Wednesday, September 28, 2016

डायबिटीज को कम करने के लिए पांच व्यायाम

control of diabetes

Five Exercises to Reduce Diabetes

नियमित व्यायाम के फायदों से हम सब वाकिफ है, फिर भी व्यायाम बहुत कम लोगो की lifestyle का हिस्सा बन पाता है। diabetes पीड़ितों के लिए medicine और खानपान के साथ कौन से व्यायाम रहते है फायदेमंद आईये जानते है-

विभिन्न research, diabetes को control में रखने में व्यायाम को भूमिका को accept करते है। नियमित व्यायाम न केवल activity बढ़ाता है, बल्कि टाइप-2 diabetes को पूरी तरह control रखने में भी मदद कर सकता है। सही व्यायाम blood में sugar की ज्यादा मात्रा होने के बावजूद कई problem को बढ़ने से रोक देता है। व्यायाम शुरू करने से पहले अपने doctor से परामर्श जरुर करें। diabetes के मरीज की आयु व् sugar की स्थिति के अलावा दिल की सेहत भी मायने रखती है। इसी आधार पर हर किसी की जरूरत के अनुरूप व्यायाम की सलाह दी जाती है। एक सप्ताह में कम से कम 200 से 250 minute aerobics व् अन्य व्यायाम करें।

क्या-क्या है व्यायाम के फायदे

1-  दिल से जुड़ी बीमारियाँ व् heart stroke का खतरा कम होता है।

2-  नियमित रूप से व्यायाम करने से नीद अच्छी आती है।

3-  tension से लड़ने में मदद मिलती है।

4-  हानिकारक cholesterol और रक्तचाप कम होता है।

5-  दैनिक कार्यो के लिए पर्याप्त energy मिलती है।

6-  diabetes के मरीजों के लिए अपना weight control में रखना जरूरी होता है। नियमित व्यायाम से यह संभव है।

7-  blood में sugar के बढ़े हुए स्तर से body का रक्तचाप प्रभावित होता है। नियमित व्यायाम से रक्तचाप बेहतर होता है और blood पुरे body में आसानी से पहुंच पाता है।

ये पांच व्यायाम करेगे मदद

Walking: टाइप-2 diabetes से निबटने में नियमित टहलने को सबसे उपयोगी माना जाता है। सप्ताह में कम से कम 250 minute जरुर टहलें। इसके लिए सप्ताह में छह दिन 40 से 45 minute तक आपको टहलना होगा। office में भी active रहने की कोशिश करें। हर दो घंटे पर पांच minute जरुर टहलें।

Weight Training: weight training मांशपेशियों को मजबूत बनाती है। टाइप-2 diabetes के मरीजों के लिए मजबूत मांशपेशियां बहुत जरूरी होती है। अपने diabetes management plan के तहत सप्ताह में पांच दिन तीन किलो तक के weight से पांच से दस minute weight training करें।

योगासन: नियमित रूप से योगासन करने से fat कम होती है, insulin control में रहता है और तंत्रिका तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है। योगासन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप इसे किसी भी time कर सकते है।

Cycling: नियमित रूप से cycling करने से दिल मजबूत बनता है और फेफड़े बेहतर तरीके से काम कर पाते है। cycling चलाने से body के विभिन्न हिस्सों में रक्तसंचार बेहतर होता है और weight को control रखने में भी मदद मिलती है।

तैराकी: diabetes के मरीजों में खासतौर पर पैर की ओर रक्तसंचार कम हो जाता है। तैराकी में टहलने या jogging की तरह पैरों पर ज्यादा जोर लगाने की जरूरत नही पड़ती और पूरे body का  व्यायाम भी हो जाता है।









Sunday, September 25, 2016

घुटने का दर्द धीमा न कर दे चाल

knee pain
 Knee pain, slow running will not make

युवाओं में घुटनों के दर्द के मामले तेजी से बढ़ रहे है। सही जाँच व् उपचार में देरी का नतीजा होता है कि हल्का मांसपेशीय दर्द बढ़कर घुटने, जांघ व् कूल्हे की movement पर असर डालने लगता है।

तीस के age के करीब की एक school teacher है। घर और काम के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती हुई वह बेहद व्यस्त रहती है। वह जानती है कि सेहतमंद और fit रहना उनके लिए कितना जरूरी है, बावजूद इसके व्यायाम के लिए समय निकालना उनके लिए मुश्किल होता है। व्यायाम की भरपाई के तौर पर उन्होंने कुछ समय पहले खुद को अधिक active बनाये रखने का फैसला किया, जिसके चलते वह lift की जगह सीढियों का इस्तेमाल करने लगी और रिक्शा की जगह पैदल घर और बाज़ार जाने लगी। वह तीसरी मंजिल पर रहती है। शुरुआत में सीढियां चढ़ने में थकान होती थी, पर habit हो जाने के बाद अब problem नही होती।

