तेज आवाज आदि इसके लिए जिम्मेदार है। लगातार 80 से 90 decibel से ज्यादा शोर सुनना कान की नाजुक कोशिकाओं व् कान के अन्य हिस्सों को क्षति पहुंचा सकता है।

जब हम कोई तेज आवाज सुनते है तो कान के भीतर की एक मांसपेशी सिकुड़ जाती है, ताकि कान को किसी तरह का नुकसान न पहुंचे। पर, लगातार तेज आवाज सुनने के कारण कान की यह मांसपेशी अपने काम करने की क्षमता खो देती है। स्थिति और गंभीर तब हो जाती है, जब कान का अंदरूनी हिस्सा भी लगातार तेज शोर के कारण ख़राब होने लगता है। अगर कोई व्यक्ति 90 decibel से ज्यादा आवाज हर दिन आठ घंटे या उससे ज्यादा वक्त के लिए सुनता है तो कम उम्र में ही उसकी सुनने की क्षमता प्रभावित हो जाती हैं।

संगीत न छीन ले सुनने की क्षमता

blast या फिर किसी accident में सुनने की क्षमता खोने वालों की तुलना में headphone के कारण कान के सेहत बिगड़ने का परिणाम ज्यादा serious होता है। इस तरह का बहरापन धीरे-धीरे पनपता है और ज्यादा serious होता है। कान पहले हमें संकेत देता है। सुनने की क्षमता खत्म होने से पहले आपको कान में हमेशा घंटी बजने की आवाज सुनाई दे सकती है। साथ ही किसी बेहद शोर वाले माहौल से बाहर निकलने के बाद आपको तुरंत कुछ सुनाई भी नही देगा। विशेषज्ञों के अनुसार ज्यादा शोर वाले माहौल से तुरंत बिलकुल शांत माहौल में जाना कान के सेहत के लिए ज्यादा नुकसानदेह है। music player के आधे volume पर गाना सुनना कानों के लिए secure है। हालाँकि सब इस पर depend करता है कि आप कितनी देर तक और कितने volume पर गाना सुनते है। ऐसे earphone, जिन्हें हम अपने कान में डालकर इस्तेमाल करते है, volume को पांच से छ गुना बढ़ा देते है और ज्यादा नुकसानदायक होते है। गाना सुनने के लिए इन-इयर headphone को इस्तेमाल में लायें। इस तरह का headphone इस्तेमाल करने वाले लोग अमूनन कम volume पर गाना सुनते है। headphone खरीदते वक्त तेज आवाज की जगह अच्छी गुणवत्ता को प्राथमिकता दें। लगातार संगीत सुनने से बचें। कान में कुछ असहज लगे, तो ENT specialist के पास जाएँ। शुरुआत में medicine की मदद से स्थिति control की जा सकती है।

Cellphone भी कर सकता हैं सुनने की क्षमता कम

cellphone का लम्बे समय तक इस्तेमाल hormones असंतुलन और cancer आदि के अलावा सुनने के क्षमता को भी effect करता है। नये-नये feature के आने के कारण पिछले एक दशक में cellphone का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। cellphone का इस्तेमाल करने वालों में बहरेपन की complain 50% बढ़ गई है। कई लोग cellphone के ज्यादा इस्तेमाल के कारण कान में दर्द और कम सुनने की complain लेकर आते है। सबसे ज्यादा complain के पास यह आती है कि phone पर बात खत्म करने के बाद उनका कान गर्म हो जाता है।

क्या करते है Survey

all India institute of speech and hearing audiology department द्वारा मैसूर में तीन हजार युवाओ पर किये गये एक study में पाया गया है कि 66% युवा आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने से उनमे बहरेपन की आशंका बढ़ गई है।

ये है खतरे की घंटिया

1-  जब phone पर बात करने हो परेशानी

2-  ज्यादा लोगो के बीच बातचीत सुनने में परेशानी

3-  फॅमिली के लोग complain करने लगे कि आप तेज आवाज पर TV देख रहे है

4-  शोर शराबे के बीच बातचीत करने में परेशानी

5-  बातचीत के दौरान आप ‘क्या’ शब्द का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करते है।

