Monday, September 28, 2015

मन के जीते जीत




बिना प्रयास किये success की कामना करना ठीक वैसे ही है जैसे कि सामने रखी भोजन के बारे में ये सोचना कि भोजन स्वतः ही हमारे मुख में आ जायेगा और हमारी भूख शांत हो जाएगी जबकि ऐसा नही है, हमे खुद से प्रयत्न करना होगा अन्यथा भूखे ही रह जायेगे। success का कोई shortcut नही होता बल्कि एक सीधा सा formula है ऐसा कहा जा सकता है और वह formula है- पूरी लगन के साथ hard work.

कई बार लोगो को कहते देखा है कि अमुक person को तो success यूँ ही मिल गई, या उसका luck देखो कितना बढ़िया है तभी तो उसे success मिल गई लेकिन हम उस person की success के पीछे उसके द्वारा किये गये अथक प्रयासों और कठिन परिश्रम को नही देखते। यह सच है कि जिसका luck अच्छा हो उसे success मिलती है किन्तु यह अधुरा सच है क्योकि luck भी उसी का साथ देता है जिसने पूरी लगन व् परिश्रम से प्रयास किया हो। life में मेहनत से ही success प्राप्त होती है। हमे जिन्दगी में स्वतः ही कुछ भी नही मिल जाता उसके लिए लक्ष्य बनाकर कड़ी मेहनत और प्रयास करने पड़ते है।

मेहनत से ही सब कुछ संभव है। तभी तो भगवद्गीता में कहा गया है कि – work is worship. प्रयत्न करने से ही success मिलती है। बैठे बिठाये success की कामना करने से तो luck भी बैठ जाता है। success की story वे लोग लिखते है जिनमे ऐसा करने का हिम्मत होती है और जो अपने life को success बनाना चाहते है। success पाने के लिए आलस्य त्याग कर कठिन परिश्रम पड़ता है।

अधिकतर लोग success person को देखकर यह सोचने लगते है कि काश हमे भी इसी प्रकार success प्राप्त हो जाये। अवश्य ही आप भी वैसे ही success हो सकते है किन्तु उसके लिए जरूरी है लक्ष्य निर्धारण की, तदुपरांत कार्ययोजना तैयार करने की और उस कार्ययोजना के अनुरूप प्रयास करने की, यदि आप के द्वारा बनाई गई कार्ययोजना सही है और आपने पुरे मन व् लगन के साथ परिश्रम किया है तो ऐसा हो ही नही सकता है कि आप अपने लक्ष्य में success न हो और इस स्थिति में आपको अपने भाग्य के साथ की भी आवश्यकता नही होगी क्योकि positive माहौल में सब अच्छा ही होता है।

एक बात सदैव ध्यान में रखे कि मेहनत का कोई अन्य option नही है, न ही कभी था और न ही कभी होगा। success के लिए आपको स्वयं ही प्रयास करने होगे कोई और आपके लिए प्रयास नही करेगा। आप स्व:-अवलोकन करे तो शायद आप यह जान पायेगे कि आपकी ताकत और कमजोरिया क्या है। ऐसा करने से आपको मालुम होगा कि success प्राप्त करने के लिए जिन आसान चीजो को आप बाहर खोज रहे थे वे तो आपके भीतर ही है और इन्ही गुणों की सहायता से आप success प्राप्त कर सकते है। ऐसा करने से आप अपनी ताकत को अपनी कमजोरिया से पार पाने में अपनी ढाल बना पायेगे।    

Saturday, September 26, 2015

जोड़ो और मांसपेशियों का बढ़ता Pain




देश में life style से जुडी बीमारिया मधुमेह, रक्तचाप, दिल के रोग आदि बढ़ रहे है, लेकिन एक बीमारी है, जो तेजी से अपने पैर पसार रही है। खेद की बात ये है कि इसकी और नीति-निर्माताओ का ध्यान भी कम है। यह रोग है मांसपेशियों एवं जोड़ो में pain से जुड़ा गठिया या orthotist. इसमे मांसपेशिया एवं जोड़ो में pain, सूजन, लालिमा पैदा होती है। इसके रोगी को उठने-बैठने, चलने-फिरने,झुकने या किसी खास किस्म का work करने में तकलीफ होती है। इसे rheumatism या गठिया कहते है। गठिया की बीमारी करीब दो सौ किस्म की होती है। कई बार कई किस्म के fever या कभी-कभी  मांसपेशियों के दबने या उन पर दबाव या उन पर दबाव पड़ने की वजह से भी मांसपेशियों व् जोड़ो में pain होता है। मोटे तौर पर सुबह उठने के बाद आधे घंटे के भीतर body की जकडन दूर नही हो रही है तो यह गठिया के लक्षण हो सकते है।

गठिया क्यों बढ़ रहा है?