लेकिन एक माह बाद ही उन्हें सीढियां उतरते हुए सीधे पैर के घुटने में सामने के हिस्से में कुछ परेशानी महसूस होने लगी, पर उन्होंने ज्यादा ध्यान नही दिया। करीब एक सप्ताह गुजरने के बाद यह परेशानी हल्के pain में बदल गयी। धीरे-धीरे सीढियां चढ़ते हुए भी पैरों में pain होने लगा। doctor ने इसे घुटने के सामने वाले हिस्से का pain बताया, जिसे medical language में पेटेलोफीमोरल पेन सिंड्रोम/ एंटीरियर नी पेन या फिर कॉन्ड्रोमलेसिया पटेला कहते है। doctor ने उन्हें कुछ दर्द निवारक medicine लेने को कहा है। साथ ही सीढियां चढ़ने-उतरने से बचने की सलाह दी है। pain दोबारा न हो, इसलिए मांशपेशियों को मजबूत बनाने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाने की सलाह भी दी है।

Pain का कारण

जांघ की हड्डी को femur, जोड़ की मुख्य बड़ी हड्डी को tibia और नी कैप को पटेला कहते है। जांघ की हड्डी और नी कैप से मिलकर जो जोड़ बनता है, उसे पेटेलोफीमोरल जॉइंट कहते है। लगभग 20% मरीज पेटेलोफीमोरल पेन सिंड्रोम (PFPS) के शिकार होते है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में यह problem अधिक होती है। यह pain नी कैप और जांघ की हड्डी के बीच अधिक घर्षण होने के कारण होता है। इस वजह से पंजे की एड़ियो का पिछला हिस्सा, टखना,कुल्हे का उपरी हिस्सा,पेडू और पैरो के मध्य में pain बढ़ जाता है। नी कैप के जांघ की हड्डी से टकराने के कई कारण होते है।

PFPS के अधिक होने के मुख्य कारण पैर की मांशपेशियों का प्रभावित होना है। ये मांशपेशियां एक तरह से हमारे body का engine room होता है, जिनकी activity के कारण ही हमारी activity बनी रहती है। चलने से लेकर दौड़ने जैसी हर गतिविधि इन्ही मांशपेशियों पर काफी वजन पड़ता है, जिससे कई बार ये मांशपेशियां चोटिल हो जाती है व् उनमे खिंचाव आ जाता है। उनका लचीलापन भी कम होने लगता है। मांशपेशियों में अकड़न बढने से दर्द बढ़ने लगता है और मांशपेशियों की कुशलता कम होने लगती है। घुटने के जोड़ में pain भी होता है। आमतौर पर जांघ के भीतरी हिस्से की मांशपेशियों की तुलना में बाहरी मांशपेशियां अधिक कड़ी हो जाती है। इस असंतुलन के कारण नी कैप बाहर की ओर उठने लगती है और चलते समय जांघ वाली हड्डी से टकराती है। इसी वजह से नी कैप और जांघ की हड्डी के बीच swelling और pain बढ़ जाता है।

उपचार का तरीका

फिजियोथेरेपिस्ट pain में आराम देने के लिए acupressure या cross friction मसाज तकनीक का इस्तेमाल करते है, जिसमें pain वाले हिस्से पर थोड़ा जोर देकर pressure दिया जाता है। इसके अलावा मालिश से भी काफी आराम मिलता है। नियमित मालिश से मांशपेशियों की अकड़न वाले हिस्से में लचीलापन आ जाता है। कुछ आराम आ जाने पर मांशपेशियों में मजबूती लाने के लिए stretching कराई जाती है। अपने doctor और फिजियोथेरेपिस्ट से आप घर में किये जाने वाले exercise से राहत पा सकते है।

आमतौर पर आराम आने में 12 से 16 सप्ताह का समय लग जाता है। घर में exercise, doctor द्वारा की गयी जाँच और फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा अपनाई गयी विभिन्न तकनीक और मसाज कूल्हे और टखने के लचीलापन को बढ़ा देते है। स्थायी निजात पाने के लिए नियमित exercise करना ही सबसे बेहतर उपाय है। ऐसा करने पर घुटने के आसपास की सभी मांशपेशियां मजबूत हो जाती हैं।

ये Exercise देगे मांशपेशियों के दर्द से आराम

इलियोटिबियल बैंड को दे मजबूती

इलियोटिबियल बैंड की कूल्हे, जांघ के भीतरी हिस्से की मांशपेशियों का समूह समझा जा सकता है। इस हिस्से में होने वाले दर्द में राहत पाने के लिए फोम रोलिंग एक प्रभावी तरीका है। इसके लिए आपको एक tube की जरूरत होगी, जिसे फोम रोलर कहते है। यह आसानी से आपको किसी आसपास के sports store से मिल जायेगा। फोम रोलर पर इस तरह लेटें, जिससे आपके body का पूरा weight जांघ के बाहरी हिस्से पर रहे। जांघ के निचले हिस्से से शुरू कर रोलर को move करते हुए धीरे-धीरे उपरी हिस्से तक जाएँ। हर पैर से ऐसा पांच minute तक करें। लगातार pain वाली जगह पर इस तरह रोल करना मांशपेशियों को आराम पहुंचाएगा।