6-  आपको कान में हमेशा भुनभुनाहट-सी आवाज आती है।

7-  आपको लगता है कि सामने वाला स्पष्ट नही बोल रहा है।


8-  आप अपने आसपास वालो से चिढ़े रहते है क्योकि आप उनकी बात समझ नही पाते। 







  

Monday, May 23, 2016

खुद से शुरू करे एक नई Life

life

मैं कोई चमत्कारी वैध नही हूँ। मैं घाव भरने का जादू नही जानती। खुद को खोजने के सफर में मै अपने आपको एक ऐसा पत्थर मानती हूँ, जिस पर आप अपना पैर रखकर आगे बढ़ सकते हैं। या यूँ कहें कि एक ऐसी जगह, जहां लोग खुद को प्यार करने के माध्यम से अपने अदभूत गुणों से रू-ब-रू हो जाते है। पूरी दुनिया में कई वर्षो की counseling, workshops और training programs के आयोजन करवाने के बाद मैंने तो यही जाना है कि हर problem का एक ही हल है- खुद को प्यार करना।

लोगो के life में बड़े बदलाव तब आते है, जब वे हर दिन खुद को पहले से ज्यादा प्यार करना सीख जाते है। वे पहले से बेहतर महसूस करते है। तब वे जो चाहते है, हो जाता है। उनके पास जरूरत के मुताबिक पैसा आने लगता है। उनके relation में positivity बदलाव दीखता है। negative relation या तो खत्म हो जाते है या फिर नये relation बनते है। इन सारे अंकुरों की एक जमीन होती है-खुद को प्यार करना। मैंने पाया है कि life की सरलता ही सबसे महान ज्ञान है। किसी ने मुझसे कहा था,’ आपने मुझे सबसे आश्चर्यजनक तोहफा दिया है, आपने मुझे मुझसे मिला दिया।‘
life खुद को ढूंढने की एक यात्रा है और मेरे लिए ज्ञान प्राप्त करने का मतलब है अपने भीतर की यात्रा। यह जान पाना कि हम वास्तव में कौन और क्या है और यह भी कि खुद को प्यार करके, अपनी परवाह करके हम खुद की क्षमताओं का विकास भी करते हैं।

खुद को प्यार करना खुदगर्जी तो बिलकुल नही है। यह हमारे अंदर की negative चीजों को साफ करके दूसरों को प्यार कर पाने का रास्ता भी बनाती हैं। जब हम निजी तौर पर अंदर से खुश और आनंदित होते है, तब हम इस पूरी दुनिया की सहायता करने में सक्षम बनते है।

मेरी पूछे, तो प्यार मेरे लिए अपने अंतरतम की प्रशंसा है। मतलब हम जो वाकई में हैं, उसकी प्रशंसा। जिसमे हम अपने सारे पहलुओ को accept करते है- हमारी छोटी-छोटी विशिष्टाएँ, शर्मिंदगी के बिंदु, कमजोर पक्ष और हमारी अच्छी बातें भी। हम अपने पुरे व्यक्तित्व को बिना शर्त प्यार करते है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, पर सच भी कि कई ऐसे है, जो जब तक अपना वजन नही घटा लेते, खुद को लेकर खुश नही होते या कि job या ज्यादा salary या boyfriend या ऐसा ही कुछ भी। ये तो अपने प्यार पर शर्त लगाना हुआ। जबकि सच मानिए हममें इतना प्यार भरा होता है कि हम जैसे भी है, उसी को प्यार कर सकते है।

यह युग हर स्तर पर बदलावों का है। इस समय जो भी इस दौर का साथी होना स्वीकार कर रहा है, उसने इतने बड़े बदलाव का हिस्सा बनना, बदलाव करना चुना था। उसने संसार के पुराने तौर-तरीकों को नये और ज्यादा प्रेम व् शांतिपूर्ण तरीको से बदलना चुना था।

