Thursday, April 28, 2016

Success के लिए बढायें अपनी Performance

working capacity

business या job क्षेत्र का एक पुराना दस्तूर है कि हर कोई उसी घोड़े पर रेस लगाना चाहता है, जो तेज भागता है। office की स्थिति भी कमोबेश इसी तरह की होती है। boss अथवा senior उसी कर्मचारी पर अपना भरोसा जताते है या जिम्मेदारियां डालते है, जो हर काम बखूबी और समय से कर देता है। यानि उसकी कार्यक्षमता अधिक है। वही दूसरी ओर लेटलतीफ व् आलसी कर्मचारी लकीर के फकीर बने रहते है और तरक्की के नाम पर हर साल उन्हें मायूसी हाथ लगती है। career builder के तरफ से नौ देशो पर कराये गये एक सर्वे के अनुसार भारत में सबसे अधिक लोग(करीब 42%) देर से office जाने की वजह से बाहर का रास्ता देखते है। लेटलतीफ व् आलसी कर्मचारियों के खिलाफ कारवाई करने में भारत पहले स्थान पर है। इसके बाद ब्राजील का नंबर आता है। कार्यक्षमता का यह गुण जन्मजात नही होता, बल्कि इसे बढ़ाया या निखारा भी जा सकता है।

सहकर्मियों से बिठाएं तालमेल

office में आपके काम की गति तभी बढ़ेगी, जब सहकर्मियों के साथ आपका तालमेल ठीक हो। आप जो भी कदम उठाने जा रहे हो, उसके लिए boss की सहमति होनी चाहिए। साथ ही सहकर्मियों का परस्पर सहयोग भी जरूरी है, खासकर किसी teamwork में। इसका फायदा यह होगा कि आपके प्रयास में यदि कोई कमी भी रहेगी तो कई हाथ आपके सहयोग के लिए तैयार रहेगे। तालमेल बैठाने के लिए आपको सिर्फ अपने विचार न थोपकर सहकर्मियों की बातों को भी गंभीरतापूर्वक सुनना होगा। उनकी बातो में दम है तो स्वीकार करे और उन्हें सराहें।

Update रहे

लम्बी रेस का घोडा बनने के लिए जरूरी है कि आपको हर platform की सही जानकारी हो। समय-समय पर इन जानकारियों को update करते रहना भी जरूरी है। इसके लिए सभी संचार माध्यमो अथवा expert लोगो से जानकारी जुटानी होगी। ऐसे मौके पर जब आपको किसी खास project को पूरा करने की जिम्मेदारी मिली हो, अपना network बनाकर रखे। professional के साथ contact बढ़ाने से नये अवसरों की जानकारी मिलती रहेगी, जो आपको नई तकनीक और career में आगे बढने के रास्ते सुझा सकते है।

Planning

आप जो भी काम शुरू करने जा रहे है, उसकी पहले planning करें। उसके negative व् positive बिन्दुओ को जानने की कोशिश करे। प्लान बनाते समय अपने लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से लिखे। यह आपको लीक से भटकने नही देगा और आगे बढने में पूरी मदद करेगा। सौपे गये कार्यो की एक सूची बनाकर अपने डेस्क पर सही जगह चिपका कर रखे। mobile phone में reminder भी लगा सकते है। काम को पूरा करने से कही ज्यादा जरूरी है कि उसे तय समय में पूरा करना।

Problem नही, Solution बताएं

आप जो भी काम करते है, उसमे problem जरुर आती है हर वक्त इन problem का रोना रोने से आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है और आप किसी निष्कर्ष तक नही पहुंच पाते। इसलिए अपने boss या सहकर्मियों से बातचीत में problem का solution निकालने की राह बताएं। धीरे-धीरे आप फैसला लेने की दिशा में मजबूत होगे। लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर अंतिम राय बनाने से पहले boss अथवा senior से राय-मशविरा जरुर करें।

नापसंद काम पहले करे

अपनी क्षमता बढ़ाने का सबसे अच्छा उपाय है कि आप office पहुंचने पर नापसंद काम सबसे पहले कर ले। इनको सबसे पहले पूरा करने से आप पुरे दिन tension free रहेगे। मन में यह संतुष्टि रहेगी कि सबसे ज्यादा खराब काम तो आप पहले ही पूरा कर चुके है। शेष काम भी आसानी से पूरा कर सकेगे, लेकिन ये तभी हो पायेगा जब आप काम शुरू करने से पहले पसंद व् नापसंद कार्यो की एक सूची तैयार करेगे। दोनों काम आपको ही करने है।

आलोचनाओं को करे दरकिनार

success व् unsuccess एक ही सिक्के के दो पहलू है। कुछ मौको पर आप सफल रहते है, जबकि कई बार आप निष्ठापूर्वक कोई काम करते हुए भी असफल हो जाते है, फैसले पर ऊँगली उठती है और कमियां निकाली जाती है। आप इन पर ध्यान न देते हुए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करे। आलोचनाएँ यदि सही है तो उन्हें स्वीकार करे और उनको एक चुनौती के रूप में अपनी कार्यक्षमता को इस कदर बढायें कि अगली बार आपको सफल होने से कोई न रोक पाए।

Negative चीजो से दूर रहे

negative व् hopeless सोच संक्रामक होती है। यह इंसान को आगे नही बढने देती है। आपके आसपास भी ऐसे लोगो की लम्बी जमात होगी, जो हर वक्त job के स्वरूप और office की policy आदि को लेकर टिप्पणी करते रहते है या उन्हें कोसते रहते है। ये सारी बातें negative लाती है और काम में रूकावट पैदा करती है। इसलिए ऐसे लोगो से दूरी बनाकर रखे। आपको यदि अपनी job या company से कोई complain है तो boss, HR department या उचित forum पर उसकी complain करे। आपस में बैठकर इस पर समय खर्च करने से न तो आपका कोई भला होने वाला और न ही company की सेहत पर कोई असर पड़ेगा।