जांघ की सामने वाली मांशपेशियां

फोम रोलर पर इस तरह लेटे कि रोलर आपके दोनों घुटनों यानी नी कैप से थोड़ा उपर रहें। धीरे-धीरे उपर से नीचे और नीचे से उपर तक लायें। ऐसा 5 से 10 minute तक करें।

घुटने को लचीलापन बढायें

पेट के बल लेटें। पेट की मांशपेशियों को भीतर की ओर खीचे। एक घुटने को मोड़ते हुए पीछे की ओर ले जाएँ और पैर से पंजे को पकड़ते हुए एड़ी को कूल्हे पर टिकाने का प्रयास करें। 30 से 60 seconds तक इस मुद्रा में रहें। फिर इसे दूसरे पैर से दोहरायें। ऐसा तीन बार करें।

फोम रोलिंग, बाहरी कूल्हे के लिए

फोम रोलर पर इस तरह लेटे कि ये आपकी कूल्हे की हड्डी के पास हो। थोड़ा आगे और पीछे धीरे-धीरे move करें। हर तरफ से पांच minute ऐसा करें। इससे कूल्हे व् कमर दोनों की मांशपेशियों मजबूत बनेगी। दर्द कम होगा।


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Wednesday, September 21, 2016

Mutual Fund: कम जोखिम में ज्यादा Return

mutual funds

share में सीधे निवेश के मुकाबले mutual fund(MF) में जोखिम कम है। जबकि इसमें सावधि जमा(FD) एवं अन्य तय अवधि के निवेश option के तुलना में return ज्यादा मिलता है। पिछले तीन साल में equity fund की चुनिंदा scream में 28% से भी अधिक return मिला है। mutual fund में निवेश के कई option हैं जिसमें से निवेशक अपनी वित्तीय स्थिति के आधार पर चुनाव कर सकते है।

Equity Fund Return में सबसे आगे

इस fund की अधिकांश पूंजी share में निवेश की जाती है जिसकी वजह से इसमें return की सम्भावना बेहतर होती है। equity fund के तहत आने वाले large cap fund में पिछले तीन साल में 28.8% तक return मिला है। वही small and mid cap में 52.2% और equity linked saving scream (ELSS) में 31% जबकि index fund में 15.8% return मिला है। equity fund का दायरा बहुत बड़ा है और इसके तहत कई scream है जो निवेश और क्षेत्र के हिसाब बंटी हुई है। ELSS, focus fund, multi cap fund,large,small and mid cap fund सहित कई अन्य fund इसके तहत आते है।

Date Fund FD से ज्यादा फायदेमंद

इसकी पूंजी का अधिकांश हिस्सा सरकारी bond,corporate bond और तय अवधि वाले अन्य माध्यमों में निवेश किया जाता है। इस वजह से mutual fund की अन्य scream से date fund में जोखिम कम होता है। इससे निवेशकों की पूंजी डूबने का खतरा कम होता है। पिछले तीन साल में date fund में 12.4% तक return मिला है। वही इस अवधि में FD पर ब्याज आठ से 9% के करीब रहा है। date fund में छोटी अवधि के बजाय तीन से पांच साल की अवधि में return ज्यादा बेहतर मिला है। FD में 10 हजार रूपये से अधिक ब्याज पर tax लगता है। वही date fund को तीन साल बाद निकालने पर मंहगाई सूंचकांक के साथ फायदा लेने पर 20% capital gain tax की बचत होती है। FD पर हर साल 10% के हिसाब से स्रोत पर कर कटौती (TDS) हो जाती है। यदि आप आयकर श्रेणी में नही आते है तो TDS से बचने के लिए form-H भर के देना पड़ता है। date fund में इस तरह की परेशानी नही है।

