Wednesday, February 24, 2016

Believe to Your Path


किसी और के जैसा होने की कामना करना, जो हम है उसे व्यर्थ करना है।“

                                                       एस.जी.एरिकसन

मै इस बात की परवाह नही करता कि दुसरे मेरे काम के बारे में क्या सोचते है, लेकिन मै इस बात का बहुत ध्यान रखता हूँ कि मै अपने काम के बारे में क्या सोचता हूँ। यही चरित्र है।“

                                                  थियोडोर रूजवेल्ट  
   
प्रवाह के साथ बहना आसान होता है। मुश्किल प्रवाह से विपरीत बहने में होती है। यही वजह है कि रोज के छोटे-बड़े काम हो या फिर life से जुड़े बड़े फैसले, भेड़चाल में चलते रहना हमे सुरक्षित और सही लगने लगता है। लेकिन फिर कुछ बड़ा न कर पाने की complain और बेचैनी क्यों?

आपका life आपके अपने experience की यात्रा है, किसी दुसरे की नही। इसलिए दूसरो के पथ का सम्मान करना, उनसे प्रभावित होना एक बात है, पर दूसरो की देखा-देखी उनके हर कदम पर अपना कदम रखना भेड़चाल से अधिक कुछ नही। यह सही है कि ऐसा करके भी हम किसी मंजिल तक पहुंचते ही है, पर वह मंजिल हमारी अपनी नही होती। भेड़चाल हमे अच्छी लगती है, क्योकि ये हमे सुरक्षा का एहसास कराती है।

खुद के प्रति अनिश्चितता और अनभिज्ञता हमारी इस भेड़चाल की प्रवृति को बढ़ा देते है। और फिर पढाई, career, पहनावे और यहाँ तक कि रिश्तो से जुड़े फैसले हम दूसरो की देखादेखी करने लगते है। हर कदम पर दूसरो से तुलना करते है।

science teacher की अपनी job बीच में छोडकर निन्जा expert बनने वाले इजमाइल आर्किन अपने blog 30 year old निन्जा पर लिखते है,’ अपने इच्छित लक्ष्यों तक पहुचने के लिए खुद को accept करना होता है। यह समझना होता है कि जो दूसरो के लिए सही है, वह जरूरी नही आपके लिए भी सही रहे। खुद पर यकीन रखकर ही जाना जा सकता है कि आपका अपना पथ भी बेहद खुबसुरत है।‘

कैसे चुने अपनी राह

1-  आज जो भी बनना चाहते है, उस राह में चुनौतियों होगी ही। किसी भी person या बात को इतना हावी न करे कि आप अपनी राह न देख सके।

2-  life के फैसले अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर ले, दूसरो को खुश करने के लिए नही। यह समझना जरूरी है कि हमे हर person को पसंद करने और उसे खुश करने की जरूरत नही है। इस तरह यह भी कतई जरूरत नही है दुसरे सभी हमे पसंद करे। खुद में सहज रहे।

3-  अंतिम फैसले तक पहुंचने के लिए पर्याप्त समय ले। life कोई प्रतियोगिता नही है। यदि आपके हमउम्र या सहकर्मी आज आपसे आगे प्रतीत हो रहे है तो कल आप उनसे आगे हो सकते है। दूसरो से compare करके खुद को छोटा न करे।

4-  खुद को positive लोगो के साथ रखे। ऐसे लोग, जो आपको प्रेरणा देते है, आपको समझते है।

5-  जब आप खुद को स्वीकारते है, तो इच्छित मार्ग की ओर कदम बढ़ाना आसान हो जाता है। खुद में मौजूद अच्छे गुणों को देखे। धीरे-धीरे आप खुद को सहज और संतुष्ट महसूस करने लगेगे।


  










Monday, February 22, 2016

Hard Time (मुश्किल समय) का जवाब


अनहोनियां जीवन की कडवी हकीकत है, जिन्हें एक दुसरे से जोडकर हम और बड़ा कर लेते है। मनोविज्ञान में इस वस स्वभाव को ‘कलस्टरिंग इल्यूजन’ कहते है, जिससे problem से निपटना कठिन हो जाता है। सच यह है कि hard time में घबराने की जगह अगर शांति से विचार करे तो बहुत हद तक स्थितियां हमारे अनुकूल हो जाती है।

unsuccess हम सभी के जीवन में आती है और जब वे आती है तो लगता है कि अब कभी खत्म ही नही होगी। एक के बाद एक इन unsuccess से हमारा मनोबल कमजोर हो जाता है। जब बारिश आती है तो अपने साथ सब कुछ बहाकर ले जाती है। यानी दुःख या सुख, जीवन में कुछ भी स्थिर नही रहता। लेकिन हमे लगता है कि हम ही अकेले है, जो इन असफलताओ से जूझ रहे है, जबकि सच ये है कि हर person इस तरह के experience से गुजरता है। मान लीजिये आप अच्छी भली job कर रहे और अचानक आपकी job छूट जाती है, तभी आप देखते है कि सिलेंडर की गैस खत्म होने वाली है, घर में राशन भी कम ही है।