इसके लिए पर्यावरण से जुड़े कारण सबसे ज्यादा जिम्मेदार होते है। study बताते है कि जहा pollution की problem ज्यादा गंभीर है, वहा गठिया ज्यादा हो रहा है। orthotist आंतो में संक्रमण की वजह से भी होता है, जिसकी वजह दूषित खान-पान हो सकता है।

नये study से ज्ञात होता है कि life style भी इस बीमारी को बढ़ा रही है। ज्यादा खाने-पीने के कारण मोटापे के चपेट में आने, एक स्थिति में ज्यादा देर तक बैठने, computer पर long time तक work करने, कंधे व् गर्दन के बीच mobile दबा कर लम्बे समय तक बात करने जैसी position से भी मांसपेशियों एवं जोड़ो का pain होता है। हालाकि यह गठिया नही है, लेकिन इसके effect गठिया जैसे ही महसूस होते है। दुसरे ज्यादा age वाले में ही नही, child और young में भी गठिया हो रहा है।

Pollution बड़ा कारण

गठिया को लेकर हमने AIMS की OPD में आने वाले 300 मरीजो के आकडे जुटाए है। आरम्भिक जाँच में यह पाया गया है कि जब Delhi में pm-2.5 की मात्रा air में ज्यादा पाई गयी, तब गठिया के रोगी ज्यादा सामने आये। ऐसे मरीजो के आकडे collect किये गये, जिससे यह बात सामने आती है कि जब air में pm-2.5 ज्यादा मात्रा में घुल जाते है तो यह सांस लेने के साथ body में प्रवेश कर जाते है। blood के साथ ये body के सभी अंगो में पहुचते है। इसी प्रकिया में pm-2.5 की मात्रा जोड़ो के इर्द-गिर्द कोशिकाओ में blood एवं oxygen के प्रवाह को बाधित करती है।

सही जाँच जरूरी

मांसपेशियों एवं जोड़ो में pain की शिकायत आज आम बात हो गई है। city में यह position ज्यादा गंभीर है, जहाँ शारीरिक गतिविधियाँ लोगो में कम है। इसलिए सही जाँच जरूरी है। इसके लिए हड्डी रोग विशेषज्ञ की बजाय गठिया रोग विशेषज्ञ के पास जाए। दुसरे बिना जाँच के गठिया या orthotist का medicine का सेवन नही करना चाहिए। इससे medicine के दुष्प्रभाव हो सकते है। steroid वाली medicine का तो सेवन कतई नही किया जाना चाहिए।

जरूरी है सही जाँच

बीमारी का गलत इलाज ज्यादा घातक हो सकता है। हाल में एक person पीठ की pain की complain के साथ पहुचे। उन्हें doctor ने slip disk बताकर operation की advice दे डाली। वह second opinion के लिए आये थे। जाँच में पाया गया कि यह slip disk का मामला नही था और न ही गठिया का। उन्हें सिर्फ back pain की शिकायत थी। वह हवाई यात्रा व् computer work ज्यादा कर रहे थे, जिससे एक position में बैठने के कारण यह बीमारी हुई। उन्हें कुछ exercise बताया गया और हवाई जहाज में बैठते समय सावधानिया बरतने को कहा। six-seven month बाद जब वे दुबारा आये तो problem खत्म हो गयी थी
दूसरा, एक 23 years woman हाथो में orthotist की problem लेकर आई। वह orthotist की medicine ले रही थी। लेकिन हमने जब report देखी तो उन्हें orthotist नही था, बल्कि liver में कुछ problem थी, पर orthotist की medicine देने के बाद उन्हें पीलिया ने पकड़ लिया था। एक अन्य मामले में एक 63 years woman नसों में सूजन के orthotist से पीड़ित थी, जिससे उनके मुँह से blood आ रहा था, पर doctor टीबी की medicine दे रहे थे।