आज की काम कल पर न टाले

कनाडा की कार्लटन university में हुए एक research के आधार पर यह बात सामने आई कि हमारा brain तत्काल इनाम या फल मिलने वाली चीजो का ही चयन करता है। बहुत जरूरी होने पर भी हम जूझने वाले या मुश्किल काम अगले दिन के लिए टालते रहते है। यह जानते हुए भी इसे बाद में करने से खासा नुकसान होने वाला है। अपनी इस आदत से मजबूर हम अक्सर अपना काम इस सोच के साथ अधुरा छोड़ देते है कि इसे कल या उचित समय पर पूरा करेगे, लेकिन कल या तो हमारी प्राथमिकतायें बदल जाती है या हम उसे भूल जाते है। इसलिए सभी काम उसी के उसी दिन निपट जाएँ तो ही अच्छा है।

दूसरो पर दोषारोपण ठीक नही

यह इंसानी फितरत है कि किसी काम में असफल रहने पर अक्सर हम उसकी जिम्मेदारी दूसरो पर डाल देते है, जबकि सफल रहने पर उसकी पूरी वाहवाही खुद लूट ले जाते है। यदि आप team leader की भूमिका में है तो आपको सफलता-असफलता दोनों की जिम्मेदारी स्वयं लेनी होगी। कोई काम यदि बिगड़ता है तो आपको आत्ममंथन करना चाहिए, न कि दोषारोपण। किसी और पर दोष मढ़ देने से हो सकता है कि फौरी तौर पर आपको कुछ राहत मिल जाए, लेकिन इससे आपकी कार्यक्षमता में कोई सुधार नही होगा। उल्टे आप सहकर्मियों के निशाने पर आते जाये।




                               work Place में इन गलतियों से बचे




Sunday, April 24, 2016

Understanding of Talents

Famous IT company के CEO रिचर्ड हैमिंग, अपनी company के बड़े से conference room में अकेले बैठे थे। office में दिन बीतने के बाद जब सब चले जाते तो रिचर्ड यही आकर बैठते। अपने लिए coffee बनाते और अपनी problem पर विचार करते।

आज problem उनके personal life से जुडी थी। वे एक software engineer थे। विशाल सम्पति के मालिक, जहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की थी। अब वे रिटायर होने वाले थे। उन्हें अपने बेटे ब्रूस को उत्तराधिकारी बनाना था। यही problem थी। ब्रूस में उन्हें हमेशा एक साधारण प्रतिभा वाला युवक नजर आता, कुशल उधमी नही।

रिचर्ड, सुबह पत्नी के साथ हुई बातचीत याद करने लगे। जैनी, पत्नी के साथ उनकी दोस्त और विश्वनीय सलाहकार भी थी। वे उन पर बहुत विश्वास करते थे।ये तुम्हारी ही गलती थी रिचर्ड’, चाय का कप देते हुए वह बोली।जब भी वह कुछ करता, तो तुम उसकी बहुत तारीफ़ करते। भले ही वह काम बिलकुल साधारण होता। तुमने ही उसे कम बेहतर चीजो में संतुष्ट होना सिखाया। अब तुम कह रहे हो कि वह साधारण प्रतिभा वाला लड़का है।

रिचर्ड ब्रूस को बहुत प्यार करते थे। वे चाहते थे कि ब्रूस होशियार बने, पर वह नही बन पाया। पूरी मेहनत करने के बावजूद उसके ग्रेड्स सामान्य ही रहते। वह सोच रहे थे कि क्या अपने बेटे की पहली पेंटिंग को देखकर यह कहना गलत था कि वह बहुत अच्छी है? क्या उन्हें उसे और अच्छी बनाने के लिए कहना चाहिए था? क्या बच्चे का दिल तोडना सही है? खैर...रिचर्ड की problem फ़िलहाल यह थी कि ब्रूस को कैसे समझाये कि वह company का उत्तराधिकारी नही बन सकता।
रिचर्ड ने सीढियों से ब्रूस के आने की आवाज सुनी।

‘hello dad’, कमरे में प्रवेश करते ही ब्रूस ने बहुत खुश होकर कहा। रिचर्ड ने उसे गले लगाकर अपने पास बैठाया। ब्रूस के चेहरे की हंसी को देखकर रिचर्ड को अपना काम और मुश्किल लग रहा था।

ब्रूस! क्या तुम कल रेस देखने गये?’ रिचर्ड ने पूछा।

नही, मै जेनेवा डील पर काम कर रहा था, इसलिए नही जा पाया।ब्रूस के चेहरे पर सहज मुस्कान थी।

रिचर्ड ने कहा,’ ब्रूस मुझे जल्द ही company का नया उत्तराधिकारी चुनना है। मै तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ, पर company के अच्छे future के लिए मुझे लगता है कि क्लाइव फोर्ड बेहतर विकल्प होगे।

और मै नही?’ रिचर्ड ने वाक्य पूरा कर दिया। ब्रूस अभी भी मुस्करा रहा था। रिचर्ड ने एक निराशाभरी हामी भर दी।

तो क्या मै अपना समय रेसिंग को दे सकता हूँ? मर्सीडीज वाले अभी चाहते है कि मै उनके लिए F-1 team में भाग लूं। ब्रूस के चेहरे पर ख़ुशी थी। रिचर्ड हैरान थे।क्या तुम्हे इस बड़ी company के CEO बनने में कोई दिलचस्पी नही है?’