कई बार ऐसा होता है कि अनहोनी जीवन में लगातार घटती चली जाती है। हर घटना अलग होती है, लेकिन हमारा brain इन घटनाओ को खुद-ब-खुद एकसाथ जोड़ने लगता है। वे घटनाए, जिनमे कोई समानता नही होती। इसे एक example से समझा जा सकता है। एक थैले में लाल,नीले, हरे और पीले रंग के कंचे collect कीजिये। हरे रंग के दस कंचे ले लीजिये, ताकि किसी एक रंग की प्रधानता न रहे। जैसे ही आप ये कंचे थैले से निकालकर एक कांच के बर्तन में डालेगे, तो आपको रंगों के अलग-अलग pattern या design नजर आयेगे। यह बिना किसी क्रम के बनाये गये group जैसा लगता है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि हमारे brain को समूह पहले नजर आता है और अलग-अलग कंचो का अस्तित्व बाद में। अगर आप अलग-अलग रंग के कंचो पर गौर करे, तो वे भी आपको पूरी स्पष्टता से नजर आयेगे और इस काम में आपको ज्यादा जहमत भी नही उठानी पड़ेगी। यह तकनीक हमे बॉगल और स्क्रैबल जैसे word बनाने से जुड़े खेलो का बेहतर खिलाडी बनाती है।
मुसीबतों का पहाड़, tension को लेकर हमारी संवेदनशीलता से भी जुड़ा है। इसे इस तरह समझे। आप हर रोज सीढ़िया चढ़ते है। चूँकि रोजाना का काम है, तो इसका दबाव आपको महसूस नही होता। पर यदि एक दिन पहले आपने स्क्वेट्स( एक तरह की exercise) किये है, जिससे मांसपेशिया अकड गयी है, तो अब चढने के लिए एक कदम उठाना भी भारी दिखने लगता है। चूँकि हमारा body बड़ी तकलीफ के साथ जूझ रहा होता है, ऐसे में हम हर अगले छोटे tension के लिए संवेदनशील हो जाते है। यही बात हमारी सोचने की प्रकिया पर भी लागू होती है। problem इसी तरह आती है, पर हमे यह तलाशना होता है कि हम उनका समाधान कैसे करेगे।

Hard Time में बेकार चिंताओं बोझ हटाए

1-  इस प्रकिया का पहला चरण है खुद को शांत और स्थिर बनाना। शांत भाव से ही आप अपनी problem से बाहर आने का रास्ता खोज सकते है। problem को भावना से जोडकर नही, बल्कि तटस्थ भाव से देखे। अपनी problem के बारे में अगर आप लिखे तो इससे बेहतर कुछ और नही हो सकता। एक सूची बनाये और अपनी problem की गंभीरता को देखते हुए उनके बारे में सिलसिलेवार तरीके से लिखे। problem की स्पष्टता कम करती है।

2-  कई बार सहज लगने वाली चीजे भी बिगड़ जाती है। लेकिन सकारात्मकता नही छोड़े। हालात होगे ये विश्वास बनाये रखे। हमारा brain बहुत शक्तिशाली होता है। आपको ये जानकर ये हैरानी होगी की success या unsuccess के बीच फर्क सिर्फ इतना होता है उसे किस नजरिये से देखा जा रहा है।

3-  आमतौर पर बहुत ज्यादा संघर्ष कर लेने पर हमे लगता है कि कोई इंसान या फिर कोई वस्तु ही हमारे दुःख का कारण है। हमारी unsuccess या फिर उसका जश्न मनाने वाले जब हमारे सामने होते है, तो हार मानकर छुप जाए या फिर अपनी स्थितियां बेहतर बनाने के लिए दोगने उत्साह से जुट जाए।

4-  हुनर या समय का management सीखने के लिए हम खुद को भूतकाल में तो नही ले जा सकते। हमे इन्हे समय के साथ सीखते रहना होता है। हम अपने अपमान या unsuccess को मिटा नही सकते, लेकिन ये जरुर सुनिश्चित कर सकते है कि यही छोटी-छोटी unsuccess हमारी तरक्की की तस्वीर को और यादगार बना दे।





‘’इस article के writer ‘एरिक थॉमस’ अमेरिका में ‘हिप हॉप प्रीचर’ के नाम से प्रसिद्द है। writer है और पूर्व फुटबॉल खिलाडी रह चुके है।‘’






Friday, February 19, 2016

Linkedin Profile में रखे इन बातो का ध्यान


1-  Linkedin profile बनाते हुए इस बात का ध्यान रखे कि उसमे ऐसे keywords का इस्तेमाल किया गया हो, जिससे आपका profile ढूंढने पर हमेशा दिखाई दे।

2-  Linkedin का अर्थ है business, job और इससे जुड़े लोग। यहा अपना नाम पूरा लिखा हो। friend क्या बुलाते है, इससे यहा कोई फर्क नही पड़ता।

3-  ऐसा न हो यहा आप किसी party या फिर सैर-सपाटे की तस्वीर upload कर दे। विभिन्न सर्वे में यह बात साफ हुई है कि profession तस्वीर को अन्य के मुकाबले 7 गुना अधिक लोग देखते है।

4-  जानकारी post करते हुए इस बात का ख्याल रखे कि वह ऐसे डिज़ाइन की गई हो कि अधिक लोगो को नजरो में आये। शब्द सीमा का अच्छे से इस्तेमाल करे।

5-  अपने काम को दिखाए। youtube के link यहा post करे। इसके अलावा power point आदि भी विकल्प है।

6-  HR manager job के लिए योग्य उम्मीदवार ढूढने वक्त आपकी location को भी तवज्जो देते है। इसलिए आप कहा रहते है, इसका जिक्र भी साफ-साफ करे।