Balanced Fund में दोहरा लाभ

पिछले तीन साल में इसमे 25% तक return मिला है। balanced fund की पूंजी का 65% हिस्सा share में और 35% हिस्सा सरकारी bond, corporate deposit सहित तय return वाले माध्यमों में निवेश किया जाता है। इसकी वजह से इसमें return और जोखिम के बीच संतुलन बना रहता है। जब share market में तेजी आती है तो balanced fund के 65% निवेश पर उसी के मुताबिक आकर्षक return मिलता है। वही गिरावट आने पर केवल उसी हिस्से पर नुकसान होता है लेकिन तय अवधि वाले हिस्से में निवेश की राशि पर मिलने वाले return से यह कुल नुकसान घट जाता है। वही equity fund की श्रेणी में नही आने के बावजूद भी इसपर tax की गणना share की तरह की जाती है। 65% राशि share में निवेश होने की वजह से इसे एक साल बाद बेचने पर लम्बी अवधि का पूंजीगत लाभ होता है। जबकि date fund में इसके लिए लम्बा इंतजार करना पड़ता है। mutual fund company, balanced fund की share में निवेश की जाने वाली राशि से बड़ी company (large cap) और छोटी company (small cap) के share में निवेश करते है। बड़ी company  के प्रदर्शन में ज्यादा उतार-चढ़ाव नही होता है वही market में तेजी पर छोटी company का प्रदर्शन ज्यादा बेहतर रहता है। इसकी वजह से आकर्षक return मिलने की संभावना रहती है।

छोटी अवधि में Liquid Fund बेहतर

इसे money market fund भी कहा जाता है। इसके return में ब्याज दरों के अनुसार उतार-चढ़ाव आता रहता है। इस fund की अधिकांश पूंजी उन तय आय (fixed income) वाले माध्यमों में निवेश की जाती है जिनकी परिपक्वता अवधि एक साल से कम होती है।

कम अवधि के लिए पैसा लगाने की सुविधा की वजह से इसे छोटी अवधि के बेहतरीन निवेश option के तौर पर जाना जाता है। यह उन निवेशकों के लिए बेहतर माना जाता है जो किसी वजह से अपना पैसा बचत खाते में रखने के बजाय कही और रखने के साथ ही आकर्षक return भी चाहते है।

निवेश से पहले जरुर देखें Rating

mutual fund scream जब market में जारी की जाती है तो उसकी rating भी साथ आती है। AAA(triple A) rating सबसे सुरक्षित मानी जाती है। इसमे पूंजी डूबने का खतरा कम रहता है। rating से निवेश पर जोखिम का पता चलता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से ऐसा देखा गया है कि निवेश के समय जो rating थी वह एक साल बाद घट गयी। fund company ज्यादा return के लिए कई बार कम rating वाले निवेश माध्यमों में पूंजी लगा देती है। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि जब जारी करते समय किसी date fund की rating AAA है। लेकिन उसे पेश करने वाली company बाद में चलकर कम rating वाले निवेश माध्यमों में पूंजी लगाती है तो वैसे में निवेश निकालने में ही समझदारी है।

कितना फायदा

1-  52% तक return मिला equity fund में तीन साल में

2-  31% तक return दिया equity fund की ELSS ने

3-  25% तक return मिला balanced fund में

4-  12.4% तक का लाभ हुआ date fund में

5-  8.9% तक का फायदा हुआ liquid fund में

  

   



    





Sunday, September 18, 2016

Motivational Story


क्या ढूंढ रहे है आप?

रोहित और मोहित दोनों पांचवी कक्षा के student थे। दोनों अच्छे दोस्त थे। एक दिन छुट्टी के समय मोहित ने कहा –friend, ‘एक idea है। वों देखों, सामने तीन बकरियां चर रही है।‘

रोहित- इससे हमें क्या लेना-देना है?

मोहित- हम आज छुट्टी के बाद इन बकरियों को school में छोड़ देगे। कल सभी इन्हें खोजने में समय व्यर्थ करेगे और पढ़ाई नही होगी..

रोहित- पर बकरियां तो कुछ समय में मिल ही जाएँगी।

मोहित- हा हा हा, यही तो बात है, बस तुम देखते जाओ, मैं क्या करता हूँ!

जब सभी लोग चले गये तो वे दोनों उन बकरियों को पकड़ कर class के अंदर ले आये। मोहित बोला- अब मैं इन बकरियों पर number डाल देता हूँ। पहली बकरी पर number-1 दूसरी पर 2 और तीसरी पर 4.

ये क्या? तीसरी बकरी पर number 4 क्यों डाल दिया?- रोहित ने हैरानी से पूछा।

मोहित ने हंसते हुए कहा- यही तो बात है। कल सभी तीसरे number की बकरी को ढूंढेगे। और वो कभी मिलेगी नही।

अगले दिन दोनों समय से पहले school पहुंच गये। थोड़ी देर में school में बकरी होने का शोर मच गया। कोई चिल्ला रहा था- चार बकरियां है, पहली,दूसरी और चौथी तो मिल गई, बस तीसरी को ढूंढना बाकी है।

पूरा staff बकरी ढूंढने लगा। तीसरी बकरी ढूंढने का खूब प्रयास किया गया... पर बकरी तब मिलती, जब वो होती! school में सब हैरान- परेशान थे, सिवाय रोहित व् मोहित के। उन्होंने चालाकी से एक बकरी जो अदृश्य कर दी थी।


इस story को पढ़कर हल्की मुस्कान आना स्वाभाविक है। पर तीसरी बकरी दरअसल वो चीजें हैं, जिन्हें खोजने के लिए हम बेचैन है, पर वो हमें मिलती ही नही... क्योंकि वो होती ही नही। हम जो नही है, उसे पाने में लगे रहते है, पर ये भी तो हो सकता है कि वो चीज हो ही न!