पापा मै आपकी ख़ुशी के लिए यह काम करता। अगर आपके दिमाग में कोई दूसरा person है तो मै अब अपने सपने को पूरा करना चाहूँगा।ब्रूस ने बड़े प्यार से कहा।

रिचर्ड ने बेटे को गले लगाया और ब्रूस के जाने के बाद जैनी को फोन लगाया। कहां कि ब्रूस के पास तो F-1 रेसिंग में career बनाने का विकल्प तैयार है।

जैनी ने कहा,’ हां उसे शुरू से रेसिंग में दिलचस्पी थी। पर मुझे लगा ही नही कि यह कोई career है।रिचर्ड कुछ देर बाद धीरे से बोले,’आज मैंने एक नई चीज सीखी है। कोई साधारण प्रतिभा का नही होता। साधारण केवल किसी व्यक्ति व् उसकी प्रतिभा को आंकने वाली हमारी समझ होती है।





Friday, April 22, 2016

World Earth Day 22 April

Earth Day


हर साल 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के प्रणेता अमरीकी सिनेटर गेलार्ड नेलसन हैं। गेलार्ड नेलसन ने, सबसे पहले, अमरीकी औद्योगिक विकास के कारण हो रहे पर्यावरणीय दुष्परिणामों पर अमेरिका का ध्यान आकर्षित किया था। 


इसके लिये उन्होंने अमरीकी समाज को संगठित किया, विरोध प्रदर्शन एवं जनआन्दोलनों के लिये प्लेटफार्म उपलब्ध कराया। वे लोग जो सान्टा बारबरा तेल रिसाव, प्रदूषण फैलाती फैक्ट्ररियों और पावर प्लांटों, अनुपचारित सीवर, नगरीय कचरे तथा खदानों से निकले बेकार मलबे के जहरीले ढ़ेर, कीटनाशकों, जैवविविधता की हानि तथा विलुप्त होती प्रजातियों के लिये अरसे से संघर्ष कर रहे थे, उन सब के लिये यह जीवनदायी हवा के झोंके के समान था। 


वे सब उपर्युक्त अभियान से जुड़े। देखते-देखते पर्यावरण चेतना का स्वस्फूर्त अभियान पूरे अमेरिका में फैल गया। दो करोड़ से अधिक लोग आन्दोलन से जुड़े। ग़ौरतलब है, सन् 1970 से प्रारम्भ हुए इस दिवस को आज पूरी दुनिया के 192 से अधिक देशों के 10 करोड़ से अधिक लोग मनाते हैं। प्रबुद्ध समाज, स्वैच्छिक संगठन, पर्यावरणप्रेमी और सरकार इसमें भागीदारी करती हैं।


बहुत से लोग पर्यावरणीय चेतना से जुड़े पृथ्वी दिवस को अमेरिका की देन मानते हैं। ग़ौरतलब है कि अमरीकी सिनेटर गेलार्ड नेलसन के प्रयासों के बहुत साल पहले महात्मा गाँधी ने भारतवासियों से आधुनिक तकनीकों का अन्धानुकरण करने के विरुद्ध सचेत किया था। गाँधीजी मानते थे कि पृथ्वी, वायु, जल तथा भूमि हमारे पूर्वजों से मिली सम्पत्ति नहीं है। वे हमारे बच्चों तथा आगामी पीढ़ियों की धरोहरें हैं। हम उनके ट्रस्टी भर हैं। हमें वे जैसी मिली हैं उन्हें उसी रूप में भावी पीढ़ी को सौंपना होगा।


गाँधी जी का यह भी मानना था कि पृथ्वी लोगों की आवश्यकता की पूर्ति के लिये पर्याप्त है किन्तु लालच की पूर्ति के लिये नहीं। गाँधी जी का मानना था कि विकास के त्रुटिपूर्ण ढाँचे को अपनाने से असन्तुलित विकास पनपता है। यदि असन्तुलित विकास को अपनाया गया तो धरती के समूचे प्राकृतिक संसाधन नष्ट हो जाएँगे। वह जीवन के समाप्त होने तथा महाप्रलय का दिन होगा।


गाँधीजी ने बरसों पहले भारत को विकास के त्रुटिपूर्ण ढाँचे को अपनाने के विरुद्ध सचेत किया था। उनका सोचना था कि औद्योगिकीकरण सम्पूर्ण मानव जाति के लिये अभिशाप है। इसे अपनाने से लाखों लोग बेरोजगार होंगे। प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होगी। बड़े उद्योगपति कभी भी लाखों बेरोजगार लोगों को काम नहीं दे सकते। गाँधी जी मानते थे कि औद्योगिकीकरण का मुख्य उद्देश्य अपने मालिकों के लिये धन कमाना है। 


आधुनिक विकास के कारण होने वाली पर्यावरणीय हानि की कई बार क्षतिपूर्ति सम्भव नहीं होगी। उनका उपरोक्त कथन उस दौर में सामने आया था जब सम्पूर्ण वैज्ञानिक जगत, सरकारें तथा समाज पर्यावरण के धरती पर पड़ने वाले सम्भावित कुप्रभावों से पूरी तरह अनजान था। वे मानते थे कि गरीबी और प्रदूषण का गहरा सम्बन्ध है। वे एक दूसरे के पोषक हैं। गरीबी हटाने के लिये प्रदूषण मुक्त समाज और देश गढ़ना होगा। 


गाँधी जी का उक्त कथन पृथ्वी दिवस पर न केवल भारत अपितु पूरी दुनिया को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। वह विकास की मौजूदा परिभाषा को संस्कारित कर लालच, अपराध, शोषण जैसी अनेक बुराईओं से मुक्त कर संसाधनों के असीमित दोहन और अन्तहीन लालच पर रोक लगाने की सीख देता है। वह पूरी दुनिया तथा पृथ्वी दिवस मनाने वालों के लिये लाइट हाउस की तरह है।


पृथ्वी दिवस की कल्पना में हम उस दुनिया का ख्वाब साकार होना देखते हैं जिसमें दुनिया भर का हवा का पानी प्रदूषण मुक्त होगा। समाज स्वस्थ और खुशहाल होगा। नदियाँ अस्मिता बहाली के लिये मोहताज नहीं होगी। धरती रहने के काबिल होगी। मिट्टी, बीमारियाँ नहीं वरन सोना उगलेगी। सारी दुनिया के समाज के लिये पृथ्वी दिवस रस्म अदायगी का नहीं अपितु उपलब्धियों का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने तथा आने वाली पीढ़ियों के लिये सुजलाम सुफलाम शस्य श्यामलाम धरती सौंपने का दस्तावेज़ होगा।

आज दुनिया भर में हर साल 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस अब महज औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं बचा! 

पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी हैं। धरती को बचाने का आशय है इसकी रक्षा के लिए पहल करना। न तो इसे लेकर कभी सामाजिक जागरूकता दिखाई गई और न राजनीतिक स्तर पर कभी कोई ठोस पहल की गई। दरअसल पृथ्वी एक बहुत व्यापक शब्द है, इसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी शामिल हैं।

धरती को बचाने का आशय है इन सभी की रक्षा के लिए पहल करना। लेकिन इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, क्या यह उचित है? हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए। 

जब पूरी दुनिया 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाती है, अमेरिका में इसे वृक्ष दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहले पूरी दुनिया में साल में दो दिन (21 मार्च और 22 अप्रैल) पृथ्वी दिवस मनाया जाता था। लेकिन 1970 से 22 अप्रैल को मनाया जाना तय किया गया। 


21 मार्च को मनाए जाने वाले 'इंटरनेशनल अर्थ डे' को संयुक्त राष्ट्र का समर्थन है, पर इसका महत्व वैज्ञानिक तथा पर्यावरणीय ज्यादा है। इसे उत्तरी गोलार्ध के वसंत तथा दक्षिणी गोलार्ध के पतझ़ड़ के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है। 22 अप्रैल को ही विश्व पृथ्वी दिवस मनाए जाने के पीछे अमेरिकी सीनेटर गेलार्ड नेल्सन रहे हैं। वे पर्यावरण को लेकर चिंतित रहते थे और लोगों में जागरूकता जगाने के लिए कोई राह बनाने के प्रयास करते रहते थे। 


इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पृथ्वी दिवस को लेकर देश और दुनिया में जागरूकता का भारी अभाव है! सामाजिक या राजनीतिक दोनों ही स्तर पर इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाते। कुछ पर्यावरण प्रेमी अपने स्तर पर कोशिश करते रहे हैं, किंतु यह किसी एक व्यक्ति, संस्था या समाज की चिंता तक सीमित विषय नहीं होना चाहिए! सभी को इसमें कुछ न कुछ आहुति देना पड़ेगी तभी बात बनेगी। 


पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते, तो कम से कम इतना तो करें कि पॉलिथीन के उपयोग को नकारें, कागज का इस्तेमाल कम करें और रिसाइकल प्रक्रिया को बढ़ावा दें! क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री रिसाइकल होगी, उतना ही पृथ्वी का कचरा कम होगा।

Thursday, April 21, 2016

क्या आप जरूरत से ज्यादा Good Person है?


कैसे लगता है जब किसी ने बहुत अच्छा कह कर हमारा इस्तेमाल कर लिया हो! तब ठग लिए जाने का एहसास हमे तोड़ देता है । अपनी ही भलमनसाहत पर भरोसा उठने लगता है। हम झुंझलाते है, गुस्सा होते है कि आखिर क्यों इस्तेमाल हो जाते है? उस हाल में क्या वाकई हमे फिर से सोचने की जरूरत होती है?

हर किसी का अपना स्वभाव होता है, जिसको बदलना आसान नही होता। अगर स्वभाव अच्छा है, तो बदलने की जरूरत भी क्या है? आखिर मदद करना, तमीज से पेश आना, आभार व्यक्त करना या फिर किसी को धोखा न देना वगैरह अच्छे गुण ही तो है। पर problem तब आ खड़ीं होती है, जब आपकी यह अच्छाई आपको ही दुखी करने लगती है। जिन्हें आप अपना समझते है, वे आपसे अपने काम करवाते है, मजाक उड़ाते है और हर बार नुकसान भी आपका ही होता है। अफ़्रीकी अश्वेत लेखिका माया एंजेलो कहती है,’ सब चीजो पर control हो यह जरूरी नही, पर यह चुनाव जरुर कर सकते है कि आपका सम्मान भी कम न हो।‘

आप भी ईमानदार रहे

‘जैसे को तैसा’ का व्यवहार करना आपका स्वभाव नही है, अच्छी बात है। लेकिन खुद को पीड़ित मानसिकता का शिकार बनाये रखना भी सही नही है। हर बार खुद को रोते हुए पाना या दूसरो से complain करने से problem का हल नही होता। खुद को इसके लिए तैयार करे कि आप शांति से अपनी बात रख सके। आप भलाई करना न छोड़े, पर आपका नुकसान भी न हो।

टाइनीबुद्दाडॉटकॉम की संस्थापक लॉरी डेशने कहती है,’यह देखना भी जरूरी होता है कि कही आपमें दूसरो का फायदा उठाने का लोभ तो नही? पहले आप ईमानदारी बरते। खुद को समझे। खुद को न जानने पर या तो आप हर चीज को स्वीकार करने लगते है और या फिर थके-थके उदासीन या क्रोधित रहने लगते है।‘

खुद को कमजोर न समझे

life coach ऐड. हरजोग कहते है, ‘अगर लोग आसानी से आपको इस्तेमाल कर लेते है, तो क्यों? ये इस ओर भी इशारा है कि आप खुद को कमजोर मानते है। यह सोचते है कि आप स्थितियों को बदल नही सकते। जबकि यह सच नही होता। थोड़ी सी मजबूती और समझदारी से आप बेहतर व्यवहार कर सकेगे।‘

इन्हें अपनाये

1-  अपने कामों की योजना बनाएं। important कामों को करने से पहले उनके फायदे और नुकसान के बारे में पहले से सोच ले। सही फैसला लेने में मदद मिलेगी।

2-  बातचीत में तुरंत धैर्य न खोएं। अपने हक की बात करे। गुस्से में बोलने से यह सुनिश्चित नही होता कि आप जो चाहते है, वह आपको मिल ही जाए।

3-  दूसरो पर निर्भरता कम करने का प्रयास करे। आसान रास्तो से अपने आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाने की बजाय कठिन रास्तो पर चलने का अभ्यास करे।

4-  अपने कामो की जिम्मेदारी लेते हुए दूसरो को माफ़ करे। मन शांत रखने के लिए नियमित ध्यान व् योग करे।

5-  लोगो से अपना व्यवहार बढाये। ऐसे लोगो की पहचान करे, जो हमेशा आपके साथ गलत व्यवहार कर रहे है। ऐसे लोगो से सीमित व्यवहार करे। अपने फैसले करना शुरू करे।