सिर्फ जाँच ही काफी नही

यह देखा गया है कि अक्सर लोग ईएसआर, सीआरपी जैसे test positive निकलने निकलने पर उसे गठिया मान लेते है। यह सही नही है। यह body में सिर्फ सूजन व् संक्रमण दर्शाते है। यह हमेशा गठिया का पैमाना नही होता। इसी प्रकार रूमैटाइड फैक्टर (RF) anti nuclear antibodies(ANA) के positive निकलने का मतलब भी गठिया संक्रमण जरूरी नही है। five percentage healthy लोगो में भी यह test positive निकलते है।

इलाज की सुविधाओ की कमी

देश में 7 से 18 फीसदी आबादी के गठिया या मांसपेशियों से जुडी बीमारियों से ग्रस्त होने का अनुमान है, लेकिन इलाज की सुविधाए बेहद कम है। रुमैतालाजिस्ट की देश में सिर्फ 15 post graduate seat है। देश में आधा दर्जन hospital में ही रूमैटालाजी विभाग है। इसे गैर संचारी रोगों की श्रेणी में भी नही रखा गया है, इसलिए सरकारी नीतियों में इस बीमारी पर खास जोर नही है।

कुछ तथ्य

1-  यह नवजात शिशुओ से लेकर वृद्दो में पाया जाता है। माँ से बच्चे में भी आ सकता है।

2-  women अधिक शिकार है। ताजा शोध बताते है कि युवाओ में भी इसके मामले बढ़ रहे है।

3-  ओस्टियोओर्थाइटिस सबसे अधिक पाया जाने वाला गठिया है। गठिया होने पर रूमैटालाजिस्ट से सलाह ले, हड्डी रोग विशेषज्ञ से नही। यह medicine से ठीक होने वाली बीमारी है, शल्य क्रिया से नही।

4-  world में प्रतिवर्ष orthotist से सौ अरब dollar की क्षति होती है। करीब दस लाख लोग hospital में भर्ती होते है और पांच करोड़ लोग OPD में जाते है।

Exercise कर गठिया से बचे

हर person को मांसपेशियों, जोड़ो के दर्द से बचने के लिए तीन किस्म के exercise करने चाहिए।
 एक, गतिशीलता को बनाये रखने वाले exercise, जिससे जोड़ो की सामान्य position बनी रहे और उनमे जड़ता उत्पन्न न हो।

दुसरे, मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करने वाले exercise.

तीसरा, एरोबिक व्यायाम, जिससे heart में सही blood संचालन हो और weight भी control रहे, क्योकि रोगी का weight जितना कम होगा, गठिया का उपचार उतना ही आसान होगा।

medicine के साथ-साथ जोड़ो के exercise, शारीरिक क्रियाशीलता, मांशपेशियो के exercise या फिजियोथेरेपी गठिया के उपचार में भूमिका निभाते है। यह pain और जकडन को कम करने में सहायक सिद्द होते है। exercise से जोड़ो में लचीलापन और गतिशीलता आती है एवं मांशपेशियो को power मिलती है।
   

 

Saturday, September 19, 2015

Happiness का असली खजाना




हमारा country ही नही, पूरी world बदल रहा है। पुरानी संस्थानों के तौर तरीको वक्त के साथ पुराने पड़ चुके है। जो देश कभी तेजी से तरक्की की ओर कदम बढ़ा रहे थे, आज मंदी से जूझ रहे है। समाज में जिस तरह से हम गुजर-बसर करते आ रहे है, उसमे भी हमे नये सामंजस्य बिठाने पड़ रहे है। इस बदलाव को सहज भाव से अपनाने में हमारी काफी energy लग जाती है। लेकिन ये energy आएगी कैसे? जाहिर सी बात है अपनी ताकत बढ़ाकर। खुद को स्थापित करके ही हम अपनी स्थिति मजबूत कर सकते है। लेकिन यहाँ इस तथ्य पर विचार करना भी जरूरी है कि समाज में मान-सम्मान अल्पकालिक है या हमेशा के लिए साथ है?