Saturday, September 17, 2016

Taking things to Heart (बातों को दिल पर लेना)

  
किसी ने किसी की तारीफ़ की। आप चिढ़ जाते है कि आपकी बुराई की गयी है। दरअसल हम हर समय दुखी होने के लिए आतुर रहते है और अपने भीतरी घावों को भरने नही देते। क्या वाकई सब हमें दुःख पहुँचाने के लिए बैठे है? ऐसा तो नही कि सामने वाला अपने ही घाव सहला रहा हो!

‘तुम्हे नही कहा था। वो तो बस एक बात थी। तुम्हारी problem क्या है, सब बात अपने पर क्यों लेते हों?’ रोजमर्रा में कई बार ये बात आपने दूसरों को कही होगी, तो कुछ ने आपको भी। क्या वाकई यह हमारे अपने स्वभाव की दिक्कत होती है कि हम किसी भी बात को झट अपने उपर ले लेते है?

मान लीजिये किसी ने कहा- मूर्ख हो, ये भी नही जानते? हो सकता है कि वह व्यक्ति आपको जानता ही न हो, या वह शब्द उसकी habits में शुमार हो, या फिर वाकई वह आपको नीचा दिखाना चाहता हो। जानकर कहते है कि अगर आप बुरा मानते है तो कहीं न कही आप मानते है कि आप वैसे ही है। और सामने वाले ने आपकी कमजोरी को पहचान लिया है।

हम खुद से जैसी बातें करते है, हमारी प्रतिक्रियाएं वैसी ही हो जाती है। यही वजह है कि कुछ लोग किसी अनजान की भी छोटी सी बात पर आपा खो बैठते है। दरअसल यह हमारे अपने अभावों की बेचैनी होती है। जब कोई अपनी सफलता और सुखी जिन्दगी की बात करता है तो हम सोचते है कि वह हमें चिढ़ा रहा है। सही या गलत, जब हर बात को हम अपने उपर लेते है तो दूसरों के जहर को अपने अंदर जगह दे रहे होते हैं।

bestseller ‘the for agreement’ के writer और spiritual master ‘दॉन मिखेल रुइस कहते है,’ खुद को बहुत important समझना या हर चीज को अपने उपर लेना अतिस्वार्थी होने का लक्षण है। हमे लगता है कि अब कुछ ‘मेरे बारे में है। जबकि दूसरे जो करते है, वह आपके नही, अपने कारणों से करते है। वह उनकी राय, उनके अपने मन के समझौते होते है।‘

सवाल उठ सकता है कि सामने वाला वाकई जान कर चोट कर रहा हो, तब दुःख कैसे नही होगा? ओशो अपने लेख ‘you carry your wound’ में लिखते है,’अंहकार हमारी पूर्णता को घाव में बदल देता है। हर कोई केवल अपने घावों की रक्षा कर रहा होता है। किसी की बात सुनकर आप दुखी होते है, क्योकि आप दुखी होना चाहते है। जितना अहंकार कम होगा, उतने ही दुखी कम होगे।‘ महात्मा गांधी ने कहा है कि कोई भी मुझे अपमानित नही कर सकता।

न करें खुद को परेशान

1-  जिस व्यक्ति की बात से दुखी है, उसके साथ अपने सम्बन्ध को देखे। क्या उसे खुश रखना आपके लिए मायने रखता है?

2-  जिसने कहा, उसके भाव,स्थिति, सोच के ढंग और बोलने की सीमाओं को समझें। हो सकता है कि वे वैसे ही बात करता हो।

3-  तुरंत प्रतिक्रिया न दें। मन का एक कोना ऐसा जरुर रखें, जहां किसी दूसरे को प्रवेश की इजाजत न हो।

4-  स्थिति को समझे। हो सकता है कि उस बात का आपसे सम्बन्ध ही न हों। फिर भी कुछ शंका है तो सीधे तौर पर पूछ लें।

5-  शांत दिमाग से यह अवश्य सोचे कि स्थिति विशेष में आपके सीखने के लिए क्या है?

6-  खुद पर विश्वास करना सीखें। जितना खुद को समझेगे, उतना ही दूसरों की स्वीकृति की जरूरत कम होगी।

7-  अपने आसपास वालों की मदद करें, उनके प्रति उदारता बरतें। ऐसा करना आप में आत्मसम्मान की भावना को बढ़ाएगा।




                               When do not Mind (जब मन का नही मिलता !)



8-   

Wednesday, September 14, 2016

When do not Mind (जब मन का नही मिलता !)