7-  linkedin.com/in/nealschaffer जैसा लिंक इस्तेमाल करे, न कि linkedin.com/pub/neal-schaffer/4az89/145

8-  अगर आप अपनी रूचि के क्षेत्र का ध्यान रखेगे तो लोगो को आपको ढूंढने में आसानी होगी।
9-  सम्बंधित क्षेत्र की कुछ अनुशंसाये वाकई आपको job दिलवाने में मदद करेगी।

10-अपने states को नियमित रूप से update करते रहे। अपनी industry से जुडी खबरों को साझा करते रहे। 50.5% user का ही profile 100 फीसदी पूर्ण बना होता है। वही सिर्फ 42% user ही अपने profile को नियमित रूप से update करते है।

11-आपके profile से अधिक से अधिक linkedin connection जुड़े रहने चाहिए। इससे आपका profile अधिक से अधिक लोगो की नजरो से होकर गुजरेगा।

12-अपने profile से ऐसी चीजो को भी जोड़े, जो आपनी job की दावेदारी को अधिक मजबूत करती हो, जो test score, courses certification आदि। शुरूआती दौर में सिर्फ job की खोज को वरीयता न दे। यहाँ यह दिखे कि आप काम के experience कमाना चाहते है।

13-linkedin group में हर minute में बहुत सी चर्चाएँ होती रहती है। सम्बंधित group का हिस्सा बने और उनमे सक्रिय रहे।

14-profile में email address, facebook/twitter के link भी दे।


















Monday, February 15, 2016

Career में बदलाव न बन जाए भटकाव


पेशेवर life में प्रवेश के साथ ही बुलंदियों पर पहुचने का सपना हर मन में होता है, लेकिन सभी का सपना साकार हो यह जरूरी नही। बिखरते सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद में कुछ लोग जल्दी-जल्दी career बदलते है। एक के बाद दूसरा और दुसरे के बाद तीसरा career बदलते-बदलते ये लोग कई बार राह ही भटक जाते है।

मनीष पत्रकार बनना चाहता था। ग्रेजुएशन के बाद उसने मास communication की पढाई की और एक channel में प्रशिक्षु पत्रकार के रूप में काम करने लगा। पहले साल उसने ख़ुशी-ख़ुशी काम किया, लेकिन थोडा और समय बीतते-बीतते उसे लगा कि वह टीवी से बेहतर काम print journalism में कर सकता है। वह एक नामी newspaper से जुड़ गया। वहां भी उसका मन नही रमा। कुछ दिनों बाद उसने एक public relation company join कर ली। थोड़े दिनों बाद उसका मन नही लगा। इस बार उसने सोचा कि क्यों न अपना काम किया जाए। उसने अपनी event management company बना ली, लेकिन इस काम से भी उसे संतुष्टि नही मिली। फिर वह एक college में पढ़ाने लगा। इन दिनों वह खाली है और अपने निर्णयों पर पछता रहा है। दरअसल इतने काम बदलने में उसने career के important 8 साल खराब कर दिए। इन आठ सालो में न केवल उसकी उम्र बढ़ी, बल्कि पेशेवर दुनिया में भी आठ साल पीछे हो गया। अब वह पद, वेतन और जिम्मेदारी तो अपने हमउम्र साथियों के बराबर चाहता है, लेकिन उसकी दक्षता उनसे कम है और किसी भी काम में उसका specelization भी नही है। इसलिए कोई भी company उसे अपने यहाँ job देने को तैयार नही।

मनीष जैसे बहुत से युवा है, जिनका career शुरूआती पड़ाव पर ही राह भटक जाता है। कुछ वक्त रहते अपने career को सही पड़ाव पर ले आते है, लेकिन अधिकांश की नैया पार नही हो पाती। एक के बाद दुसरे, दुसरे के बाद तीसरे career में हाथ अजमाते-अजमाते वे कुंठित होने लगते है। उनका खुद पर से भरोसा उठ जाता है। अपने हर निर्णय पर वे संदेह करते है, जिसकी वजह से career में तो भटकाव होता ही है, बाकी जिन्दगी भी पटरी से उतरने लगती है। आमतौर पर career में भटकाव की निम्न वजह होती है-

दबाव में Career का चुनाव

कभी peer pressure तो कभी parents के सपने और कभी आर्थिक दिक्कतों की वजह से कुछ लोगो को अपनी पढाई और personality के विपरीत career चुनना पड़ता है। ऐसे में वे मन लगा कर काम नही कर पाते। उनका मन हमेशा मनपसन्द काम की ओर लगा रहता है। यही उधेड़बुन career में बदलाव की एक बड़ी वजह बन जाती है।

योग्यता

जरूरी नही कि व्यक्ति जिस field में काम कर रहा हो उसके लिए जरूरी सभी योग्यताये उसमे हो। ऐसे में वह अपने काम में सहज नही रह पाता। काम से जी चुराना और नई जिम्मेदारी लेने से बचना उसकी आदत बन जाती है। धीरे-धीरे वर्तमान career में वह खुद को fit महसूस नही करता। उसका मन career में बदलाव के लिए बैचेन हो जाता है।

अति महत्वाकांक्षा

कुछ लोग बेहद तेज गति से आगे बढना चाहते है। इसके चलते वे किसी भी company में लम्बे तक नही टिक पाते। एक के बाद दूसरी और दूसरी के बाद तीसरी company बदलते जाते है। कई बार इसका विपरीत असर career ग्राफ पर पड़ता है। देखने में आया है कि career का एक दशक पार करते-करते ऐसे लोग खुद को पिछड़ा हुआ महसूस करने लगते है। इस स्थिति से खुद को उबारने के लिए वे career में भी उन्हें संतुष्टि नही मिलती तो भटकाव शुरू हो जाता है।