6-  यदि आपको कुछ पसंद नही है, तो उसे बदलने का प्रयास करे। यदि नही बदल सकते है, तो उस बारे में अपने सोचने के ढंग में बदलाव करे।

7-  अपनी प्राथमिकताये तय करे


8-  अपनी भावनाओ के लिए बहाने न बनाये। न खुद को हीन समझे और न दूसरो की शिकायत करे। 


                                 Bad Habits जो नही रहने देती Happy








Monday, April 18, 2016

Good habits to change bad habits

habit

अधिकतर लोगो के लिए अपनी किसी खराब habit को बदलना सबसे कठिन काम साबित होता है। लोग यह तो जानते है कि वे क्या बदलना चाहते है, लेकिन उसे बदलने के तरीके की जानकारी उन्हें नही होती। शायद आप भी उनसे इत्तेफाक रखते हों। भला क्यों हम अपनी टालमटोल की habit को खत्म नही कर पा रहे?
हम जो है, वो क्यों है और उसे कैसे बदले, इसके लिए बदलाव की प्रकिया को समझना भी बहुत जरूरी है। अपने life में बदलाव को अमल कर पाने का गुण दरअसल success की कुंजी होता है। होता यह है कि हमारा brain व्यहवार के कुछ विशेष तौर-तरीकों से बंध कर रह जाता है। इस पर यह डर सतत बना रहता है कि आप किसी भी वक्त अपने पुराने तौर-तरीको पर पहुंच जायेगे।

अच्छी खबर यह है कि neuroscience के ताजा research के अनुसार हमारा brain नये तंत्रिका सूत्रों को रच सकता है, जो यदि लम्बे समय तक exercise में रहते है, तो brain में जम जाते है। brain के विशेषज्ञ इस बात से इनकार करते है कि कोई लम्बे समय की habit 15 दिन में फटाफट बदली जा सकती है। उनका मानना है कि नये तंत्रिका सूत्रों को गढ़ने में छह से नौ महीने तक का समय लगता है। यानि कि habits बदलने का कोई ‘quick fix’ formula फ़िलहाल नही मिलने वाला।

बदलने के लिए तीन चीज़े

बदलाव चाहे मानसिक हो, शारीरिक या कि सांसारिक। तीन चीजें मददगार साबित होती है- आपकी इच्छा, आपकी लग्न और आपका उद्देश्य।

इसके लिए खुद को समझना और पूरी प्रकिया की समझ बनानी चाहिए। फिर उसके बाद शुरू करे। अपने life में positive बदलाव लाने से पहले कुछ बातों पर विचार जरुर कर ले-

बदलने की सच्ची चाहत

इसका कोई मतलब नही होगा यदि आप अपने carrier और पारिवारिक life में संतुलन लाने की बात तो करे, लेकिन सच में आपको उससे कोई फर्क ना पड़ता हो। खुद से मजाक ना करे। आप जो बदलाव लाना चाहते है, उसके प्रति serious बने, ताकि जब उस पर काम करे, तो उसे अंत तक पहुंचा सके।

Habit के पीछे की जरूरत

आपको जो habit है, वह किसी ना किसी कारण से होती है। वरना भला आप क्यों उसे पालते? मोटापा, काम में डूबे रहना या क्रोध करना। सोचिये कि क्या कुछ भी खाते रहने से आपको चैन मिलता है या कि पहचान बनानी है, इसलिए काम में डूबे रहते है। सबसे पहले अपनी habits के पीछे छिपी जरूरत को समझिये। जब जरूरत समझ में आ जाए, तो फिर उसे पूरा करने का दूसरा तरीका ढूँढना आसान होगा।

विकल्प क्या है?

अब जब अपनी जरूरत को समझ गये है, तो उसे पूरा करने के दूसरो तरीको पर भी ध्यान दीजिये। उदहारण के लिए cake, burger जैसी चीजे, जो health के लिए ठीक नही, उन्हें खाना आपके लिए test से कही ज्यादा खुद को एक break देना या खुद की परवाह करना हो सकता है। बिना इन्हे खाए ये break कैसे लिया जाए? संभवतः एक तरीका mediation हो सकता है, कही टहल आना हो सकता है, कुछ नही तो गुनगुने पानी से चैन से नहाना भी हो सकता है। इस तरह आप यह भी समझते है कि खुद की परवाह कर रहे है और कोई अपराधबोध भी नही होता।

ना बदलने की क्या कीमत चुकानी होगी?

बदलाव की राह पर चलने में भावनाए खट्टे-मीठे दौर से गुजरती है। अगर कमजोर पड़ने लगे, तो खुद से पूंछे कि अब तक ना बदलने की कीमत क्या चुकाते आ रहे है? अगर आपको promotion चाहिए, उसके लिए management की training चाहिए, पर डर के कारण अपने senior से यह नही कह पा रहे है, तो कीमत क्या चुका रहा है? क्या होगा अगर नही बद्लेगे, इन सब पर विचार करे। अपने वर्तमान व्यवहार के कारण आपके life में क्या-क्या negative effect बन रहे है, उसे लिखें। इसमे हीनता, बोरियत,एकरसता आदि कुछ भी हो सकता है। एक बार सच अपनी आँखों के सामने लिखा देख ले। फिर यह आगे की यात्रा की ideal शुरुआत बन जाएगा।

कौन सी अच्छाई आपको आगे ले जाएगी?

psychology और neuroscience के research से यह साबित हो चुका है कि जब आप किसी positive चीज को दिमाग में रखकर आगे बढ़ते है, तो ज्यादा success होते है। अपने खेल की सफलता की कल्पना करने वाले खिलाडी या कि किसी business presentation से पहले उसकी सफलता की कल्पना करके उसे प्रस्तुत करने वाले। ये सब success साबित होते है। science भी अब यह मानता है कि ये तरीका काम कर दिखाता है। इसलिए अपने प्रयास का जो भी positive नतीजा देखना चाहते है, उसे कल्पना में देखे। इसकी positivity आपको सफलता की ओर खीच ले जाएगी। इसे लिखकर जगह-जगह चिपका दे, रख दे। इस तरह आप उसे भूल नही पायेगे।