When do not mind

ऐसा क्यों होता है कि हमारा मन जिस चीज के लिए तैयार है, वह या तो हो नही पाता या फिर नतीजे ख़ुशी देने वाले नही होते? प्रयास करने के बाद भी लक्ष्य से दूर रह जाते है। ऐसा तो नही कि हम सोचते कुछ है और कर कुछ और रहे होते है?

यह सबसे ज्यादा खीझ करने वाली परिस्थितियां होती है, जब आप वास्तव में कुछ करना तथा पाना चाहते है, उसके लिए तैयार भी हो जाते है, तब पाते है कि इसके नतीजे संतुष्टि देने वाले नही है। एक उदाहरण लेते है, मान लीजिये आप स्नान कर रहे है, और नहा कर तुरंत बाहर निकलना चाहते है, लेकिन कुछ कारणों से निकल नही पाते। आप खुद से कहते है कि 10 minute में नहा कर बाहर निकल आयेंगे, लेकिन 45 minute में bathroom में ही बीत जाते है।

ऐसी परिस्थितियां कोई सामान्य नही है। इन्ही वजहों से alarm घड़ी में sleep/snooze button का आविष्कार किये गये। आईये कुछ संभावित कारणों की पड़ताल करते है कि क्यों हम मानसिक रूप से खुद को प्रेरित महसूस करते है और फिर भी लक्ष्य को प्राप्त नही कर पाते।

क्या आपके लक्ष्य आपकी Problem है?

नही। लक्ष्य problem नही है, बल्कि उनके बारे में हमारी समझ problem है। कुछ ऐसे आधुनिक मिथक है, जो motivation और लक्ष्यों से जोड़ दिए गये है। इनमें सबसे आम है कि अगर आपका कोई लक्ष्य है और आप इसे लिख लेते है, या इसकी success की परिकल्पना करते है तो यह किसी भी प्रकार से हासिल होगा। सिर्फ इसलिए कि हमने दिमाग को किसी चीज के लिए तैयार कर लिया है तो इसका अर्थ यह नही है कि ऐसा होगा ही। फिर भी कुछ लोग सोचते है कि किसी काम के लिए अपने मन को तैयार करना ही सबसे कठिन होता है।

अपने मन को किसी चीज के लिए तैयार करना, अक्सर आपको उसे स्थगित करने का बहाना दें देता है। कई लोगो के मामले में लक्ष्य को निर्धारित करना, उन्हें उसे क्रियान्वित न करने का एक बहाना दे देता है।

इसे कैसे ठीक करें?: वैसे ही लक्ष्य निर्धारित करें, जिन पर आप अभी काम शुरू करने जा रहे है। अगर चाहते है कि कोई काम पूरा हो तो उसे अभी करने का फैसला करें और अपने लक्ष्य उसी समय निर्धारित करें। अगर समय थोड़ा है तो वही लक्ष्य निर्धारित करें, जो उतने समय में हासिल कर सकते है।

क्या अनुशासन Problem है?

कई लोगो में अनुशासन और उनके motivation में गहरा और सीधा सम्बन्ध होता है। जिन लोगो स्व-अनुशासन की problem होती है, वे काम से जी चुराते है और किसी कार्य को बड़ी आसानी से छोड़ देते है। problem यह है कि ज्यादातर कामों को पूरा करने के लिए स्व-अनुशासन की जरूरत होती है। कई लोगो में काम को नजरअंदाज करने की भावना बड़ी बलवती होती है तो कई लोग आसान और ज्यादा सुविधाजनक रास्तों को चुनते है।

इसे कैसे ठीक करे?:

अगर आप अक्सर पाते है कि आपकी mind इच्छुक है, लेकिन नतीजे संतोषजनक नही है तो आपको जिस चीज की आवश्यकता है, वह है स्व-अनुशासन में सुधार। कुछ लोगो के लिए अपने comfort जोन से बाहर निकलना दूसरों के मुकाबले कठिन होता है और इसकी बड़ी वजह उनका स्व-अनुशासन। पर काम कीजिये। लक्ष्य तुरंत हासिल भले ही न हों, आप खुद को अपने लक्ष्य की दिशा में बढ़ते हुए पाएंगे।

क्या Negative Habits Problem हैं?