Boss से अनबन

कुछ लोग अपने boss के रवैये से नाखुश होकर भी career बदलने का विचार बना बैठते है। उन्हें लगता है कि दुसरे career में काम करना ज्यादा सुविधापूर्ण रहेगा। तरक्की और आय के मौके भी वहा ज्यादा मिलेगे। देखने में आया है कि ऐसे लोग ज्यादातर अपना खुद का काम करना पसंद करते है। पे स्केल websites ने अपनी कंपन्सेशन best prectice 2015 की report में कहा है कि job छोड़ने के बहुत कारण हो सकते है। निजी कारण में जहा family, शादी, health आदि सबसे उपर रहे, वही पैसा एक बड़ा कारण उभर कर सामने आया। काम में मन न लगना, खुद को किसी और कार्य में fit न पाना जैसे कारण भी job छोड़ने के कारणों में से रहते है।

Focused न रहना

आमतौर पर उन्ही लोगो के career में भटकाव देखने को मिलता है, जो career को ले कर फोकस्ड नही होते। कभी उनका मन business की ओर दोड़ता है तो कभी job की ओर। कभी वे अपने ही city में काम करना चाहते है तो कभी metro city में उनका मन लुभाता है, लेकिन किसी किसी भी काम में उन्हें संतुष्टि नही मिलती।

असुरक्षा की भावना

कुछ लोगो में असुरक्षा की भावना ज्यादा होती है। ऐसे लोग हमेशा career में स्थायित्व की तलाश में रहते है। अगर उन्हें वर्तमान में career से ज्यादा स्थायित्व किसी और career में दिखाई देता है तो वे career बदलने में देर नही करते।

Career बदलने से पहले

सलाह करे

अगर आपका मन वर्तमान career में नही रम रहा है तो career बदलने से पहले एक बार शांत मन से विभिन्न बिन्दुओ पर विचार करे। सबसे पहले किसी friends या family के बड़े member से बात करनी चाहिए। किसी senior से भी की जा सकती है। अगर उससे काम न चले तो professional counselor से सलाह ली जा सकती है। इन सबसे बात करके आप problem का सही हल ढूंढ पायेगे।

दोबारा प्रयास करे

वर्तमान career के लिए जरूरी soft skill को चिंहित करे। फिर देखे कि वे सारे हुनर आप में है या नही। आपने उन soft skill को सीखने की कोशिश की है या नही। अगर नही की है तो उन्हें सीखने की कोशिश करे। soft skill सीखने के बाद वर्तमान career में थोडा वक्त और गुजार कर देखे, हो सकता है कि अब आपका मन वहा रमने लगे।

Focus बदले

job के दौरान कई बार person अपनी सारी energy एक ही दिशा में लगा देता है। अगर ऐसा है तो अपना focus बदले। company में ही नई जिम्मेदारी ले। इससे आपको नया सीखने को भी मिलेगा। साथ ही अपने मन को भी बेहतर ढंग से समझ पायेगे।

दबाब में न आये

चाहे friends हो या सहकर्मी, किसी के भी दबाव में आकर निर्णय न करे। कोई भी नया कदम उठाने से पहले परिस्थितियों का आकलन करे। अपने personality के हर पहलू पर गौर करे और फिर निर्णय ले।

छवि को लेकर सजगता

career बदलते समय कुछ लोग अपनी छवि को लेकर अधिक सजग हो जाते है। उन्हें लगता है कि अगर वे नये career में नही जम पाए तो उनकी छवि खराब होगी। लोग उन पर हंसेगे। family भी help करने में हिचकिचाएगा। ऐसे में उनके पास कोई विकल्प नही बचेगा। यह सोच नये career में उनके 100 प्रतिशत देने की बजाय इस बात पर रहता है कि success न हो पाने की स्थिति में वे क्या करेगे। नये career में कदम रखते समय इस सोच से उपर उठना चाहिए।

यह भी जांचे

कोई भी राह पकड़ने से पहले यह जरुर जाँच ले कि नये career के लिए जरूरी सभी योग्यताये आप में है या नही। अगर आपका मन marketing में जाने का है तो अपने personality पर एक बार नजर दौड़ा ले। यह जाँच ले कि आपको लोगो से मिलना-जुलना पसंद है तो पूंजी निवेश की व्यवस्था कहा से करेगे। आपके family में उस काम की कितनी स्वीकार्यता है और नये काम के मुताबिक आप खुद को बदल पायेगे या नही। अगर आप इन बिन्दुओ को विचारे बिना नये career में प्रवेश करेगे तो वहां भी मन भटकेगा ही। ऐसे में आपकी स्थिति क्या होगी ये आप खुद ही समझ सकते है।

यू टर्न न ले

नये career में प्रवेश के बाद पिछले career में वापस आने के किसी रास्ते पर विचार न करे। मन ही मन यह बात गुन ले कि आपके लिए कोई यू टर्न नही है। ध्यान रखे कि यू टर्न अपनाने वालो का जिन्दगी में किसी मुकाम तक पहुंचना बेहद मुश्किल होता है।









  

