Friday, October 2, 2015

Mahatma Gandhi



राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। हम उन्हें प्यार से बापू पुकारते हैं। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। सभी school और शासकीय संस्थानों में 2 अक्टूबर को इनकी जयंती मनाई जाती है। उन्हीं के प्रेरणा से हमारा देश 15 अगस् 1947 को आजाद हुआ।

गांधीजी के पिता करमचंद गांधी राजकोट के दीवान थे। इनकी माता का नाम पुतलीबाई था। वह धार्मिक विचारों वाली थी।

अहिंसा को अपना धर्म मानने वाले मोहनदास कर्मचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) स्वाधीनता संग्राम के राजनैतिक और आध्यात्मिक नेता थेसत्याग्रह, अहिंसा और सादगी को ही एक सफल मनुष्य जीवन का मूल मंत्र मानने वाले गांधी जी के इन्हीं आदर्शों से प्रभावित होने के बाद रबिंद्रनाथ टैगोर ने पहली बार उन्हें महात्मा अर्थात महान आत्मा का दर्जा दिया थागांधी जी ने अपना जीवन सत्य की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया था अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने स्वयं अपनी गलतियों पर प्रयोग करना प्रांरभ किया  अपने अनुभवों को उन्होंने अपनी आत्मकथामाई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथमें संकलित किया था अंग्रेजी शासनकाल में गांधी जी के नेतृत्व में देशभर में महिलाओं के अधिकारों और धार्मिक एवं जातीय एकता को बढ़ावा देने के लिए कई आंदोलन चलाए गएउन्होंने अस्पृश्यता को जड़ से समाप्त करने के लिए भी कई यात्राएं की लेकिन विदेशी शासन से मुक्ति दिला भारत की जनता को आजाद कराना ही महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का सबसे प्रमुख लक्ष्य था गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कर के विरोध में 1930 में दांडी मार्च और 1942 में  भारत छोड़ो आंदोलन में भारतीय स्वतंत्रा सेनानियों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की

गान्धी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रक्खे।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गाँधी ज्यन्ती को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाये जाने की घोषणा की

गांधीजी की 30 जनवरी को प्रार्थना सभा में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर हत्या कर दी। महात्मा गांधी की समाधि राजघाट दिल्ली पर बनी हुई है।

महात्मा गाँधी के अनमोल वचन

यहाँ महात्मा गाँधी के कुछ अनमोल वचन संकलित किए गए हैं:
·         अधभूखे राष्ट्र के पास न कोई धर्म, न कोई कला और न ही कोई संगठन हो सकता है।
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·         निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।
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·         जब भी मैं सूर्यास्त की अद्भुत लालिमा और चंद्रमा के सौंदर्य को निहारता हूँ तो मेरा हृदय सृजनकर्ता के प्रति श्रद्धा से भर उठता है।
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·         क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है।
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·         एकमात्र वस्तु जो हमें पशु से भिन्न करती है - वह है सही और गलत के मध्य भेद करने की क्षमता जो हम सभी में समान रूप से विद्यमान है।
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·         आपकी समस्त विद्वत्ता, आपका शेक्सपियर और वर्ड्सवर्थ का संपूर्ण अध्ययन निरर्थक है यदि आप अपने चरित्र का निर्माण व विचारों क्रियाओं में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते।
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·         स्वच्छता, पवित्रता और आत्म-सम्मान से जीने के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती।
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·         निर्मल चरित्र एवं आत्मिक पवित्रता वाला व्यक्तित्व सहजता से लोगों का विश्वास अर्जित करता है और स्वतः अपने आस पास के वातावरण को शुद्ध कर देता है।
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·         सुखद जीवन का भेद त्याग पर आधारित है। त्याग ही जीवन है।
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·         उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा।
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·         रोम का पतन उसका विनाश होने से बहुत पहले ही हो चुका था।
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·         गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती। वह तो केवल अपनी ख़ुशबू बिखेरता है। उसकी ख़ुशबू ही उसका संदेश है।
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·         मेरे विचारानुसार गीता का उद्देश्य आत्म-ज्ञान की प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग बताना है।
·         मैं यह अनुभव करता हूं कि गीता हमें यह सिखाती है कि हम जिसका पालन अपने दैनिक जीवन में नहीं करते हैं, उसे धर्म नहीं कहा जा सकता है।
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·         संपूर्ण विश्व का इतिहास उन व्यक्तियों के उदाहरणों से भरा पडा है जो अपने आत्म-विश्वास, साहस तथा दृढता की शक्ति से नेतृत्व के शिखर पर पहुँचे हैं।
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·         हमारा जीवन सत्य का एक लंबा अनुसंधान है और इसकी पूर्णता के लिए आत्मा की शांति आवश्यक है।
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·         किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए सोने की बेडियां, लोहे की बेडियों से कम कठोर नहीं होगी। चुभन धातु में नहीं वरन् बेडियों में होती है।
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·         नारी को अबला कहना अपमानजनक है। यह पुरुषों का नारी के प्रति अन्याय है।
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·         यदि आपको अपने उद्देश्य और साधन तथा ईश्वर में आस्था है तो सूर्य की तपिश भी शीतलता प्रदान करेगी।
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·         अपनी भूलों को स्वीकारना उस झाडू के समान है जो गंदगी को साफ कर उस स्थान को पहले से अधिक स्वच्छ कर देती है।
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·         बुद्ध ने अपने समस्त भौतिक सुखों का त्याग किया क्योंकि वे संपूर्ण विश्व के साथ यह ख़ुशी बाँटना चाहते थे जो मात्र सत्य की खोज में कष्ट भोगने तथा बलिदान देने वालों को ही प्राप्त होती है।
·         जब कोई युवक विवाह के लिए दहेज की शर्त रखता है तब वह न केवल अपनी शिक्षा और अपने देश को बदनाम करता है बल्कि स्त्री जाति का भी अपमान करता है।
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·         आधुनिक सभ्यता ने हमें रात को दिन में और सुनहरी ख़ामोशी को पीतल के कोलाहल और शोरगुल में परिवर्तित करना सिखाया है।
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·         स्वतंत्रता एक जन्म की भांति है। जब तक हम पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हो जाते तब तक हम परतंत्र ही रहेंगे ।




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