चुनिए प्यार को

अगर आप आज खुद को प्यार करना नही सीखना चाहते, तो कल आप अपना इच्छित पा भी ले, तो भी आप अपने को प्यार नही कर पायेंगे। जो बहाने आज है, वे कल भी रहेगे। आज ही तो वह दिन है, जब आप खुद से बिना किसी अपेक्षा के प्यार करना सीखिए। प्यार क्रोध, घृणा या दुःख की तरह है। जैसे उन्हें चुनते है, क्यों ना प्यार को चुने। जिसने हमे दुःख पहुंचाया उसे माफ़ करना चुनकर हम अपने घावों के भरने की प्रकिया शुरू कर सकते है। जी कुछ है, उसके लिए कृतज्ञ होना चुन सकते है। यह विकल्प हमारे अंदर ही छिपा है। तो चलिए अभी से प्यार को चुनते है। क्योंकि आप जैसा शानदार दूसरा कोई कहां है!

रोज खुद से यह जरुर कहें

·         मुझे मेरे शरीर से प्यार है।

·         मेरे शरीर को स्वस्थ रहना अच्छा लगता है।

·         मेरा दिल प्यार का मन्दिर है।

·         मेरे खून में जिन्दगी और रवानगी है।

·         मेरे नजर में प्यार है।

·         मैं करुणा लेकर सुनता/सुनती हूँ।

·         मै सरलता से चल-फिर सकता/सकती हूँ।

·         मेरे पैर जिन्दगी की धुन पर नाचते है।

·         मै अपने भोजन में प्रेम भी मिलाता/मिलाती हूँ।

·         मेरा पसंदीदा पेय पानी है।

·         मुझे पता है कि अपनी देखरेख कैसे की जाती है।

·         मैं इतना स्वस्थ कभी नही रहा/रही।

·         अपने गरिमापूर्ण शरीर की मैं प्रशंसा करता/करती हूँ।

·         मैं स्वस्थ हूँ, घाव भर गये है और मैं सम्पूर्ण हूँ।

कुछ और भी...

अतीत में अपने शरीर की सही देखरेख ना करने के लिए खुद को माफ़ कर दीजिये। इस तरह सोचिये कि उस समय जो सबसे अच्छा कर सकते थे, वह किया। अब जितना कुछ जीवन आपको दे रहा है, उसमे आप सर्वोत्तम ढंग से स्वयं को स्वस्थ और पोषित कर रहे है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए इसे जो चाहिए, वह दे रहे है। आपका शरीर आपका मित्र है। जीवन सुंदर है और आपको इसमें भरपूर आनन्द आ रहा हैं।


# इस article के writer ‘लुई एल हे’ जो famous writer व् प्रेरक वक्ता हैं। ‘you can heal your life’  उनकी best seller है। बचपन के कटु experience के बावजूद relation व् life के प्रति उनका विश्वास प्रेरित करता है।


                                            www.louisehay.com














Saturday, May 21, 2016

कैसे पहचानें अपने Rejection के Phobia को


नीचे कुछ सवाल है, जिसे आप ईमानदारी से check कर ले और जाँच ले कि आपमें किस हद तक rejection का phobias है

1-  क्या office में आप पहल करने से कतराते है?

2-  क्या meetings में उपस्थित लोगो के सामने स्वयं को हीन महसूस करते है?

3-  क्या boss के सामने अपने विचारों को प्रकट करने से हिचकिचाते हैं?

4-  क्या अपने office के जॉब से आप संतुष्ट नही है और अपनी पीड़ा लोगो से साझा करने की आप मन ही मन कुढ़ते रहते है?

5-  क्या इस बात की आप बहुत परवाह करते है कि office के और साथी आपके बारे में क्या सोचते है?

6-  क्या अपनी बात या विचार को इस डर से नही रखते कि कोई उसे seriously नही लेगा और आप हंसी के पात्र बन जायेंगे?