Thursday, February 11, 2016

Cyber का गलत use


देश के बच्चे जिस तेजी से internet से जुड़ रहे है, उसी तेजी से वहां चलने वाली गुंडागर्दी का शिकार भी हो रहे है। cyber की दुनिया में चंद सेकंड्स ही उन्हें मजाक का पात्र बनाने या बदनाम कर देने के लिए काफी है। ऐसे में cyber bullying(cyber दादागिरी) ऐसी नई term है, जो माता-पिता और अध्यापको के लिए चुनौती बन रही है।

दिल्ली के एक school की एक student अनामिका सिंह अब भी यह समझ नही पा रही है कि वह उन उन friends से कैसे निबटे, जिन्होंने मामूली सी बात पर उसे अपने group से बाहर कर दिया। पिछले साल अनामिका की school group की एक लडकी से कहा-सुनी हो गयी थी, उसका बदला लेने ले लिए ही उसकी class के एक group ने अनामिका को whatsapp group से delete और facebook से unfriend कर दिया। 17 वर्ष की अनामिका gossip session की अब का हिस्सा नही है।

चूँकि अब बच्चे अपना ज्यादातर समय online होकर गुजारने लगे है, इसलिए पिछले कुछ सालो में cyber bullying यानी cyber दादागिरी के आधिक मामले सामने आ रहे है। यह एक ऐसी term बन चुकी है, जो teacher और parents को परेशान कर रही है।

फोर्टिस हेल्थकेयर में मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यवहार विज्ञान के निदेशक और मनोचिकित्सक doctor समीर पारीख कहते है,’ बदलते समय के अनुरूप ही bullying की definition को भी विस्तार दिया जाना चाहिए। इसे केवल गुस्से से जुड़ा व्यवहार ही नही कहा जा सकता। social media पर अलगाव को bullying की श्रेणी में रखना होगा।‘

online counseling center ‘mindframes’ की संस्थापक doctor बत्रा कहती है,’ ऐसी bullying का शिकार वे बच्चे होते है, जिन तक पंहुच बनाना आसान होता है। इन्हे व्यंग्यात्मक सन्देश, आलोचना करते ई-मेल्स, अपमान करती post, निजी तस्वीरों के माध्यम से bulling का शिकार बनाया जाता है’।

Online Bulling का असर

मुम्बई आधारित counsiling center mind temple की मनोचिकित्सक doctor अंजली छाबडिया कहती है,’ cyber bullying का शिकार हुए बच्चे घबराहट, तनाव,डर, अकेलापन, आत्मसम्मान में कमी की गिरफ्त में आ जाते है।‘ doctor अंजली कहती है कि bullying से पीड़ित बच्चें school जाने की इच्छा नही दिखाता। इसकी वजह से उसके grade ख़राब हो जाते है और वह नशे की ओर जा सकता है, drugs ले सकता है या फिर खुद को नुकसान भी पहुंचा सकता है।

दूसरी ओर, अभिभावकों को ऐसी स्थिति में समझ नही आता कि क्या करे? अनामिका की माँ कहती है,’ बतौर अभिभावक हम खुद को असहाय पाते है, क्योकि हमे यह ठीक नही लगता कि बच्चे की लड़ाई में दखल दे।‘

कुछ मामलो में सलाहकार parents को school जाने की सलाह देते है। एक मामले में अभिभावकों ने मामले को इसी तरह निपटाया। उनके बच्चो को उसकी class का एक student facebook पर अजीबोगरीब comment देकर परेशान कर रहा था। comment कुछ ऐसे थे,’ ये तो लडकी दिखता है’ लडके कभी इतने गोरे नही होते है’,’ ये इतना मोटा क्यों है?’

इस मामले में पीड़ित बच्चे का इलाज करने वाली मनोचिकित्सक doctor सीमा हिंगोरानी ने बताया,’ यह बच्चा हर दिन अपने रंग, वजन को लेकर इस तरह के comment पढ़ता था। बुलीज को इस बात का अंदाजा भी नही था कि उसकी इन हरकतों का उस बच्चे के मनोविज्ञान पर कितना गहरा असर पड़ रहा है।‘

यह सब दो माह तक चलता रहा। जब बच्चे के parents ने उसके grade कम होते देखे, school जाने में वह परेशान करने लगा, उसका आत्मविश्वास गिरने लगा तो उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें महसूस हुआ कि कुछ गडबड है। इसके बाद उन्होंने बच्चे को ले जाकर doctor की सलाह ली और करीब चार माह तक उसकी counseling चली। अब भी उसे दो माह की और थेरेपी लेने की सलाह दी गई है। जब इस बच्चे के अभिभावक मुद्दे को school के समक्ष ले गये तो bullying करने वाले बच्चे की भी counseling की गई।

रोकथाम के उपाय

स्पेसिलिस्ट कहते है कि cyber bullying से बचने का सबसे असरदार तरीका है सतर्क रहना। example के लिए दिल्ली public school, गुडगाँव ने एक anti bullying स्क्वाड और कमेटी बनाई है, जो student, counselor, principal और अभिभावकों को मिलाकर बनाई गई है। school की छात्र सलाहकार रेणुका फर्नांडिस कहती है,’ हम अपने school में bullying को संजीदगी से लेते है और इसे कम करने के लिए सख्त से सख्त नियम बनाते है।‘

