Wednesday, July 20, 2016

Asthma (दमा) की सही जाँच व् उपचार

asthma

दुनियाभर में हर 10 seconds में किसी एक व्यक्ति को दमा का attack पड़ता है। भारत में दमा पीड़ितों की संख्या 3 करोड़ से अधिक है। हालाकिं वास्तविक संख्या इससे कही अधिक है। मौजूदा विकल्पों की मदद से दमा पीड़ित सामान्य जीवन जी सकते है, पर कई भ्रांतियां अब भी पीछा कर रही है। दमा की क्या सही जाँच व् उपचार आये जानते है,

दमा के सम्बन्ध में खतरे की बात यह है कि India में ज्यादातर दमा रोगी या तो इलाज नही करवाते या फिर उनका दमा control में नही है। पिछले एक दशक में बच्चों व् गर्भवती महिलाओं में भी इसके मामले बढ़े है। अच्छा और किफायती इलाज होने के बाद भी जागरूकता की कमी व् उपचार में लापरवाही बरतने के कारण इसके रोगियों की स्थिति serious हो जाती है।

सामान्य शब्दों में दमा से आशय सांस लेनी की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होना है। allergy के कारण फेफड़ों तक हवा पहुँचाने वाली नली में सूजन आने से सांस नली तंग हो जाती है, जिससे सांस लेने में problem होने लगती है। दमा के कारण अभी पूरी तरह स्पष्ट नही है। आमतौर पर आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारण इसके जिम्मेदार होते है। फूलों और पेड़ों से निकलने वाला पराग,घास,शैवाल,कीट,जानवरों और परिंदों की रुसी,धुल,प्रदुषण,स्टोव और गैस हीटर से निकलने वाली gas, air blower आदि दमा allergy का कारण हो सकते है। aspirin और बीटा बलॉकर्स medicine, ठंडी हवा, अधिक tension, गुस्सा और डर आदि भी इस problem को बढ़ाते है। कई लोग इसके लक्षणों जैसे लगातार खांसी होना, सांस लेने के साथ सीटी की आवाज आना, सुबह-सुबह की खांसी, सांस उखड़ना और घरघराहट आदि को serious से नही लेते। वे खांसी की सामान्य medicine ही लेते रहते है, जिससे दमा अनियंत्रित हो जाता है।

Lifestyle को संभालना है जरूरी

दमा उभरने पर मरीज को तुरंत राहत देने के लिए ब्रॉनकोडायलेटर्स syrup/ inhaler की मदद ली जाती है। दमा के रोग में गोली लेने से बेहतर medicine को इनहेल करना होता है। इससे medicine सांस के जरिये सीधे फेफड़ो तक पहुंचती है। दूसरा, श्वास नली की सिकुड़न व् allergy को स्थायी रूप से कम करने में मदद मिलती है।

आर्युवेद में दमा cough सम्बन्धी रोग माना गया है, जिसमें सुधार के लिए सही दिनचर्या पर जोर दिया गया है। सोने व् जागने का सही समय रखना, संतुलित भोजन करना, पेट की सफाई, व्यायाम व् tension कम करना जरूरी उपाय है। आर्युवेद में दही, चावल,भिंडी, राजमा, केला और उड़द दाल को cough बढ़ाने वाला माना जाता है। दही, ice-cream आदि में परहेज के साथ तेज गंध, धूल,धुएं आदि से दूर रहना बेहतर होता है। salt therapy व् मर्म चिकित्सा भी फायदा पहुंचाती है। मर्म चिकित्सा में हाथ व् सीने के मर्म बिन्दुओ को दबाकर इलाज करते है।

दमा से जुड़े मिथक और तथ्य

मिथक: दमा के मरीजों को व्यायाम से दूर रहना चाहिए।

तथ्य: ऐसा नही है। दमा के मरीजों के लिए भी exercise जरूरी है। लेकिन exercise के दौरान श्वसन नली की चौड़ाई कम होने से उसमे रूखापन बढ़ सकता है। ऐसे में धीमा warm-up कर सकते है। दमा के मरीज walking, cycling, swimming badminton और tennis जैसे खेलों का हिस्सा बन सकते है।

मिथक: दमा अपने आप ठीक हो जाता है।

तथ्य: इस बात से आधी सच्चाई है। 2 से 10 वर्ष की आयु के दमा पीड़ित बच्चों में आधे से अधिक में बढती उम्र के साथ इसके लक्षणों में कमी आती है। वहीं दूसरा पहलू भी है। 30 वर्ष का होने पर या धुम्रपान शुरू करने पर या अन्य कई कारणों से यह बीमारी लौट सकती है।

मिथक: दमा में सांस फूलती है।

तथ्य: हर सांस फूलने की बीमारी दमा नही होती और न ही दमा में सांस फूलना जरूरी होता है। सांस फूलना इस बीमारी का एक लक्षण है, एकमात्र लक्षण नही।

मिथक: x-ray से हो जाती है दमा की जाँच

तथ्य: दमा की जाँच के लिए x-ray का कोई खास लाभ नही होता। इसके लिए फेफड़ो की कार्यक्षमता का test किया जाता है। उसी आधार पर जाँच होती है।

मिथक: inhaler तभी ले, जब दमा बहुत बढ़ जाए।

तथ्य: ऐसा नही है। फ़िलहाल inhaler दवा लेने का सबसे secure तरीका है। inhaler बहुत कम body में भेजते है। यह सामान्य तरीके से 40 गुना तक कम दवा body में भेजते है।

मिथक: गर्भवती महिलाएं inhaler न लें।

तथ्य: ऐसा नही है। inhaler से बहुत कम मात्रा में दवा body में जाती है इसलिए इससे गर्भस्थ शिशु को कोई नुकसान नही होता। हां, अगर गर्भवती महिला को कहीं दमा का attack आ जाए तो इससे शिशु को काफी नुकसान पहुंच सकता है। गर्भावस्था की शुरुआत से ही doctor से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

मिथक: दमा रोगी सामान्य जीवन नही जी सकते।

तथ्य: ऐसा नही है। सौरभ गांगुली, इयान बॉथम जैसे cricketer हों या फिर अभिताभ बच्चन जैसे फ़िल्मी सितारे हों, ये सभी asthma से लड़ते हुए सामान्य लोगो से अधिक active life व्यतीत कर रहे है। ध्यान रखें दमा पूरी तरह ठीक नही होता, इसे control रखा जाता है।

मिथक: दमा संक्रामक या छूट की बीमारी है।

तथ्य: यह बीमारी न छूने से फैलती है न पीड़ित के contact में आने दे।

क्या करे, क्या नही

1-  दमा को accept करने में संकोच न करें

2-  inhaler हमेशा पास रखें। ध्यान दें कि सही ढंग से दवा इनहेल करते है या नही।

3-  आपातस्थिति में क्या करना चाहिए, ये जानकारी doctor से लें।

4-  family में किसी को दमा रहा है तो माता को गर्भस्थ शिशु को छह माह तक दुग्धपान जरुर कराना चाहिए। मां के दूध में दमा प्रतिरोधी सुरक्षात्मक तत्व होते है।

5-  धुम्रपान न करे। नियमित श्वास सम्बन्धी exercise करें।

6-  व्यस्ततम घंटो में यात्रा करने से बचें। driving के समय कार के शीशे बंद रखें।


7-  दमा को उभारने वाले allergy के कारणों से दूर रहें। 


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