अगर ज्यादातर जवाब हाँ में हैं तो आपको इनसे छुटकारा पाना चाहिए

Rejection Phobia से बचाव के कुछ Tips

1-  इंट्रोवर्ट में एक्स्ट्रोवर्ट personality बनाने पर जोर दे।

2-  computer games या social sites पर time बर्बाद करने की बजाय friends से ज्यादा मेल-मिलाप रखे। इससे आप स्वयं को कभी अकेला महसूस नही करेगे और आत्मविश्वास सदा बना रहेगा।

3-  चुप रहने के बदले professional career के विभिन्न मंचो पर अपने विचारो को रखने की आदत डालें।

4-  competition, स्पर्धाओ या interview से बचने की जगह जी-जान से तैयारी कर success होने का अपने आप से वायदा हमेशा करें।

5-  office की चुनौतियों को सहर्ष स्वीकार करे और अपनी काबिलियत को साबित करते हुए success होकर दिखाएँ।

6-  आत्मविश्वास को विपरीत परिस्थितियों में भी बनाये रखने का हरसंभव प्रयास करें।

7-  आपको यह पता होना चाहिए कि आपके career का लक्ष्य क्या है और उसे हासिल करने के लिए आपको कौन सी राह चुननी है।

8-  अपनी कमजोरियों को छिपाने की बजाय सुधारने पर जोर दें। आलोचकों की बातों से चिढ़ने की आदत को छोड़कर उनसे सीख लें।

9-  हर अवसर को अंतिम अवसर समझते हुए सफलता हासिल करने का एकमात्र लक्ष्य बनाएं।

10-स्वयं को हीन भावना से ग्रसित होने से बचाएं और अपनी खूबियों को पहचानें।

11-अपनी विशेषताओ/गुणों की marketing, self promotion के लिए जरूरी है।








Thursday, May 19, 2016

Reject होने से लगता है डर !

rejects

हर किसी के career में ऐसे कई मौके आते है, जब उन्हें लगने लगता है कि वे किसी काम के हैं ही नही। कितनी भी मेहनत कर ले, तरक्की के दरवाजे उनके लिए हमेशा बंद रहेगे। कभी भी उनके काम को पहचान नही मिलती। बार-बार अस्वीकार होने के यही लक्षण हैं।

office में कार्य करते हुए ऐसे कई मौके आते है, जब आप जी-तोड़ मेहनत के बावजूद मनचाही success पाने में नाकाम रहते है। बार-बार unsuccess होने की चिंता में डूबने लगते है। career निर्माण, jobs या सम्बंधित कार्य-कलापों में ऐसी चुनौतियों से भागने के भयंकर दुष्परिणाम जीवन भर भुगतने पड़ते है। अगर आप गौर करेगे तो देखेगे कि आपकी पिछली हर unsuccess ने आपको कुछ न कुछ सिखाया ही है। अगर उन कमियों को ध्यान में रखते हुए आप आगे बढ़ेगे तो निश्चित ही आपके काम की न सिर्फ सराहना होगी, बल्कि आप खुद को भी एक पायदान उपर पायेंगे। आइये जानते है कि ऐसे वे कौन से मौके होते है, जब आप अस्वीकार होने के डर के ओत-प्रोत खुद को पाते है। साथ ही जानते है कि कैसे इस कैद से आप आजादी पा सकते है।

Interview

interview देने की प्रकिया में अगर आपका सामना बार-बार unsuccess से होता है तो एक दौर ऐसा भी आता है, जब आप किसी अच्छे अवसर के लिए खुद को तैयार नही कर पाते। आप पहले ही मान कर चलते है कि आप यहा भी अस्वीकार किये जायेगे। इससे आप वास्तविकता से दूर होते चले जायेंगे। अगर आप बार-बार interview में अस्वीकार किये जा रहे है तो उन कारणों को पहचानें। कही ऐसा तो नही है कि जिन जरूरी skills की नियोक्ता को जरूरत है, आप उन्हें सीखने का प्रयास ही नही कर रहे। यह भी हो सकता है कि आप अपनी जानकारी skills को सही ढंग से सामने रख ही नही पाते। हर interview को एक चुनौती की तरह लें और उन कारणों की एक सूची बनाएं और धीरे-धीरे खुद में जरूरी बदलाव करना शुरू करें।