अपनी सफलता को पहचानिए

जब आप किसी राह पर प्रगति कर लेते है, तो उसे पहचानना भी जरूरी है। उस छोटी सी सफलता की ख़ुशी आपको बदलाव के लिए positive भावनाओ से भर देती है और आपके बदलने का decision और दृढ़ बनता है।



# ये article के writer ‘मेगन डी. केमिना’, जो लेखिका करियर व् क्रिएटिव स्ट्रेटेजिक है। professional life को अध्यात्मिक नियमो से जोडकर पेश करना उनका प्रिय subject है।





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Thursday, April 14, 2016

Kidney Stones(पथरी) से बचायेंगे छोटे-छोटे बदलाव

kidney stone

जब अपशिष्ट पदार्थ body से पेशाब के जरिये बाहर नही निकलते, तब वे kidney में ही collect होकर पथरी का रूप ले लेते है। कुछ बातों को समझ कर lifestyle में सुधार करना इससे बचने में help कर सकता है।

कई तरह के Kidney Stone होते है:

calcium oxalate, calcium phosphate, यूरिक एसिड, सिस्टेन और स्टूवाइट। इनमे calcium oxalate सबसे सामान्य है। कई बार kidney stones  के कण छोटे होते है, जो पेशाब के जरिये आसानी से बाहर निकल जाते है। problem इन कणों का आकार बढने से होती है। आनुवंशिक कारण, बार-बार यूरिन इन्फेक्शन या पेशाब नली के ब्लॉक होने से पथरी की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा पानी कम पीना, अस्वस्थ lifestyle व् कुछ medicine का असर भी पथरी की आशंका को बढ़ा सकता है।

नमक कम खाये

sodium अधिक खाने से kidney calcium का अधिक अवशोषण करने लगती है। इससे पेशाब में calcium की मात्रा बढ़ जाती है। sodium आमतौर पर नमक से मिलता है। ऐसे में diet में कम नमक लेना ही बेहतर रहता है। डिब्बाबंद खाध पदार्थ कम से कम खाएं। रेडी टू ईट, junk food और चायनीज फ़ूड में नमक की मात्रा अधिक होती है। भोजन में fresh जड़ी-बूटियों, मसालों,नीबू,लहसुन, अदरक और काली मिर्च आदि का इस्तेमाल करते हुए नमक की मात्रा कम रखे।

पशुजनित Protein ले कम

पशु उत्पादों में मौजूद protein में प्युरीन नामक तत्व होता है, जो पेशाब में यूरिक एसिड बढ़ाता है। खासतौर पर liver और brain के हिस्सों के meat में प्युरीन protein की मात्रा सबसे अधिक होती है। पशुजनित protein के अधिक सेवन से पेशाब से अधिक calcium निकलने लगता है और साइट्रेट की मात्रा कम हो जाती है। अगर calcium की stones की problem है तो food से calcium कम करने की जरूरत नही है। हां, calcium supplements अवश्य doctor की सलाह से ही ले। चुकन्दर,ब्रोकली, भिन्डी, पालक, शकरकंद, मेवे, black tea, टमाटर, chocolate, soybean उत्पाद आदि उच्च oxalate युक्त खाध पदार्थ कम मात्रा में खाएं। अगर vitamin-c supplements लेते है तो इसकी मात्रा 1000mg से कम होनी चाहिए। vitamin-c की अधिक मात्रा stones के खतरे को बढ़ाती है। अगर problem यूरिक एसिड की है तो red meat, अंग विशेष के meat और शेलफिश खाने से बचे। इनमे प्युरीन अधिक होता है। इनके लिए kidney को अधिक मेहनत करनी पडती है। जितना अधिक यूरिक एसिड होगा, यूरिन में ph कम हो जायेगा, जिसका आशय यह है कि पेशाब में acid अधिक होगा। पशुजनित protein कम खाए और अधिक मात्रा में fruits व् vegetable का सेवन करे, इससे पेशाब में acid की मात्रा कम होगी।

LifeStyle में बदलाव

किसी भी stones से बचने के लिए अलग-अलग तरह के पोषण और lifestyle को बदलने की जरूरत होती है। इसलिए पहले stones की पहचान करे।

1-   stones के जोखिम को कम करने के लिए जरूरी है कि पर्याप्त पानी पिए। कम से कम से कम दो से तीन लीटर पानी हर रोज पीये। अगर आप कम पानी पीते है तो हर रोज एक गिलास पानी अधिक पीने से शुरुआत करते हुए धीरे-धीरे अधिक पानी पीनी शुरू करे।

2-  कृत्रिम मिठास वाले पेय पदार्थ cold drinks,चाय व् कॉफ़ी का अधिक मात्रा में सेवन कतई अच्छा नही है। इससे stones होने की आशंका बढती है।

3-  पेशाब को लम्बे समय तक रोके नही। पसीने से निकलने वाले पानी का भी ध्यान रखे। यदि पसीना अधिक आता है तो पेशाब कम होगा। इससे पेशाब के जरिये बाहर निकलने वाले पदार्थो के kidney में जमा होने की आशंका बढ़ जाती है।



    
    




Monday, April 11, 2016

Nutrient तत्वों का न खत्म करे तत्व


हम क्या खाते है, यह जितना important है, उतना ही यह भी कि हम कैसे खाते है। यह देखना जरूरी है कि हम जो खा रहे है, वह body को मिल भी रहा है या नही। कही ऐसा तो नही कि fruits,vegetable के पोषक तत्व का एक बड़ा हिस्सा कूड़े के डिब्बे में जा रहा हो या फिर पकाने में नष्ट हो रहा हो।

आप क्या जानते है कि आलू व् प्याज लम्बे समय तक रखे रहने पर अपनी पोषकता खो देते है? खेत से निकाले जाने के दो महीने बाद आलू के 50% और 4 महीने बाद 80% vitamin नष्ट हो जाते है। पालक के तो कटाई के दो दिन बाद ही 80% vitamin नष्ट हो जाते है। इसी तरह fresh मटर को एक सप्ताह तक स्टोर करने पर उसका 77% vitamin-c नष्ट हो जाता है। और कटी हुई vegetable और fruits को फ्रिज में स्टोर करने पर उनके 10 से 15% पोषक तत्व नष्ट हो जाते है।