मुंबई हीरानंदानी foundation school की principal कल्याणी पटनायक कहती है,’ आज के समय में बच्चो के internet के प्रति जूनून पर रोकथाम लगाना अध्यापको के लिए कठिन हो गया है।‘ उनका school नियमित तौर पर counsiling session चलाता है। इसमे बच्चो को internet के नुकसानों से आगाह किया जाता है। specialist मानते है कि इस problem से निबटने में अभिभावकों का हस्तक्षेप और दिशानिर्देश अहम रोल अदा कर सकते है। parents को बच्चो को online सूचनाओ के आदान-प्रदान के खतरों से आगाह करना चाहिए, उन्हें online account की निजता की अहमियत बतानी चाहिए, और cyber bullying के प्रति जागरूक करना चाहिए। doctor छाबडिया कहती है,’ इस प्रकिया को रोकने के लिए पीड़ित और बुली, दोनों को counsiling दिए जाने की आवश्यकता है। तभी यह क्रम बंद हो सकता है।‘ doctor छाबडिया का यह भी मानना है कि cyber बुलीज हमेशा ही प्रतिक्रिया का इंतजार करते है, इसलिए ऐसी post पर ध्यान ना देना ही उचित रहता है। हालाकि कई मामलो में नजरंदाज करना काफी मुश्किल रहता है। ऐसे समय में अगर कोई बच्चा लिखी गई post से काफी आहत है तो उसे माता-पिता, अध्यापक, सलाहकार, थेरेपिस्ट या internet सेवा प्रदाता से यह बात share करना चाहिए। अगर जान से मारे जाने का खतरा है, शारीरिक हिंसा या अन्य कोई हिंसात्मक गतिविधि हुई है या या हो सकती है तो ऐसे में पुलिस को सुचना देना आवश्यक है।








                                          

Friday, February 5, 2016

Life की ये छोटी-छोटी बातें


1-      एक माली था। वह अपना काम बड़ी लगन से करता था। एक दिन वह अपने सुंदर से बगीचे से गुजर रहा था। उसने एक खतपतवार देखी। वह थका हुआ था, तो उसने उसे निकाला नही। अगले दिन उसे किसी रिश्तेदार के पास कही दूर जाना पड़ा। वह दो हफ्ते बाद लौटा। उसने देखा कि उसका पूरा बगीचा खरपतवार से ढका है, उसके दुसरे सभी पौधे नष्ट हो गये है।

सीख: हम भी अगर समय पर दिमाग में बैठे गलत विचार दूर नही करते तो उस जैसे कई विचार अंकुरित होकर अन्य विचारो को कमजोर कर देते है।

2-      एक आदमी साइकिल की दुकान पर काम कर रहा था। एक साइकिल ठीक होने को आयी थी, जिसे ठीक करने के बाद उसने अच्छी तरह साफ भी कर दिया। अब साइकिल पूरी तरह नई दिख रही थी।
उसके दुसरे साथी उसका मजाक उड़ाने लगे। वह कह रहे थे कि यह उसका काम नही है।
अगले दिन जब मालिक साइकिल लेने आया तो वह साइकिल देखकर खुश हो गया। उसने मैकनिक को तुरंत अपने यहाँ job दे दी।

सीख: अच्छी मेहनत कभी व्यर्थ नही जाती।

3-      एक जगह दो भाई रहते थे। छोटी उम्र में ही माता-पिता चल बसे। वे अपने खेतो में बड़ी मेहनत से काम करते। कुछ वर्षो बाद बड़े भाई की शादी हो गई और फिर दो बच्चो के साथ उसका चार लोगो का परिवार हो गया। दुसरे भाई की अभी शादी नही हुई थी। वे दोनों उपज को बराबर बांट लेते।

   एक दिन जब छोटा वाला भाई खेत में काम कर रहा था तो उसे विचार आया कि यह सही नही है कि वह बराबर बंटवारा करे। मै अकेला हूँ और मेरी जरूरते भी बहुत नही है। मेरे भाई का परिवार बड़ा है। उसकी जरूरते अधिक है। अपने दिमाग में इसी विचार के साथ वह रात अपने यहाँ से अनाज का एक बोरा ले जाकर भाई के खेत में चुपचाप रखने लगा। इसी दौरान, बड़े भाई ने सोचा, यह सही नही है कि हम हर चीज का बराबर बंटवारा करे। मेरे पास मेरा ध्यान रखने के लिए पत्नी और बच्चे है। मेरे भाई का तो कोई परिवार नही है। future में उसकी कौन देखभाल करेगा। मुझे उसे अधिक देना चाहिए। इस विचार के साथ वह हर दिन एक अनाज का बोरा लेता और अपने भाई के खेत में रख देता। ऐसा ही चलता रहा। दोनों भाई हैरान थे कि उनका अनाज कम क्यों नही हो रहा।

एक दिन, एक- दुसरे के खेतो में जाते समय उनकी मुलाकात हो गयी। उन्हें पता चला कि आखिर इतने समय से क्या हो रहा रहा था। वे ख़ुशी से एक-दुसरे के गले लगकर रोने लगे।

सीख: सच्चे मन से किये गये भलाई के काम में कभी अपना नुकसान नही होता है।











Thursday, February 4, 2016

Everything ठीक करने की कोशिश क्यूँ?


आप कुछ भी करे, कही भी जाए, आपका दिमाग आपके साथ जाता है। ऐसे में आप अपने प्रयास से ही संतुष्ट नही रहते, तो हर समय हैरान, परेशान ही बने रहते है। चीजो को अपने control में लेने की बैचेनी साथ नही छोडती। problem का समाधान करने की आदत अच्छी है, पर इसका क्या कोई अंत है? क्या जरूरी है कि हर छोटी या गैर जरूरी बात पर उर्जा और समय खर्च किया जाए?