वास्तव में negative habits problem नही है। habits ही अपने आप में एक problem है। आप में प्रेरणा की कमी इसलिए नही है कि आपको ज्यादा खाने, धुम्रपान करने या व्यर्थ में इधर-उधर घुमने की आदत है। habits किसी काम में आपकी मदद नही करती, लेकिन यह आपकी सोच में बाधा भी नही खड़ी करती। यह आपकी निष्क्रियता, अनिर्णय और देर करने की प्रवृत्तियाँ है, जो आपके motivation प्रयासों पर विराम लगा देती है, जो हमें ख़राब परिणाम की ओर ले जाता है। अपनी habits बदलिए और स्वयं को असुविधाजनक स्थितियों की ओर धकेलिए, जहां वैसी गर्मजोशी और सुविधा महसूस नही होती, जो आपको सामान्य हालात में होती है। हो सकता है कि देर करने, अनिर्णय और निष्क्रियता की habits को छोड़ने में उतनी ही मुश्किलें आयें, जितनी drugs से छुटकारा पाने में आती है।

इसे कैसे ठीक करें?: इसका सबसे बड़ा समाधान है practice. लक्ष्य निर्धारित करने और उसे प्राप्त करने का आनन्द महसूस करने के लिए स्वयं को प्रेरित करना, ऐसी चीज नही है, जो जन्म के साथ प्राप्त होती है। यह एक ऐसी चीज है, जिसे अनेक लोग बढ़ती उम्र के साथ सीखते है। लेकिन कोई सबक कितनी अच्छी तरह सीखता है, यह व्यक्ति-व्यक्ति पर depend करता है। आप धीरे-धीरे पुरानी आदत को बदलने के लिए एक नई habits अपनाएँ, जो अक्सर किसी आदत को छोड़ देने की कोशिश करने के मुकाबले ज्यादा आसान होता है। यही वजह है कि शराब के आदी को coffee की habits डाली जाती है। ज्यादा उत्साहजनक बात यह है कि जितना आप सीखते है, लक्ष्य को निर्धारित करने और उसे प्राप्त करने का आनन्द महसूस करना उतना ही आसान होता जाता है। ठीक वैसे ही, जैसे bike चलाने में होता है।



# इस article के writer ‘जोश हिड्स’ जो motivation writer और businessman है। ‘Why perfect timing is myth’ और ‘it is your life’, ‘live big’, उनकी famous books है।



                                               www.getmotivation.com





                         अपनी Problem का आप हैं समाधान






Sunday, September 11, 2016

Interview में Failed, आगे success कैसे !

interview

job के लिए interview प्रक्रिया के बाद वह समय काफी हताश करता है, जब पता चलता है कि selection नही हुआ। अधिकतर लोग इसके कारणों पर विचार किये बगैर आधे-अधूरे मन से दोबारा आवेदन की प्रक्रिया में जुट जाते है। किसी भी interview में असफलता के बाद आपकी तैयारी कैसी होनी चाहिए?

अपने हाल में ही ऐसे पद के लिए interview दिया था, जिसे आप सचमुच पाना चाहते थे। आप जानते है कि आपने interview के दौरान बहुत अच्छा प्रदर्शन नही किया। जब आपको पता चलता है कि वह job किसी और को मिल गई तो आप बहुत हतोत्साहित हो जाते है। परन्तु एक ख़राब interview का अर्थ नही होता कि आप बिलकुल ही असफल हो गये और आपके लिए job के सभी दरवाजे बंद हो गये है। यहाँ आत्ममंथन करते हुए अपनी सोच और कार्य प्रणाली में सुधार लाया जाना बेहद जरूरी है।

बनाएं रखें Self-Confidence

आपको कितनी ही बार interview में असफलता क्यों न मिली हो, कोशिश करनी होगी कि इसका असर आपके self-confidence पर नही पड़े, अन्यथा आपको खुद ही अपनी काबिलियत पर शक होने लगेगा। अगर job की तलाश में निकले है और interview दे रहे है तो इस सत्य को हमेशा ध्यान में रखकर चलें कि कभी भी असफलता का सामना करना पड़ सकता है। आपका interview चाहे जितना अच्छा रहा हो, लेकिन यह आशंका हमेशा रहती है कि कोई और प्रत्याशी आपसे बाजी मार न ले जाए, आवश्यक नही है कि वह आपसे बेहतर हो। interview भी एक वनडे क्रिकेट मैच की तरह होता है। आपका प्रदर्शन काफी हद तक इस बात पर भी depend करता है कि आपका वह दिन कैसा रहा।

असफलता के कारण

कई बार तो आपके interview में असफल होने के ऐसे कारण भी होते है, जिनसे आपका या आपके personality का कोई सम्बन्ध नही होता। जैसे आप जिस पद के लिए interview देने गये है, उसके लिए पहले से ही किसी उम्मीदवार को तय कर लिया गया हो या नियोक्ता को ऐसा महसूस हो जाए कि आप इस job को एक सीढ़ी की तरह उपयोग करने वाले हैं या आप इस पद में ज्यादा दिनों तक काम नही करेंगे। बहरहाल, कारण कोई भी हो इससे पहले कि interview की कोई असफलता आपके self-confidence को बुरी तरह से हिला कर रख दे, जरूरी है कि future के लिए आप कुछ ऐसी तैयारी कर लें, जो आगे आपके success होने की सम्भावना बढ़ा दे।