खान-पान से जुडी चीजो का पोषक कितना secure रहेगा, यह कई बातो पर depend करता है, जिसमे से कुछ पर हमारा control नही है। पर कितनी ही बातें ऐसी है, जिनका ध्यान रख कर हम अपने भोजन को पोषणयुक्त बना सकते है। कभी जानकारी के अभाव में तो कभी लापरवाही में हम खान-पान की चीजो के पोषण का एक बड़ा भाग हर रोज कूड़े में फेंक देते है। या फिर भोजन पकाने की गलत विधि उनके पोषक तत्वों को कम कर देती है। example के लिए चावल को उबालने के बाद हम उसका पानी फेंक देते है, जिसमे चावल का 25% vitamin-b होता है। चावल को हमेशा कम पानी में भाप में पकाकर खाना चाहिए। इसी तरह कुछ लोग अंडे को कच्चा खाते है, जबकि सच यह है कि अंडो को उबालकर खाने से iron और biotin की उपलब्धता बढ़ जाती है। बैक्टीरियम सालमोनेला के संक्रमण का खतरा भी कम होता है।

इसी तरह कुछ vegetable भी है, जिन्हें कच्चा खाने की जगह उबाल कर खाना उनकी पोषकता को बढ़ाता है। मसलन गाजर और टमाटर। जहा गाजर को उबाल कर खाने से उसके पोषक तत्व को अवशोषित करना आसान हो जाता है, वही पकाकर खाए गये टमाटर में कच्चे टमाटर के तुलना में लाइकोपिन बढ़ जाता है, जो anti-oxident का काम करता है और उसमे cancer प्रतिरोधी गुण भी होते है। आलू व् शकरकंद को भी साबुत सेंक कर या उबाल कर खाना चाहिए, इससे इनके 65% vitamin नष्ट होने से बच जाते है।

प्याज और लहसुन की बात करे तो इनमे मौजूद लाभकारी सल्फोऑक्साइड तभी active होता है, जब वह हवा से संपर्क में आता है। इसलिए उन्हें पकाने से दस minute पहले काटकर खुला रख ले। यह तत्व विभिन्न रोगों से बचाता है। कम ताप पर 30 minute तक प्याज और लहसुन पकाने से  भी उनमे सल्फोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है। इसी तरह साबुत अनाज को रात भर कम पानी में भिगोकर इस्तेमाल करे। कम आंच पर भाप में गलाए और कम तेल- मसालों में पकाए। इससे इनमे मौजूद फायटिक एसिड, जो हमारे लिए हानिकारक होता है, 50% तक कम हो जाता है। अंकुरण से भी अनाजो में इसका स्तर कम हो जाता है।

तेल हमारे खान-पान का एक जरूरी भाग है। तेल को ज्यादा देर तक गर्म न करे। 15 minute तक तेज गर्म करने से तेल के प्राकृतिक गुण नष्ट होने लगते है और trans fatty acid की मात्रा बढ़ जाती है, जो धमनियों में प्लाक बनने और heart रोगों की आंशका को बढ़ा सकता है।

भोजन पकाने की सही विधि

भाप में पकाना

भाप में भोजन को पकाना पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। fresh vegetable, चावल और दलिया को जहां तक संभव हो, कम पानी की भाप में पकाए। इसमे तेल की जरूरत नही होती, समय भी कम लगता है और पोषक तत्व भी सुरक्षित रहते है। इसी तरह कई vegetable जैसे बंदगोभी, फूलगोभी, ब्रोकली में cancer से लड़ने वाले तत्व होते है, जिन्हें अधिक पकाए जाने पर वे नष्ट होने लगते है। इन्हे कम भाप में पकाना ही उचित रहता है।

ग्रिलिंग:

इस विधि में घी या तेल का इस्तेमाल बहुत कम होता है। खाद्य पदार्थो का फ्लेवर व् टेक्सचर भी सुरक्षित रहता है।

स्टर फ्राइंग:

इसमे भी ग्रिलिंग के समान कम घी और तेल का उपयोग होता है। कम तेल के कारण खाध पदार्थ पैन में न चिपके, इसके लिए उसे लगातार धीरे-धीरे हिलाया जाता है या बीच-बीच में थोड़ा पानी छिड़का जाता है। इसमे खाध पदार्थो के पोषक तत्वों के साथ ही उनका रंग और फ्लेवर भी सुरक्षित रहता है।

भूनना (Roasting)

इस विधि में पोषक तत्व सुरक्षित रहते है और vegetable जल्दी और आसानी से पक जाती है।        roasting में भी घी और तेल का कम उपयोग होता है।

भोजन पकाने की विभिन्न विधियों में डीप फ्राइंग यानि घी या तेल में तलना सेहत को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। डीप फ्राइंग भोजन के अधिक सेवन से body में free radicals बनते है, जो skin के कसाव को कम करते है। वे body की कोशिकाओ और उतकों को भी नुकसान पहुंचाते है। तलने से तेल और vegetable में मौजूद anti-oxident सूख जाते है और ऑक्सीडेशन की प्रकिया  बढ़ जाती है। तेल को अधिक गर्म करने से उसमे HNE भी collect होने लगता है। HNE एक    विषैला पदार्थ है,जो stroke,LDL( हानिकारक colestral) की उच्च स्तर, अल्जाइमर्स, पार्किन्सन औरliver के खतरे की आंशका को बढ़ाता है। तलने के लिए इस्तेमाल किये तेल को दोबारा इस्तेमाल    करते समय तेज गर्म करने पर भी HNE की मात्रा बढती है। 

ऐसे बढाये पोषकता 

1-  हरी पत्तेदार vegetable को काटने से पहले धो ले। इनमे पाए जाने वाले vitamin और mineral पानी में घुलनशील होते है। ऐसे में काटने के बाद धोने से उनके पोषक तत्व व्यर्थ हो जाते है।

2-  खाना बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील या एल्युमीनियम के बर्तनों का ही प्रयोग करे। ताबे के  बर्तन में पकाने से vitamin-c,e और folic acid नष्ट हो जाते है।

