Friday, September 11, 2015

परिस्थिति के अनुसार करे behaviour




एक व्यक्ति की गिनती प्रभावी प्रेरक वक्ताओ में होती थी। बड़े-बड़े seminar और अधिकारी लोगो उसके motivational lecture की मांग रहती थी। एक दिन उसे लगा कि अपने विचार आम लोगो तक भी पहुचाने चाहिए। यही सोचकर उसने एक village में जाकर अपना पूरा setup लगाया और वहाँ के लोगो 7 दिन के program में आने का निमंत्रण दे दिया।

seminar शुरू हुए 6 दिन बीत चुके थे। ठण्ड के दिन थे। एक दिन ठण्ड के साथ-साथ मौसम भी ख़राब हो गया। उस आदमी को लगा कि आज शायद कोई नही आएगा। यही सोचकर उसने कोई तैयारी नही की। तभी नियमित आ रहा एक किसान आ गया। किसान ऊँची आवाज में बोला,’कोई है?’

आदमी बाहर आया। वह किसान को देखकर हैरान था। ‘आज बहुत ठण्ड है, मुझे तो उम्मीद नही थी कि आज seminar में कोई आएगा,’इसलिए मैंने भी कोई तैयारी नही की। अब सिर्फ एक आदमी के लिए इतना सब कुछ करना ठीक रहेगा क्या.... क्यों ना हम आज class रहने दे और अपने घरो में जाकर आराम करे?’ आदमी ने कहा।

किसान बोला,’साहब मै तो एक साधारण किसान हूँ। रोज कबूतरों को दाना डालने जाता हूँ। अगर एक कबूतर भी होता है तो मै उसे दाना जरुर खिलाता हूँ।‘

आदमी ये सुनकर थोडा शमिन्दा हुआ। उसने मन ही मन क्षमा भी मागी। उसने सारी table- chair साफ़ की। हरेक table पर जाकर सामान रखा, कमरे के पंखे और बत्ती जलाई आदि, सभी तैयारी की।

3 से 4 घंटे बाद class पूरी हुई। आदमी ने किसान को धन्यवाद भी दिया कि उसने उसे अपना कर्तव्य याद दिलाया।

किसान कुछ नही बोला और उठकर जाने लगा। इस पर व्यक्ति ने पूछा,’क्या हुआ, प्रार्थना में कोई कोई कमी रह गयी क्या?’

किसान बोला,’ मै क्या बताऊ साहब, मै तो साधारण किसान हूँ, लेकिन जब मै कबूतरों को दाना डालने जाता और अगर एक ही कबूतर आता है तो मै सारे दाने उसी को नही खिला देता।‘
आदमी को एक बार फिर एहसास हुआ कि सिर्फ अपना कर्तव्य निभाना ही जरूरी नही है, बल्कि परिस्थिति के हिसाब से खुद को ढालना भी चाहिए और उसी अनुरूप तैयारी करनी चाहिए, सभी के लिए नही।

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