अपनी कमियों को सुधारें

आप एक बार मन ही मन पूरे interview के दौरान की गयी सारी छोटी-बड़ी घटनाओं का स्मरण करने की कोशिश करें और अंदाजा लगायें कि क्या कुछ गलती हुई या क्या-क्या problem आई, जिनका हल नही निकल पाया। एक-एक करके सारे प्रश्नों के उत्तर देने के तरीके और interviewer के साथ आपकी बातचीत की समीक्षा करें। अपनी कर्मियों की पहचान करने के बाद सोचें अगले interview में आप इन्हे कैसे सुधार पायेंगे या बातों को बेहतर ढंग से कैसे प्रस्तुत कर पायेंगे। अगर आपका उत्तर बहुत संक्षिप्त था तो आप उसे कैसे कुछ उपयोगी जानकारियों के साथ थोड़ा विस्तार के साथ समझा सकेंगे। अगर आप उत्तर देते वक्त ज्यादा लापरवाह थे तो आपको ज्यादा professional ढंग से और ज्यादा संजीदगी से उत्तर देने का अभ्यास करना चाहिए।

Feedback करेगा मदद

अगर possible हो तो interview के बाद किसी और दिन interviewer से मुलाकात करने की कोशिश करें। उनसे सलाह लें कि आप कैसे स्वयं के प्रदर्शन को future के साक्षात्कारों के लिए पहले से बेहतर कर सकते है। हालाँकि यह थोड़ा मुश्किल काम है, फिर भी आप पहले interviewer को विश्वास दिलाये कि उनका feedback आपके लिए important है। आप इसके लिए email के माध्यम से भी contact कर सकते है। interviewer की सलाहें आपके अंदर की ऐसी कर्मियों की पहचान करने में काफी सहायक होगी, जो आपको ज्ञात नही है। आप उनकी सलाह को उदाहरण के साथ पूछ कर समझने की कोशिश करें और प्राप्त जानकारी को अगले interview के लिए अपने दृष्टिकोण में शामिल करने की कोशिश करें। सलाह लेते वक्त ध्यान रखें interviewer को ऐसा बिलकुल न लगे कि आप अपनी असफलता का दोष उसके उपर मढ़ रहे है। मान लीजिये वह आपकी कोई ऐसी कमी बता रहा हो जो आपके अंदर हो ही नही तो आप सफाई देने के बजाय चुपचाप सुन लें, उसे ये एहसास होना चाहिए कि आप उससे कुछ सीखने आये है। योग्यता के साथ-साथ व्यक्ति का रवैया या उसकी प्रवृति भी बहुत important होती है, इसलिए स्वयं की कमी जानने और उसे सुधार करने करने की आपकी इच्छा कभी-कभी नियोक्ता को आपको job देने के लिए भी प्रेरित कर सकती है।

Workshop में भाग लें

कई coaching institute और college job training के लिए workshop का आयोजन कर के बताते है कि interview में कैसे सफलता पाई जाए। अपने क्षेत्र में ऐसे institute का पता लगा कर उनकी workshop में भाग लेना चाहिए। किसी अपने से ज्यादा अनुभवी दोस्त या मेंटर के साथ interview के लिए practice करें इससे आपको अपने जवाबों को मजबूत बनाने, स्वयं को अधिक पेशेवर दिखाने, ज्यादा प्रभावशाली उम्मीदवार के रूप में स्वयं को पेश करने सहायता मिलेगी। आप किसी HR professional की भी सलाह ले सकते हैं।

Future की तैयारी

future में होने वाले interview की प्रभावी रूप से तैयारी करें। शायद आपका पहला interview इसलिए अच्छा नही हुआ हो कि आपने जिस company के लिए interview दिया था, उसके बारे में आपने कोई research नही की थी या उससे सम्बंधित कोई उत्तर उचित तरीके से नही दे पाए थे। यह भी हो सकता है कि interview के दौरान पूछे जाने वाले कुछ standard question के उत्तर के बारे में आपने तैयारी नही की होगी। प्रश्नों के उत्तर देते वक्त आपके उत्तर से भी कुछ प्रश्न निकल सकते है। आपको उसके लिए भी तैयार रहना होगा। interview के दौरान पूछे जाने वाले कुछ standard प्रश्न होते ही है। इनकी तैयारी आपको पहले से कर लेनी चाहिए। कुछ ऐसे ही प्रश्न:

1-  अपने बारे में बताएं?

2-  आपकी कमजोरी/ताकत क्या है?

3-  आप अपनी मौजूदा job क्यों छोड़ना चाहते है?

4-  अपनी मौजूदा job के बारे में बताएं, आपका काम क्या है?

5-  आप ये company क्यों join करना चाहते है?

6-  हम आपका चयन क्यों करें?

7-  अब तक की आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि क्या रही है?

8-  क्या आप कोई प्रश्न पूछना चाहते है?