Office से निकाले जाने पर

किसी भी employee के लिए office से निकाला जाना किसी बड़े धक्के से कम नही। उस समय उसके आत्मविश्वास में भी कमी आना लाजमी है। यहाँ बहुत से लोग इस बात को सोच-सोच कर समय व्यर्थ कर देते है कि उन्हें निकाल दिया गया है। उनका manager बुरा था, उसके साथियों में कमी थी। कोई उनकी कार्यशैली को नही समझता आदि। निस्संदेह ऐसी स्थिति किसी के लिए कष्टदायी होगी, मगर अब इन्ही बातों को पकड़ के रहना, आगे के सफर के बारे में न सिर्फ धीमा कर देगा, बल्कि आपके आगे बढने के रास्तो को भी धीरे-धीरे बंद करता चला जायेगा। कारण कुछ भी रहें हो, आपको अपने  भीतर negativity को खत्म कर positivity होना होगा और आगे के लिए road map तैयार कर उसमें बढना होगा।

Promotion न मिलने पर

आप पिछले 3-4 वर्षो से लगातार किसी company में मेहनत से कार्य कर रहे है। boss आपकी तारीफ भी करते रहे है। आपको इस बार पूरी उम्मीद थी कि आपको ही तरक्की मिलेगी। ऐसे में अगर स्थितियां उलट होती है और आपकी जगह किसी दुसरे को तरक्की का तोहफा मिलता है तो इसका अर्थ यह बिलकुल नही कि आप काबिल नही है। अगर तटस्थ होकर एक बार तरक्की पाने वाले साथी की तरफ नजर दौड़ाएगें तो देखेगे की वाकई वह आपसे आगे था। आपको अस्वीकार होकर निराशा में नही डूब जाना है, बल्कि अपनी उन खूबियों को पहचानना है, जिसके बूते आप दूसरो से आगे निकल सकते है। जिस तरह आपके कुछ purpose होते है। ठीक वैसे ही आपके boss के भी purpose होते है। अगर आप एक team की तरह boss के साथ कदम से कदम मिला आगे बढ़ रहे है तो यकीकन आप भी तरक्की के पायदान पर आज नही तो कल आगे बढ़ेगे ही।

Target पूरे न होने पर

अगर आपकी job में तिमाही,छमाही या वार्षिक target प्राप्त करने होते है तो उसके लिए आपको बेहतर योजना की जरूरत होती है। ठीक उसी तरह जिस तरह एक धावक टैक पर अपने तीन लैप में हर लैप के लिए गति व् समय के लिए तालमेल बिठाता है। आपको अपने purpose को बाँट-बाँट कर देखना चाहिए और उसी योजना बनानी चाहिए। कई बार जी तोड़ मेहनत के बावजूद कोई और बाज़ी मार लेता है। यहा अन्य बातों पर उलझने की बजाय अपने साथी की मेहनत की सराहना करना भी सीखे और उसके positivity रवैया की कद्र करते हुए खुद में जरूरी बदलाव के लिए तैयार रहे।

Feedback पर

आपके boss से लगातार आपकी बात होती होगी। कई बार आपको अच्छे feedback मिलते होगे, तो कई दफा कुछ negative comment. ऐसी छोटी-छोटी बातों से घबराये नही और हिम्मत से काम लें। इसके अलावा कामकाजी असफल होने पर लोग क्या कहेंगे जैसे जुमलो से काफी परेशान होते देखे गये है। सबसे पहले तो यह समझ लेना जरूरी है कि world में शायद ही कोई ऐसा person हों, जिसे कभी न कभी reject नही किया गया हों। असल problem ऐसी कुंठित और depression से भरी सोच के कारण होती है। senior के feedback को positivity रूप से लें। आजकल की गलाकाट competition के दौर में मौके गंवाने नही, बल्कि दूसरो से छीनना ही success का पर्याय बन गया है। इसलिए हाथ आये मौके को इस सोच के कारण कतई व्यर्थ न होने दें।