हर चीज को control और ठीक करने की कोशिश brain को शांत नही होने देती। हमे हर समय busy रखती है। सर्वश्रेष्ठ स्थितियों होने के बावजूद बेहतर से बेहतर खोजने का प्रयास हमे खुश नही नही रहने देता। प्रश्न उठता है कि क्या अपनी स्थितियों में बदलाव करना, बेहतरी की ओर ले जाना गलत है? ‘अपनी बेहतरी के लिए हमेशा प्रयास करे, पर यह कोशिश स्वाभाविक होनी चाहिए। भीतरी असुरक्षा और हीन भावनाओ की उपज नही।‘ यह कहना है professional motivational जुडी सैजमैन का। अपनी website three principal में वे मन, चेतना और विचार इन तीन की ताकत को सम्पूर्ण बेहतरी का मन्त्र मानती है। वे कहती है,’ लोगो में जोश, समझ, प्रेरणा या skill की कमी नही होती। उनकी परिस्थितियां भी संतोषजनक होती है, बावजूद वे अपनी जिन्दगी को चुनौतीपूर्ण बनाये रखते है। problem यह है कि हम बाहरी कारणों को दोष देते है, जबकि गलती हमारी अपनी समझ में होती है।‘

जुडी सैजमैन के अनुसार, हर चीज को control करने की कोशिश करना व्यर्थ है। वे ऐसे लोगो के कुछ लक्षण बताती है,जो उन्हें जीवन में खुशियों से दूर करते है। उनके अनुसार,ऐसे लोग जो बाहरी परिस्थितियों को ख़ुशी की वजह मानते है, उन्हें खुश करना मुश्किल होता है। वे हर समय कुछ न कुछ चिंता करने लायक ढूंढ ही लेते है। आत्म संदेह दूसरो के भले प्रयास को देखने नही देता। ऐसे लोग हीन भावनाओ की शिकार होने के कारण हर समय दूसरो के प्रति आंशकित रहते है।

स्वीकार करना सीखे

‘the little book of big change’ की लेखिका Dr. एमी जॉनसन अपने लेख ‘let go of control: how  to learn the art of surrender’ में कहती है,’ हम चीजो को control करने की कोशिश करते है, क्योकि हम उस स्थिति को सोचते रहते है कि क्या होगा यदि हमने अमुक काम नही किया। हर चीज को ठीक करने की प्रवृति के मूल में हमारा डर छुपा होता है। हर चीज को साधने की कोशिश चित्त को एकाग्र नही होने देती। हम अतीत से future और फिर उसी में भटकते रहते है।‘ एमी कहती है,’ इस प्रवृति से बाहर आने के लिए जरूरी है स्थितियों को स्वीकार करना। खुद से पूछना कि आपका वास्तविक डर क्या है। कही आप अव्यवहारिक चीजो पर दिमाग तो नही लगा रहे। ऐसी बाते जो आपके control में ही नही है। हर चीज को control में करना इस universal से मिलने वाले सहयोग पर विश्वास न रखना है।








Monday, February 1, 2016

Change himself लेकिन आराम से


जिन्दगी है तो चुनौतियां है। चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अपने को बदलना भी कई बार जरूरी हो जाता है। कही ये बदलाव आप पर भारी तो नही पड़ रहा? क्या आप बदलाव के लिए सही रास्ता अपना रहे है?

वास्तव में ‘self confidence’ के सही मायने क्या है?

मेरे विचार से इसका अर्थ है कि हम अपनी सुरक्षित ‘यथास्थिति’ को छोडकर एक ऐसे रास्ते का रूख करते है, जो बिलकुल नया होता है। प्राय: इसका अर्थ होता है कि हमे भय और संदेह पर विजय पाना है। इसे करने के दो रास्ते है- एक आसान और एक मुश्किल।

आप किसे चुनेगे: आसान या मुश्किल

मुश्किल तरीका यह है कि नये रास्ते पर फौरन चल पड़े, खुद को नये रास्ते के लिए सामंजस्य बिठाने का समय दिए बगैर। उदहारण के लिए, अगर आप ज्यादा exercise करना चाहते है तो मुश्किल रास्ता यह होगा कि आप हर सुबह आधे घंटे दौड़ लगाना शुरू कर दे। यह positive बदलाव को कमजोर करने का एक सुनिश्चित तरीका है। बदलाव के तीन स्तरों को अपनाने का आसान रास्ता है- comfort, stretch और stress.

1-  comfort यानि सुभीता हमारे अंदर गहरे जमी हुई आदतों का क्षेत्र है।

2-  stress अर्थात तनाव तब होता है, जब चुनौतियां इतनी ज्यादा बड़ी होती है कि उनके सामने हम पराजित- सा महसूस करते है।

3-  stretch अर्थात विस्तार या फैलाव वह क्षेत्र है, जिसमे निरंतर परिवर्तन होता है।