ताकतवर होने के मायने

पारम्परिक सोच यह है कि ताकत बाह्रा power होती है। अगर person के पास money है, famous है,बड़े-बड़े बंगले या संपति है, तो माना जाता है कि वह बहुत ताकतवर है। हमेशा से दुनिया इसी ताकत को मानती आई है और आज भी इसमे कोई बदलाव नही आया है। ज्यादातर लोग इसी power को पाने की लालसा रखते है। लेकिन बाह्र power एक मायने में सीमित होती है। इसकी problem है कि यह लम्बे वक्त तक ख़ुशी नही दे पाती और न ही हमे बेहतर इंसान बना पाती। दुनिया की भी इससे किसी तरह की प्रगति नही होती।

अंदरूनी ताकत का दूरगामी प्रभाव

बाह्र power नही, पर एक power ऐसी है, जिसे अपनाने के लिए मै आपको प्रोत्साहित करूगा। उस पर गंभीरता से विचार करने के लिए कहूगा। यह power है हमारी अंदरूनी power. बाहरी power की तरह यह नजर भले ही न आती हो, लेकिन इसका प्रभाव दूरगामी होता है। दुनिया की हर महान शख्सियत इसी power के बल पर आगे बढ़ी है। उन्होंने हर मुश्किल का सामना डटकर किया और कभी अपने मार्ग से विचलित नही हुए। कुछ ऐसी ही हस्तियों का जिक्र करने जा रहा हो।
जब 
महात्मा गाँधी की मृत्यु हुई, तो अपने पीछे जो कुछेक चीजे वे छोड़ गये, उनमे था उनका चश्मा, दो जोड़ी चप्पले,एक चरखा,एक घड़ी और ऐसी ही कुछ सामान्य चीजे। लेकिन इन साधारण चीजो का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने जो असाधारण अंदरूनी power develop की थी, उसका कोई मुकाबला ही नही था। उनके personality ने कई पीढियों को प्रभावित किया। कुछ साल पहले मै मदर टेरेसा के कमरे में खड़ा था। वहाँ एक bed और desk के सिवाय और कुछ न था। लेकिन वहा खड़े होने पर एक मानसिक बल मिल रहा था। इसी से मुझे उनकी power का अहसास हो रहा था, जिसने करोड़ो लोगो को प्रभावित किया।

अभाव में भी बना मैराथन धावक

कुछ दिनों पहले मैंने केन्या के एक बच्चे के बारे में पढ़ा। गरीब घर के इस बच्चे का बचपन बिना चप्पल के गुजरा। किशोरावस्था में जाकर उसे जूते नसीब हुए। वह family के 11 बच्चो में से एक था। इन स्थितियों से उसके विषम हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन ऐसे हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन ऐसे हालात में भी उसमे दौड़ लगाने का जूनून था, अपने क्षेत्र में आगे बढने की ललक थी, अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का चाह थी। वह एक हफ्ते में 125 मील दौड़ता था, लेकिन दो जून की रोटी के लिए एक खदान में पत्थर तोड़ने का काम भी करता था। उसके पास और कुछ तो नही था, लेकिन power भरपूर थी-अन्त:करण की power.सालो बाद यही बच्चा ज्योफ्री मुटाई के नाम से दुनिया के सबसे तेज मैराथन धावको में हुआ। आज वह famous है और धनवान भी। अपनी power के बल पर ये चीजे उसे खुद-ब-खुद हासिल हो गयी। 

प्राप्त होती है पूर्णता

अंदरूनी power हम सभी में होती है, लेकिन कुछ लोग ही इसे पहचान पाते है। अगर प्रयास किये जाये तो हम सभी इसका इस्तेमाल कर खुद को बहुत मजबूत और प्रभावशाली बना सकते है। इसी से बल मिलता है एक सशक्त चरित्र के निर्माण का, सच्चाई की राह पर चलने का, सह्रदय होने का, अपने जीवन से उपर उठकर मूल्यों और सरोकार से जुड़ने का। यह power हासिल कर लेने में सबसे अच्छी बात यह होती है कि मन प्रफुल्लित हो उठता है। यही सही अर्थ में उन्नति है। इसे प्राप्त करने के बाद जब आप लोगो से रूबरू होते है तो वे आपसे प्रभावित हुए बिना नही रहते। आपसे मिलकर वे भी आपकी तरह उर्जावान बन जाते है।