3-  सरसों या जैतून के तेल में भोजन बनाये। इसमे पोषक तत्व संतुलित मात्रा में होते है। 

4-  ज्यादा भूने और तले हुए भोजन को खाने से बचे। भोजन को कम आंच में पकाए। 

Tags: Best Nutritive की सात अच्छी आदते    Veg Person रखे Nutriment का खास ध्यान

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Friday, April 8, 2016

Mutual Fund की नकल से बचें

mutual fund

बीते कुछ साल में share market ने बेहतर return दिया है। share में सीधे निवेश के अलावा mutual fund के माध्यम से भी निवेश करने का विकल्प है। माना जाता है कि सीधे निवेश की तुलना में इसमे थोड़ा कम जोखिम होता है क्योंकि इसमे fund management company के expert प्रबंधन करते है। लेकिन कई बार यह देखने को मिलता है कि निवेशक किसी share का चुनाव इसलिए कर लेते है क्योंकि उस company के share को किसी fund manager ने चुना है। ध्यान रहे कि share में निवेश करने की यह अवधारणा कई बार आपको नुकसान पहुंचा सकता है।

Purpose of Fund

mutual fund का प्रबंधन fund manager company एक विशेष expert की team की बदौलत करती है। उनका काम ही यही होता है कि लम्बी अवधि में benchmark से fund को कही आगे लेकर जाएँ। इस वजह से ऐसा हो सकता है कि लाभ के लिए fund के पुरे portfolio में ही दोहराव आ जाए। लेकिन इसमे बहुत समझदारी नही है क्योकि ऐसा करने पर आप यह परखने में जुट जाते है कि fund manager क्या सोच रहा होगा जो असंभव है। mutual fund के हर स्क्रीम के पीछे एक purpose होता है। example के लिए large cap equity fund अधिकांश तौर पर large cap वाले share में निवेश करते है। angel broking private limited के vice president वैभव अग्रवाल कहते है कि हर mutual fund की स्क्रीम, जो पैसे का का निवेश करते है वह किसी खास purpose और रणनीति के तहत होती है। fund manager हो सकता है कि एक या दो साल के अंदर ही share से बाहर चला जाए जबकि आपका purpose कह रहा हो कि नही, आप पांच और उससे अधिक साल तक निवेश जारी रखे। एक खास बात जिस पर ध्यान देना चाहिए कि mutual fund हमेशा share का चुनाव नही करते। mutual fund का किसी खास share में अधिक निवेश करने का यह मतलब नही है कि यह बहुत बेहतर चुनाव है।

प्रदर्शन का मुद्दा

mutual fund द्वारा चुने गये सभी share विजेता ही रहेगे यह सोचना गलत है। यह समझने के लिए mint ने 10 share चुने जिसमे MF ने निवेश कर रखा था, लेकिन जब परखा गया तो पाया कि 10 में से six share लंबी अवधि में प्रदर्शन से काफी नीचे थे। example के लिए SBI ने पांच साल में negative four percentage सालाना ही return दिया, जबकि BSE बैंकेक्स ने समान अवधि में 7.76 प्रतिशत का return दिया। दूसरा, शीर्ष 100 share जिसमे mutual fund ने निवेश किया उनमे हर 10 में से चार share पिछले 10 साल में बेहतर प्रदर्शन नही कर रहे। वेंदाता अपने आपमें में एक example है। इसके बीते पांच साल में सालाना negative (-24%) return दिया है, जबकि 146 स्क्रीम में कुल 957 करोड़ रूपये मूल्य की शेयरधारिता है।

सम्पति और अस्थिरता

अगर किसी institute द्वारा share में बड़ी राशि निवेश की जा रही है तो उसका हर important कदम share पर खास असर डालेगा। अग्रवाल कहते है कि उधोग जगत में अगर कोई उठा-पटक आती है तो ऐसे में संस्थागत निवेशक निवेश से बाहर निकलना शुरू हो सकते है। निवेशको में उल्टी प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है। ऐसा भी हो सकता है कि share में तेजी से सुधार आ जाए क्योकि संस्थागत शेयरधारिता अत्यधिक है। जानकारों का कहना है कि mutual fund जैसे संस्थान जब share की बिक्री करने लगते है तो कीमतों में तेजी से गिरावट आ सकती है। अगर वह बड़ी मात्रा में share बिक्री करते है तो कीमते और भी घट सकती है। hem securities के director गौरव जैन कहते है कि mutual fund की तरफ से इसका खुलासा करने के बाद खुदरा निवेशक ऐसी हलचल के बारे में जानने आते है।

आधिक प्रदर्शन का भय

mutual fund प्राय: खास क्षेत्र में निवेश करते है। mint द्वारा study किये गये mutual fund के 10 शीर्ष शेयरों में देखा गया कि पांच banking क्षेत्र से जुड़े है। खुदरा निवेशको के लिए यह important है कि वे सभी क्षेत्रो के शेयरों में निवेश करे क्योकि किसी खास क्षेत्र में किया निवेश लम्बी अवधि में बेहतर प्रदर्शन नही भी कर सकते है। यह परखना जरूरी है कि किस क्षेत्र का प्रदर्शन मध्यम से लेकर लम्बी अवधि में ठीक रहेगा।

सही Share का चुनाव

किसी भी company के share का चुनाव करते समय उसका कारोबार और आय की क्षमता पर जरुर गौर करे। मोतीलाल ओसवाल securities के vice president(equity advicer) योगेश मेहता कहते है कि किसी भी share का अगले दो से चार साल के लिए बेहतर प्रदर्शन का आकलन करे। इसके लिए company के कारोबार का study करे। इसके उत्पाद की मांग को परखे। न्यूनतम से मध्यम कीमत पर भी गौर करे। अगर आप खुद फैसले करने में खुद को सक्षम नही पाते है तो expert की राय लेने में संकोच न करे। उनके पास company से जुडी जानकारियां अधिक होती है जो खुदरा निवेशको के लिए आसान नही है।  हां, आप सबकुछ expert पर ही न छोड़े।





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