चलिए मान लेते है कि आप चाहते है, आपका body ज्यादा लचीला हो और आप इसके लिए नियमित रूप से strech exercise शुरू करते है। अगर strech करते समय आप अपने comfort जोन से आगे बढ़ते है तो कुछ नही होगा। लेकिन वही दूसरी तरफ जब आप अपनी मांसपेशियों पर ज्यादा दबाव डालते है तो आपके चोटिल होने का खतरा बढ़ जाता है। हालाकि अगर आप एक ऐसी स्थिति की ओर बढ़ते है, जहां थोड़ी असुविधा महसूस होती है तो आपके लचीलेपन में वृद्दि होती है।
comfort जोन का अपना महत्व होता है, उदहारण के लिए, जब आप stretch करते है तो stretch की अवस्था में तब तक रहे, जब तक आप सहज न महसूस करने लगे। उसके बाद ही मांसपेशियों और लिंगामेंट को बढाने के क्रम में किसी को stretch जोन में फिर से प्रवेश करना चाहिए।

परिवर्तन का सबसे उत्कृष्ट तरीका है- stress से बचते हुए comfort और stretch के बीच बारी बारी से आना-जाना आजमाते रहे। strech जोन में असहजता का अहसास हो सकता है, क्योकि नये हुनर और व्यहार थोड़े अटपटे लग सकते है। यह बदलाव का एक पुरानी को नई आदतों के साथ लेकर चलता है। इसे ऐसे करके देखे-

1-  अपने हाथो को एक साथ मिलाइए।

2-  अब इसे ऐसे कीजिये कि जो अंगूठा पहले नीचे था, अब उपर आ जाए। ऐसा करने के बाद थोडा अटपटा लगा न!

3-  यह एक important क्षण होता है, जिसे हम उलझन की स्थिति कहते है, जब हम पुराने के साथ नये को मिलाते है।

4-  उलझन की अवस्था के बाद brain नये इनपुट को सुव्यवस्थित करना शुरू कर देता है और परिणामस्वरूप brain में नये रास्ते बनने शुरू हो जाते है। ‘उलझन या भम्र’ का एक मतलब ‘ एक साथ बांधना’ भी होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि एक नई आदत डालने के क्रम में पुरानी आदतों का नए के साथ मिलन आवश्यक है।

stretch जोन brain की सेहत पर दूरगामी प्रभाव डालता है। strech जोन में जाना आपके लिए अच्छा है। यह brain को healthy रखता है। यह पता चला है कि अगर हम नई चीजो को सीखना ( जो हमारे brain को नए विचारो के लिए रास्ते बनाने की चुनौती देती है) जारी नही रखते तो brain का क्षय होना शुरू हो जाता है, जिसकी परिणति डिमेंशिया, अल्जाईमर्स और brain के दुसरे रोगों के रूप में होती है।

एक study के अनुसार, लगातार strech करना और खुद को चुनौती देते रहना हमे वजन कम करने में भी मदद देता है। शोधकर्ताओं ने लोगो से हर दिन कुछ अलग करने को कहा, जैसे कि- नये रेडियो स्टेशन सुनना आदि। उन्होंने पाया कि जिन लोगो ने ऐसा किया, उनका वजन कम हुआ या फिर उनका वजन नही बढ़ा। ऐसा क्यों है, निश्चित रूप से पता नही, लेकिन वैज्ञानिको का अनुमान है कि अपने रूटीन से बाहर निकल कर चीजे करने से अमूमन हममे ज्यादा जागरूकता आती है।

आपका झुकाव किस जोन में है?

1-  क्या आप comfort को बहुत important देते है? बदलाव पसंद नही? अगर ऐसा है तो आप उन लोगो में से हो सकते है, जो ज्यादातर comfort जोन में रहना चाहते है।

2-  क्या आपको सीखना और आगे बढना पसंद है? तब आप उन लोगो में से हो सकते है, जो अपना ज्यादातर समय stretch जोन में बिताना चाहते है।

3-  अगर आप अकसर तनावग्रस्त और थका-हारा सा महसूस करते है तो सकता है कि आप stress जोन में रह रहे है।

उलझन से होते हुए विकास की ओर बढने में अनजान चीजो को गले लगाने की जरूरत होती है। यह अनभिज्ञता’ हमे जीवन में कुछ नया पाने और उस तरीके से आगे बढने में मदद करती है, जिसकी कल्पना हमने पहले कभी नही की थी।

हमारे जीवन में important है ये तीन जोन

1-  comfort जोन ‘शीतनिद्रा’ की अवस्था है। सर्दियों में जमीन के उपर कोई अंकुरण नही देखा जा सकता है, लेकिन पृथ्वी के अंदर जड़े बढती रहती है। ये मिट्टी को भेद कर बाहर आने और सूर्य के प्रकाश का आस्वाद लेने के लिए तैयार हो रही होती है। यह अवस्था रचनात्मक प्रयासों में बहुत आम होती है। इसे हम brain के तरंगित होने यानि इस विचार के जन्म लेने से ठीक पहले अनुभव कर सकते है।

2-  हमे उस समय stress जोन में रहने की जरूरत रहती है जब हमारा कोई सामना एक नई परिस्थिति से होता है, जिस पर बहुत जल्दी control पाने की आवश्यकता होती है।

3-  stretch जोन रचनात्मकता और नवप्रवर्तन का जोन है। आप तब तक नवप्रवर्तन नही कर सकते, जब तक कि आप विस्तार के इच्छुक न हो और अनजान राहों से गुजरते हुए नये की ओर प्रस्थान करने की इच्छा नही रखते।




# इस article के writer मैरी जैक्श जो जेन मास्टर, writer, motivation speaker और blogger.

खुशहाल जिन्दगी जीने हेतु व्याहारिक सूत्रों के लिए प्रेरित करना उन्हें अच्छा लगता है।