यहा मै एक शानदार book ‘A Return Too Love’ की writer मरियन विलियमसन की कुछ line का उल्लेख करने जा रहा हो, हमारा सबसे बड़ा डर यह नही होता है कि हम सम्पूर्ण नही है, बल्कि यह होता है कि हम अपनी असीमित power को संभाल कैसे पायेगे। हमारे अंदर जो प्रकाश है, वही हमे डराता है न कि अँधेरा। कभी कभी हम खुद से यह सवाल पूछते है कि हम इतने बुद्दिमान, तेजस्वी और ओजपूर्ण आखिर किसलिए है? आखिर वह कौन सी चीज है, जिसके लिए हम नही बने है?... power का विस्तार न करने और खुद को सीमित रखने से दुनिया का भला नही होने वाला। जैसे-जैसे हमारे भीतर का अंधकार दूर होता है, वैसे-वैसे हम दूसरो को भी आगे बढने का रास्ता दिखाते है। जब हम अपने डर दूर कर लेते है, तो हमारी उपस्थिति मात्र से दुसरे खुद को राग-द्देष के बन्धनों से मुक्त महसूस करने लगते है।‘

personality को पूरी तरह से बदल देने वाली यह अंदरूनी power इस धरती पर रहने वाले हर इंसान के पास है। इससे जो ख़ुशी मिलती है, वह ताउम्र हमारे साथ रहती है, यही हमे पूर्णता का एहसास कराती है, उर्जावान बनाती है। इस power के साथ ही ऐसी दुनिया का निर्माण होता है, जिससे विद्दे, युद्द, अवनति जैसी negative emotional से दूर प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।
इस article के writer रॉबिन शर्मा famous leadership expert writer है। 


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   Tag: Thought   Success 
  

Thursday, September 17, 2015

Cover Letter : Copy-Paste से करे इंकार




आजकल बहुतेरे Bollywood निर्माता फिल्म के trailer से पहले उसका टीजर लांच कर देते है। एक प्रभावी टीजर दर्शको को सिनेमाघरों तक खीच भी लाता है। cover letter भी एक filmy टीजर कि तरह ही है। विशेषज्ञों की माने तो ज्यादातर लोग अपने CV पर तो ध्यान देते है, लेकिन cover letter की सामग्री को ‘copy-paste’ कर देते है। दरअसल cover letter हर बार परिस्थिति के हिसाब से पेश किया जाना चाहिए जैसे-

कई पदों के लिए

कई बार company एक साथ कई पदों के लिए विज्ञापन निकालती है। ऐसा भी होता है कि लोग एक से अधिक पदों के लिए आवेदन कर देते है। उनका मानना होता है कि किसी न किसी पद के लिए उनका selection हो ही जायेगा। अगर आपके सामने भी ऐसा ही परिस्थिति है तो आपको अलग-अलग cover letter लिखने से कोई फायदा नही होगा। जब इन्हे एक ही person दिखेगा तो अवश्य ही उसे खीझ होगी। बेहतर होगा कि आप एक ही cover letter बनाये और उसी में लिख दे कि आप उस company के कई पदों के लिए आवेदन करना चाहते है। ऐसा करते समय भी बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। यह ध्यान रखे कि आप एक ही तरह के पदों के लिए आवेदन करे। ऐसा न करने पर नियोक्ता को लगेगा कि आप job पाने के लिए बहुत आतुर है।

एक जैसे कई पदों के लिए

एक ही तरह के दो पदों के लिए cover letter की सामग्री अलग तरह से लिखी जानी चाहिए। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी पद में technical skill का experience चाहिए, तो उसमे आपको अपने technical knowledge के बारे में कुछ लिखना चाहिए। वही दूसरी तरफ अगर किसी पद में technical skill के साथ नेतृत्व के हुनर की भी जरूरत है, तो आप उसमे technical specialist भी दिखाए। यहा तक भी जरुर बताये कि इसमे पहले आपको technical स्टाफ को lead करने का अवसर कब मिला और आपके काम करने का तरीका क्या रहा।

जब company हो अलग

हर company का काम करने का तरीका अलग होता है, उसके कुछ खास customer होते है। ऐसे में दो अलग-अलग पदों के लिए आवेदन करने से पहले company के बारे में थोडा research करना चाहिए और cover letter में उसी के अनुरूप language का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करने से hiring manager को लगेगा कि आप company की जरुरतो को समझ सकते है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी company के product या service में आपको कुछ खामिया नजर आ रही हो, तो उन्हें आप कैसे दूर करेगे, यह idea आप एक line में दे सकते है।

Break के बाद वापसी

कई बार लोगो को विभिन्न कारणों के चलते job से ब्रेक लेना पड़ता है, जैसे pregnancy break या किसी बीमारी के चलते लिया जाने वाला break. इस break के चलते CV में भी अंतर दिखने लगता है। ऐसी स्थिति में अकसर आत्मविश्वास की कमी और हीन भावना से ग्रस्त हो जाते है। इससे वापसी करने में ये बाते हावी होने लगती है। यहा तक कि cover letter और CV में भी यह झलकती है। अगर आप भी ऐसी स्थिति में है, तो अपने CV और cover letter में इसे हावी न होने दे। खाली समय में किये गये कामो को दर्शाए, जैसे किसी अपने क्षेत्र से सम्बंधित blog के जरिये सक्रिय होना या freelance काम करना आदि। gap को लेकर शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नही है।