यह भी न भूलें

नकारे जाने का खौफ अक्सर हतोत्साहित करता है, मगर आप अपने positivity दृष्टिकोण से हर बाज़ी जीत सकते है। एक आसान से example से इस बात को समझें। अगर आप स्वयं पहल करते हुए office में boss से चुनौतियाँ भरा कोई project लेते है और उसमे सफल होते है तो जरा सोचिये boss के सामने आपकी छवि का graph कितना उपर उठ सकता है। इस वास्विकता को भी हमें नही भुलाना चाहिए कि सबको असफलता ही हाथ नही लगती है, success होने वालो की संख्या भी आखिर कम नही है। समझने की बात है कि जो लोग नकारे जाने से घबराकर भाग खड़े होते है, उनके लिए तो शत प्रतिशत असफलता की गुंजाइश ही शेष बचती है।








Monday, May 16, 2016

तीन Tests(कसौटियाँ) हमारे Life की


प्राचीन यूनान में सुकरात अपने ज्ञान और विद्द्ता के लिए बहुत famous थे। सुकरात के पास एक दिन उसका एक परिचित व्यक्ति आया और बोला,”मैंने आपके एक मित्र के बारे में कुछ सुना है।“
ये सुनते ही सुकरात ने कहा,”दो पल रुके”, “मुझे कुछ बताने से पहले मैं चाहता हूँ कि हम एक छोटा सा परीक्षण कर ले जिसे मैं ‘तीन कसौटियों का परीक्षण कहता हूँ।“

“तीन कसौटियाँ? कैसी कसौटियाँ?”, परिचित ने पूछा।

“हाँ, सुकरात ने कहा, ”मुझे मेरे मित्र के बारे में कुछ बताने से पहले हमें यह तय कर लेना चाहिए कि आप कैसी बात कहने जा रहे है, इसलिए किसी भी बात को जानने से पहले मैं इन कसौटियों से परीक्षण करता हूँ।

इसमे पहले कसौटी सत्य की कसौटी है। क्या आप सौ फीसदी दावे से यह ख सकते हो कि जो बात आप मुझे बताने जा रहे हो वह पूर्णत: सत्य है?

“नही”, परिचित ने कहा,” दरअसल मैंने सुना है कि...”

चलिए , अब दूसरी कसौटी का प्रयोग करते है जिसे मैं अच्छाई की कसौटी कहता हूँ। मेरे मित्र के बारे में जो भी बताने जा रहे हो क्या उसमे कोई अच्छी बात है?

“नही, बल्कि वह तो...”, परिचित ने कहा.

“अच्छा”, सुकरात ने कहा, “इसका मतलब यह है कि आप मुझे जो कुछ सुनाने वाले थे उसमे कोई भलाई की बात नही नही है और आप यह भी नही जानते कि वह सच है या झूठ। लेकिन हमें अभी आस नही खोनी चाहिए क्योंकि आखिरी यानि तीसरी कसौटी का एक परीक्षण अभी बचा हुआ है; और वह है उपयोगिता की कसौटी।

 जो बात आप मुझे बताने वाले थे, क्या वह मेरे किसी काम की है?”

“ नही, ऐसा तो नही है”, परिचित ने असहज होते हुए कहा।

“बस हो गया”, सुकरात ने कहा,” जो बात आप मुझे बतानेवाले थे  वह न तो सत्य है, न ही भली है, और न ही मेरे काम की है, तो मैं उसे जानने में अपना कीमती समय क्यों नष्ट करूं”

दोस्तों आज के negative परिवेश में हमें अक्सर ऐसे लोगो से पाला पड़ता है जो हमेशा किसी न किसी की बुराईयाँ का ग्रन्थ लेकर घूमते रहते है और हमारे बीच मतभेद पैदा करने को कोशिश करते रहते है, इनसे निबटने के लिए सुकरात द्वारा बताई गयी इन तीन कसौटियों, सत्य की कसौटी, अच्छाई की कसौटी और उपयोगिता की कसौटी को आप भी अपने जीवन में अपनाकर अपना जीवन सरल और खुशहाल बना सकते है।