अवसर है या नही

हर company उम्मीदवारों के चयन के लिए advertise नही देती। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी company में hiring नही चल रही होती है, लेकिन योग्य उम्मीदवार मिलने पर उन्हें job पर रख लिया जाता है। अगर आपको किसी जानकार से पता लगता है कि किसी company में hiring चल रही है, पर उसने इसका कोई advertise नही दिया है, तो आपको सबसे पहले अपने स्रोतों के जरिये job व् पदों के साथ पता लगाये कि उस job के लिए company को किस तरह का उम्मीदवार चाहिए। इसके बाद अपने cover letter में उन्ही गुणों को खासतौर पर दिखाए। अगर यह पता न लग पाए कि यह letter किसे संबोधन से letter की शुरुआत कर सकते है। ‘टू हूम इट में कंसर्न’ लिखने से बचे। इस तरह के cover letter को cold contact cover letter कहते है।

पहली job है तो

यदि आपके पास cover letter में बताने के लिए कोई खास professional experience नही है, तो यह आपके सामने एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। इसके लिए एक ही कारगर उपाय है। आप साबित करे कि आप कैसे अपनी प्रतिभा से company के अनुभवी लोगो के साथ मिलकर काम कर सकते है। जिस job के लिए आप आवेदन कर रहे है उससे जुडी अपनी शैक्षणिक योग्यता और अनुभवो का विवरण दे सकते है। अगर उससे सम्बंधित कोई internship की है, तो उसके बारे में भी बता सकते है। साथ ही किसी summer course या training, वालंटियर program, workshop आदि के बारे में लिख सकते है। किसी ऐसे काम के बारे में भी लिख सकते है। किसी ऐसे काम के बारे में भी लिख सकते है, जिसमे अपनी नेतृत्व क्षमता प्रदर्शित करने का मौका मिला हो। 

कुछ जरूरी tips

1-  एक अच्छे cover letter की सामग्री एक page या उससे भी कम में होनी चाहिए। 

2-  cover letter हमेशा उसी प्रारूप में भेजे, जिसमे मांगा गया है।

3-  cover letter लिखने के बाद उसे अपने क्षेत्र से जुडी जानकार person को पढने के लिए जरुर दे।

4-  cover letter एक बार तैयार कर हर जगह उसी को भेजने से बचे।

Cover Letter में भी ये जरूरी

1-  जहा तक संभव हो cover letter का संबोधन स्वयं करे। रिक्त पद न होने पर भी आप cover letter कुछ ऐसा बनाये, जिससे पता चले कि किस job की तलाश कर रहे है। इससे मालुम होता है कि आप job को लेकर कितने संजीदा है।

2-  किसी भी simple से लगने वाले cover letter को नियोक्ता एक ही नजर में पहचान लेते है। भले ही आपकी विशेषज्ञता किसी खास क्षेत्र में हो, लेकिन industry की जरूरत के अनुसार अपने cover letter को तैयार करे। खास शब्दावली का इस्तेमाल कर नियोक्ता को बताये कि आप इसी company में क्यों काम करना चाहते है।

3-  company के advertise को ध्यान से देखे। उन खास keywords को अपने cover letter letter में जरुर शामिल करे, जिन्हें advertise में इस्तेमाल किया गया है। example सहित बताये कि आपका अनुभव व् योग्यता कैसे इस job से मेल खा रहे है।

4-  जितना possible हो cover letter को छोटा व् सरल रखे। यह न भूले कि आपके bio data में सभी important जानकारिया दी गई है। यह बस आपको इतना जरुर लिखना है कि नियोक्ता आपके bio data तक पहुचने के लिए मजबूर हो जाये।

5-  आखिर में thanks करने वाली line जरुर लिखे। इन छोटी छोटी बातो को काफी असर देखने को मिलता है। यह भी न भूले कि आप प्रतिक्रिया के इंतजार में है।

6-  नियोक्ता सिर्फ इसलिए candidate को अपनी सूचि से हटा देते है, क्योकि उन्हें cover letter जरूरत से अधिक लम्बा लगा।



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